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मां को कंधों पर उठाकर कांवड़ यात्रा! बेटे से पहले पिता ने भी की थी यही यात्रा, पढ़िए भक्ति और मां के आशीर्वाद की अनोखी कहानी!

आकाश और सुमित अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए पिछले दो साल से अपनी मां को कांवड़ में बिठाकर यह यात्रा पूरी कर रहे हैं. हर की पौड़ी से गंगाजल लेकर दक्षिण दिल्ली के अपने गांव के शिव मंदिर में जलाभिषेक करने का उनका संकल्प हर किसी को प्रेरित कर रहा है.

मां को कांवड़ में उठाकर यात्रा मां को कांवड़ में उठाकर यात्रा

सावन का पवित्र महीना भगवान शिव की भक्ति में डूबा हुआ है, और इस बार मुजफ्फरनगर से गुजर रही कांवड़ यात्रा में एक ऐसी कहानी सामने आई है, जो दिल को छू लेती है. दिल्ली के नजफगढ़ के दो भाई, आकाश ठाकुर और सुमित ठाकुर, अपनी मां किरण देवी को कांवड़ में बिठाकर हरिद्वार से दिल्ली तक 170 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर रहे हैं. यह कहानी न केवल मां के प्रति बेटों की भक्ति और समर्पण की है, बल्कि एक पिता की प्रेरणा की भी है, जिन्होंने वर्षों पहले अपनी मां को कांवड़ में बिठाकर यह पवित्र यात्रा की थी.

आकाश और सुमित अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए पिछले दो साल से अपनी मां को कांवड़ में बिठाकर यह यात्रा पूरी कर रहे हैं. हर की पौड़ी से गंगाजल लेकर दक्षिण दिल्ली के अपने गांव के शिव मंदिर में जलाभिषेक करने का उनका संकल्प हर किसी को प्रेरित कर रहा है.

पिता की प्रेरणा, बेटों का समर्पण
आकाश ठाकुर और सुमित ठाकुर की यह कांवड़ यात्रा सिर्फ आस्था की कहानी नहीं, बल्कि पारिवारिक मूल्यों और संस्कारों की जीवंत मिसाल है. आकाश ने बताया, "हमारे पिता जी ने अपनी मां, यानी हमारी दादी को कांवड़ में बिठाकर कई साल तक यह यात्रा की थी. उनकी प्रेरणा से मैं 2012 से कांवड़ यात्रा कर रहा हूं. लेकिन पिछले दो साल से मैं और मेरा भाई सुमित मिलकर अपनी मां को कांवड़ में बिठाकर यह यात्रा कर रहे हैं." आकाश ने गर्व के साथ कहा, "यह मेरी 14वीं कांवड़ यात्रा है, लेकिन मां को कंधों पर उठाकर यह दूसरी बार है. हम प्रतिदिन 15 किलोमीटर चलते हैं और हरिद्वार से दिल्ली के नजफगढ़ तक जाते हैं, जहां हम अपने गांव के शिव मंदिर में जल चढ़ाते हैं."

आकाश ने समाज के लिए एक संदेश भी दिया. उन्होंने कहा, "मैं सभी युवाओं से कहना चाहता हूं कि अपने माता-पिता की सेवा करें, नशा छोड़ें और सादगी से जिएं. जो जैसा करता है, वैसा ही उसे मिलता है. अगर हम अपने माता-पिता का सम्मान करेंगे, तो भविष्य में हमारे बच्चे भी हमारा सम्मान करेंगे." उनकी यह बात संस्कार और नैतिकता के उस नियम को दर्शाती है, जो कहता है कि कर्म का फल अवश्य मिलता है.

मां किरण देवी की मन्नत
कांवड़ में बैठकर यात्रा कर रही मां किरण देवी की आंखों में अपने बेटों के लिए अपार प्यार और गर्व साफ झलकता है. उन्होंने भावुक होकर कहा, "मेरे बेटों ने मुझे मंगलवार को हरिद्वार से कांवड़ में बिठाकर यात्रा शुरू की. मुझे बहुत अच्छा लग रहा है. मैंने भगवान भोलेनाथ से मन्नत मांगी है कि जब मेरे बेटों की शादी होगी और घर में बहू आएगी, तो मैं अपनी बहू और पोते-पोतियों को भी कांवड़ यात्रा करवाऊंगी." किरण देवी ने आगे कहा, "मेरे जैसे बेटे भगवान सबको दें. जैसे मेरे बच्चे मुझे कांवड़ में ला रहे हैं, वैसे ही उनके बच्चे भी भविष्य में कांवड़ लाएंगे." उनकी यह बात हर माता-पिता के लिए एक आशीर्वाद और प्रेरणा है.

मुजफ्फरनगर में कांवड़ यात्रा की भव्यता
सावन 2025 की कांवड़ यात्रा 11 जुलाई से शुरू होकर 23 जुलाई तक चलेगी, और इस दौरान मुजफ्फरनगर एक प्रमुख पड़ाव बना हुआ है. लाखों शिव भक्त हरिद्वार, गंगोत्री और गौमुख से गंगाजल लेकर दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों की ओर बढ़ रहे हैं. मुजफ्फरनगर प्रशासन ने यात्रा को सुरक्षित और सुचारू बनाने के लिए व्यापक इंतजाम किए हैं. जिला प्रशासन ने 43 मेडिकल कैंप स्थापित किए हैं और 100 बेड का विशेष वार्ड तैयार किया है. इसके अलावा, 200 सीसीटीवी कैमरे, आठ ड्रोन और 1,500 पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके.

(संदीप सैनी की रिपोर्ट)