उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड का झांसी एक ऐतिहासिक शहर है,जो वीर भूमि होने के साथ धार्मिक विरासत के लिए भी जाना जाता है. इस शहर में कई प्राचीन मंदिर हैं, जिनमें से एक है पंचायती शिव मंदिर. इसे हजारिया महादेव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. यह मंदिर अपनी अनूठी मान्यता के लिए प्रसिद्ध है, ऐसी मान्यता है कि रात में जब मंदिर बंद हो जाता है तब भगवान शिव अन्य देवताओं के साथ मंदिर प्रांगण में पंचायत करते हैं.
बुंदेलखंड के झांसी में भगवान शिव अपने भक्तों अनोखे रूप में दर्शन देते हैं. अनोखा रूप इसलिए क्योंकि यहां पर बने एक विशाल रूपी शिवलिंग में 1000 शिवलिंग स्थापित है. जिस कारण भक्तों को एक शिवलिंग के दर्शन करने पर ही 1000 शिवलिंग के दर्शन हो जाते हैं. यह मंदिर झांसी के खंडेराव गेट के पास स्थित पानी वाली धर्मशाला में बना हुआ है.
1000 शिवलिंग पर जल चढ़ाने का फल
मंदिर के पुजारी ने बताया कि इस एक शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से 1000 शिवलिंगों पर जल चढ़ाने के बराबर का फल मिलता है. इसके साथ ही इस मंदिर में एक और अनोखी बात है. आमतौर पर शिव मंदिरों में शिव परिवार विराजमान होता है, लेकिन इस मंदिर में शिव पंचायत बैठती है.
इस पंचायत में भगवान शिव के अलावा भगवान सूर्य, मां दुर्गा, भगवान विष्णु और भगवान गणेश भी विराजमान हैं. मंदिर के मुख्य शिवलिंग में 1000 छोटे-छोटे शिवलिंग बने हुए हैं, जो इसे और भी खास बनाते हैं. इसी कारण इसे हजारी शिवलिंग के नाम से भी जाना जाता है.
यहां आने वाले श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए एक अनूठी पद्धति अपनाते हैं. वे मंदिर में हवन करते हैं और फिर भगवान शिव से पंचायत लगाने का आग्रह करते हैं. मान्यता है कि इस पंचायत में शामिल सभी देवता श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी करते हैं.
क्या है मंदिर का इतिहास
माना जाता है कि यह मंदिर मराठा शासन से पहले गुसाइयों ने बनवाया था. गुसाइयों ने लगभग 500 साल पहले इस क्षेत्र पर शासन किया था. इस मंदिर में झांसी की रानी वीरांगना लक्ष्मीबाई भी दर्शन करने रोज आती थीं और मंदिर में अनुष्ठान करती थीं.
वहीं इस मंदिर में पांच देवताओं का एक साथ होना इसे अन्य मंदिरों से अलग बनाता है. 1000 छोटे शिवलिंग मंदिर की सुंदरता में चार चांद लगाते हैं. मंदिर का प्राचीन इतिहास इसे धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व देता है. यहां आने वाले श्रद्धालुओं की अटूट आस्था इस मंदिर को एक पवित्र स्थल बनाती है.
वहीं, भक्तों यह भी कहना है कि बुंदेलखंड में जब-जब सूखा पड़ा है,तब इस मंदिर को पानी से भर दिया जाता है,जिसके बाद भगवान भोलेनाथ की कृपा से बारिश होने लगती है.
(अजय झा की रिपोर्ट)