जयपुर के सूरज मैदान में नवरात्रि के पावन अवसर पर मां वैष्णो देवी का भव्य दरबार सजाया गया. मां वैष्णो देवी साक्षात दरबार समिति के बैनर तले आयोजित इस भव्य आयोजन में श्रद्धालुओं को वैष्णो देवी के वास्तविक दरबार जैसा अद्भुत अनुभव प्राप्त हुआ. त्रिकूट पर्वत पर मां के दर्शन के साथ बाणगंगा, चरण पादुका, अर्धकुमारी, हाथी मत्था, सांझी छत, बर्फीली पहाड़ियां, ब्रह्माकुमारी और नौ देवियों की झांकियों का ऐसा दृश्य प्रस्तुत किया गया मानो श्रद्धालु सचमुच कटरा से मां के दरबार की चढ़ाई कर रहे हों.
देर रात तक चलता रहा दर्शन का सिलसिला
शाम को जैसे ही माता का बर्फानी दरबार रोशन हुआ तो पूरा परिसर आध्यात्मिक ऊर्जा और भक्ति भाव से भर गया. पूजा वातावरण चलो बुलावा आया रे और जय बोलो वैष्णो माता की जैसे भजनों से गूंज उठा. तीन दिनों में लगभग डेढ़ लाख श्रद्धालुओं ने यहां दर्शन किए और माता रानी के जयकारों से सूरज मैदान में अलौकिक वातावरण बन गया. समिति अध्यक्ष राजेन्द्र खंडेलवाल और संयोजक चंद्रप्रकाश राणा ने बताया कि ऊंचे कृत्रिम पर्वत पर विराजमान माता वैष्णो देवी और भैरव बाबा के दर्शन के लिए श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं. आरती के बाद देर रात तक दर्शनों का सिलसिला चलता रहा और श्रद्धालु बर्फीली गुफाओं से गुजरते हुए मां के दरबार में पहुंचे.
लोग हुए रोमांचित
आयोजन समिति ने श्रद्धालुओं को वास्तविक त्रिकूट पर्वत यात्रा का अनुभव कराने के लिए विशेष प्रबंध किए. कृत्रिम बिजली, झरने, बर्फबारी और गुफाओं से बहता बर्फीला पानी देखकर लोग रोमांचित हो उठे. बाणगंगा, चरण पादुका, अर्धकुंवारी गुफा, हाथी मत्था और सांझी छत जैसे पड़ावों को पार करते हुए श्रद्धालु त्रिकूट पर्वत के शीर्ष पर विराजमान माता के दरबार पहुंचे. सुरक्षा और व्यवस्था पर विशेष ध्यान देते हुए 500 से अधिक लोगों ने इस आयोजन को सफल बनाया, जिनमें 100 से अधिक पुलिसकर्मी, सेवागार और स्वयंसेवक शामिल रहे, ताकि किसी भी श्रद्धालु को कोई परेशानी न हो. समिति द्वारा किए गए इन भव्य और सुव्यवस्थित प्रबंधों ने नवरात्रि के दौरान जयपुरवासियों को माता वैष्णो देवी के अद्भुत, दिव्य और रोमांचक दर्शन का अवसर प्रदान किया. यह आयोजन केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से भी एक अद्वितीय अनुभव बन गया, जिसमें भक्ति, अनुशासन और भावनात्मक ऊर्जा का समावेश स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है.