क्या आप जानते हैं कि भगवान विष्णु की पूजा में अगर तुलसी का पत्ता (तुलसीदल) न चढ़ाया जाए तो पूरी पूजा अधूरी मानी जाती है? आखिर तुलसी को इतना महत्व क्यों दिया गया है? इसके पीछे छिपा है एक चमत्कारी रहस्य और पुराणों की अनोखी कहानी.
भारत में हर घर के आंगन में तुलसी का पौधा लगा होना शुभ माना जाता है. तुलसी सिर्फ औषधीय गुणों के लिए ही नहीं, बल्कि धार्मिक आस्था का भी प्रतीक है. खासकर जब बात भगवान विष्णु की आती है, तो तुलसी का स्थान सबसे ऊंचा माना जाता है.
तुलसी और भगवान विष्णु का अनोखा संबंध
पौराणिक कथाओं के अनुसार, तुलसी देवी वास्तव में भगवान विष्णु की प्रिया, माता लक्ष्मी का ही रूप मानी जाती हैं. मान्यता है कि तुलसी का विवाह स्वयं भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप से हुआ था. तभी से हर व्रत, पूजन और विशेषकर मंगलवार व गुरुवार को विष्णु पूजा में तुलसीदल का अर्पण अनिवार्य हो गया.
कहा जाता है कि जो भक्त तुलसीदल अर्पित करता है, वह सीधे विष्णुजी के हृदय तक अपनी भक्ति पहुंचा देता है. इतना ही नहीं, तुलसीदल के बिना किया गया व्रत या पूजन अधूरा रह जाता है.
विष्णु पूजा में तुलसी का महत्व क्यों?
1. पुराणों का आदेश- स्कंद पुराण और पद्म पुराण में साफ लिखा है कि भगवान विष्णु को तुलसी दल अर्पित किए बिना कोई भी प्रसाद स्वीकार्य नहीं होता.
2. तुलसी है लक्ष्मी का स्वरूप- तुलसी दल चढ़ाना मतलब स्वयं लक्ष्मी को विष्णु के साथ पूजना, जिससे घर में समृद्धि और शांति बनी रहती है.
3. पाप का नाश- तुलसी दल अर्पित करने से लाखों यज्ञ और हजारों तीर्थों का फल मिलता है.
4. भूत-प्रेत और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा- तुलसी की सुगंध और स्पर्श से वातावरण पवित्र हो जाता है.
तुलसीदल अर्पण से जुड़े नियम
तुलसीदल से जुड़े चमत्कारिक फायदे
कहते हैं कि यदि कोई व्यक्ति रोजाना तुलसीदल चढ़ाकर भगवान विष्णु का स्मरण करता है, तो उसके पिछले जन्मों के पाप मिट जाते हैं. तुलसीदल से किया गया पूजन मोक्ष का मार्ग खोलता है. घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है और कठिन से कठिन कार्य भी सिद्ध हो जाते हैं.
तो अगली बार जब भी आप भगवान विष्णु या उनके अवतार श्रीकृष्ण और श्रीराम की पूजा करें, तो ध्यान रखिए कि पूजा में तुलसीदल जरूर शामिल करें. क्योंकि तुलसी के बिना विष्णु पूजा उतनी ही अधूरी है, जितनी बिना दीपक के आरती!