Bhopal: 300 एकड़ में आयोजन, 32 हजार वॉलेंटियर्स, 5000 पुलिसवाले, लाखों की भीड़... भोपाल इज्तिमा की भव्य तैयारी

भोपाल के पास ईंटखेड़ी के घासीपुरा इलाके में इस साल करीब 300 एकड़ में इसका आयोजन हो रहा है. हर साल इस आयोजन में देश और विदेश से लाखों लोग पहुंचते हैं. इस साल भी करीब 15 लाख लोगों के आने का अनुमान जताया जा रहा है. इनमें भारत के अलग-अलग राज्यों के अलावा श्रीलंका, नेपाल, सऊदी अरब, इंडोनेशिया और अफ्रीकी देशों से आए प्रतिनिधि भी शामिल होते हैं.

Bhopal Ijtema
gnttv.com
  • भोपाल,
  • 06 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:08 PM IST

मध्य प्रदेश के भोपाल का इज्तिमा केवल एक धार्मिक जमावड़ा नहीं, बल्कि यह दुनिया में अमन, भाईचारे और इंसानियत का संदेश देने वाला आयोजन है. हर साल नवंबर के महीने में मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में यह इज्तिमा दुनियाभर के मुसलमानों को एक मंच पर लाता है और इसे ‘तबलीगी इज्तिमा’ भी कहते है. भोपाल के इज्तिमा को पाकिस्तान के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा धार्मिक सम्मेलन माना जाता है. इस साल इज्तिमा 14 नवंबर से शुरु होकर 17 नवंबर तक चलेगा. जानिए क्या होता है इज्तिमा और भोपाल में कितने बड़े स्तर पर इसका आयोजन किया जाता है.

क्यों है भोपाल का इज्तिमा खास?
भोपाल का इज्तिमा अपनी विशालता और अनुशासन के लिए जाना जाता है. तीन से चार दिन चलने वाला यह आयोजन लाखों लोगों को एक जगह इकट्ठा करता है, लेकिन इतनी बड़ी भीड़ के बावजूद यहाँ व्यवस्था का अद्भुत उदाहरण देखने को मिलता है. यहाँ न केवल धार्मिक प्रवचन होते हैं, बल्कि जीवन में सादगी, इंसानियत और भाईचारे का संदेश भी दिया जाता है. किसी भी राजनीतिक या सांप्रदायिक मुद्दे पर चर्चा नहीं होती बल्कि पूरा ध्यान सिर्फ धर्म, शांति और नैतिक जीवन पर होता है. भोपाल का इज्तिमा यह दिखाता है कि किस तरह धार्मिक आयोजन भी समाज में अनुशासन, एकता और भाईचारे का उदाहरण बन सकते हैं. 

भोपाल के इ्ज्तिमा का इतिहास-
हिंदुस्तान में इज्तिमा सिर्फ भोपाल में ही होता है. इज्तिमा में देश-विदेश से जमातें आती हैं और इस दौरान इस्लाम के अनुयायी धर्म की शिक्षा हासिल करने और सिखाने आते हैं. दुनिया भर में सिर्फ 3 देशों भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में इज्तिमा का आयोजन होता है.  

  • पहले इज्तिमा का आयोजन भोपाल के इब्राहिमपुरा स्थित मस्जिद शकूर खां में किया गया.
  • पहले इज्तिमा में महज 14 लोग जुटे थे.
  • भोपाल इज्तिमा की नींव मौलाना मिस्कीन साहब ने रखी थी.
  • साल 1971 से इज्तिमा का आयोजन बड़े स्वरूप में भोपाल की ही ताजुल मसाजिद में होने लगा.
  • साल 2002 तक ताजुल मसाजिद परिसर में इज्तिमा का आयोजन किया जाता था.
  • इज्तिमा में बढ़ती भीड़ को देखते हुए साल 2003 से इज्तिमा का आयोजन भोपाल से सटे ईंटखेड़ी में होने लगा.  

कितना विशाल और भव्य होता है यह आयोजन?
भोपाल के बाहर ईंटखेड़ी के घासीपुरा इलाके में इस साल करीब 300 एकड़ में फैला यह आयोजन किसी अस्थायी शहर जैसा होता है, जहां हर साल देश और विदेश से लाखों लोग पहुंचते हैं. इस साल भी करीब 15 लाख लोगों के आने का अनुमान जताया जा रहा है. इनमें भारत के अलग-अलग राज्यों के अलावा श्रीलंका, नेपाल, सऊदी अरब, इंडोनेशिया और अफ्रीकी देशों से आए प्रतिनिधि भी शामिल होते हैं. तीन दिन तक चलने वाले इस इज्तिमा में नमाज़, दुआ, तकरीरें (धार्मिक प्रवचन) और सामूहिक प्रार्थनाएं होती हैं. आखिरी दिन की अखिरी दुआ में लाखों लोग शामिल होकर पूरी दुनिया में अमन-चैन के लिए दुआ की जाती है.

इज्तिमा कमिटी के मुताबिक इस साल 32 हजार वॉलेंटियर्स ने रजिस्ट्रेशन कराया है जो ट्रैफिक मैनेजमैंट और क्राउड मैनेजमेंट का ध्यान रखेंगे. इज्तिमा में देश-विदेश से आने वाले लोगों की सुरक्षा के लिए करीब 5 हजार से ज्यादा पुलिस के जवानों को तैनात किया जाएगा. 120 एकड़ में तो सिर्फ पंडाल ही बनाया जा रहा है जहां एक साथ 2 लाख लोग बैठ सकेंगे. यहां हर दिशा से आने वाले लोगों के लिए 70 से ज्यादा पार्किंग बनाई जा रही हैं जहां टू-व्हीलर, 4-व्हीलर और बसों के लिए अलग-अलग पार्किंग स्थल बनाए जाएंगे. इनमें 50 हजार गाड़ियां एक बार में पार्क हो सकेंगी. स्वास्थ्य को देखते हुए सरकार की ओर से यहां मेडिकल कैंप भी बनाया जाता है और कई एंबुलेंस यहां 24 घंटे तैनात रहती हैं. इज्तिमा कमेटी के अलावा भोपाल का पूरा जिला प्रशासन, नगर निगम, नगर सैनिक, पुलिस विभाग, स्वास्थ्य विभाग यहां इज्तिमा खत्म होने तक तैनात रहता है.  

(रवीश पाल सिंह की रिपोर्ट)

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