जानिए कौन हैं भारत के पहले दलित ईसाई कार्डिनल बिशप एंथनी पूला

कैथोलिक चर्च के इतिहास में ऐसा पहली बार है कि कोई तेलुगू कार्डिनल की उपाधि पा रहा है. कार्डिनल की उपाधि पाने के बाद पूला हैदराबाद के आर्चबिशप के तौर पर काम करेंगे.

Bishop Anthony Poola
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 30 मई 2022,
  • अपडेटेड 12:25 PM IST

रविवार को हैदराबाद के आर्चबिशप पूला एंथोनी को नया कार्डिनल चुना गया है. पूला एंथोनी कार्डिनल की उपाधि पाने वाले कैथोलिक चर्च के इतिहास में पहले तेलुगू दलित होंगे. बता दें कि पोप ने दुनिया भर में 21 नए कार्डिनल्स की घोषणा की है. जिनमें से दो भारतीय हैं. 27 अगस्त को पोप नए कार्डिनल्स बनाने के लिए आईकन शहर में एक सभा आयोजित करेंगे. 

फिलहाल कार्डिनल्स कॉलेज में 208 कार्डिनल हैं, 27 अगस्त को कार्डिनल की संख्या बढ़कर 229 हो जाएगी. जिनमें गोवा के आर्चबिशप दामो हैदराबाद से आर्चबिशप एंथोनी पूला भी शामिल हैं. 

1992  में पूला की नियुक्ति एक पुजारी के रूप में हुई थी. वहीं 2008 में पूला को कुरनूल के बिशप के रूप में नियुक्त किया गया था. तब उनकी उम्र 60 साल थी. 
 
पूला का जन्म आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले के चिंदुकुर गांव में हुआ था. पूला ने कुरनूल  के नाबालिग मदरसे में  एडमिशन ले लिया था. आगे पूला ने बेंगलुरु के सेंट पीटर के पोंटिफिकल प्रमुख मदरसा में एडमिशन लिया. पूला ने युवा आयोग एपी सोशल सर्विस सोसाइटी, एससी / बीसी आयोग के अध्यक्ष, सचिव-जनरल और तेलुगु कैथोलिक सम्मेलन के कोषाध्यक्ष के रूप में भी काम किया है. 

अब पूला हैदराबाद के आर्चबिशप के रूप में काम करेंगे. इस काम के दौरान पूला का अधिकार क्षेत्र हैदराबाद, रंगारेड्डी, मेडचल और हैदराबाद के आसपास के जिलों पर होगा. इसके अलावा, आर्चडीओसीज़ आदिलाबाद, कडपा, खम्मम, कुरनूल, नलगोंडा और वारंगल के सूबों पर भी पूला का प्रभाव होगा. 

क्या होते हैं आर्चबिशप

कई ईसाई संप्रदायों में, आर्चबिशप उच्च पद के बिशप  होते हैं. स्वीडन के लूथरन चर्च और इंग्लैंड के चर्च में यह उपाधि किसी भी एक खास संप्रदाय के नेता संभालते हैं.

 

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