Mission Gaganyaan: मिशन गगनयान को लेकर ISRO का बड़ा टेस्ट, रेलवे ट्रैक पर पैराशूट का किया परीक्षण

मिशन गगनयान की दिशा में इसरो को एक और बड़ी कामयाबी मिली है. इसरो ने पैराशूट का सफल परीक्षण किया है. इसरो के मुताबिक गगनयान क्रू मॉड्यूल की जमीन पर लैडिंग के लिए दो खास पैराशूट होंगे.

मिशन गगनयान को लेकर इसरो ने रेलवे ट्रैक पर पैराशूट का परीक्षण किया
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 07 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 1:45 PM IST

मिशन गगनयान को लेकर इसरो तेजी काम कर रहा है और उसको लगातार सफलता भी मिल रही है. इस बार इसरो ने एक बड़ा टेस्ट किया है. इसरो ने गगनयान की सुरक्षा को लेकर रेलवे ट्रैक पर बड़ा परीक्षण किया है. इसरो का ये टेस्ट एक मार्च से 3 मार्च तक चंडीगढ़ के टर्मिनल बैलिस्टिक्स रिसर्च लेबोरेटरी में किया गया. इसरो के अधिकारियों के मुताबिक क्लस्टर कॉन्फिगरेशन में गगनयान पायलट और एपेक्स कवर सेपरेशन पैराशूट का रॉकेट स्लेज परिनियोजन परीक्षण किया गया. गगनयान पैराशूट सिस्टम का विकास VSSC तिरुवनंतपुरम और ADRDI आगरा ने मिलकर किया है.

मिशन गगनयान में पैराशूट का इस्तेमाल-
इसरो के अधिकारी के मुताबिक पहले टेस्ट ने दो पायलट पैराशूटों की क्लस्टर तैनाती का अनुकरण किया. परीक्षण के दौरान पैराशूट प्रवाह की स्थिति मे न्यूनतम कोण के बारे में जानकारी मिली. जबकि दूसरा पैराशूट प्रवाह के संबंध में अधिकतम कोण से अधीन था. इसरो के मुताबिक इन पायलट पैराशूट का इस्तेमाल मिशन गगनयान में स्वतंत्र तौर पर मुख्य पैराशूट निकालने और तैनात करने के लिए किया जाता है.
टेस्ट के दौरान क्रू मॉड्यूल के लिए हमले की स्थिति के 90 डिग्री कोण पर क्लस्टर परिनियोजन का भी अनुकरण किया. एसीएस पैराशूट का इस्तेमाल गगनयान मिशन में क्रू मॉड्यूल पर लगे एपेक्स कवर को अलग करने के लिए किया जाता है. इस पैराशूट को VSSC तिरुवनंतपुरम और ADRDI आगरा ने मिलकर बनाया है.

पैराशूट का टेस्ट क्यों-
पैराशूट का टेस्ट इसलिए जरूरी था, ताकि गगनयान के क्रू मॉड्यूल की लैंडिंग कराते वक्त किसी भी तरह की कोई दिक्कत ना आए. इस टेस्ट के जरिए एक पैराशूट खराब होने पर दूसरे पैराशूट से क्रू मॉड्यूल की सेफ लैंडिंग की क्षमता के बारे में जानकरी हासिल की गई.
 
2026 तक 10 कमर्शियल SSLV लॉन्च की तैयारी-
इसरो की कमर्शियल विंग न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड ने एसएसएलवी का इस्तेमल करके हर साल संचालित होने वाले मिशनों की संख्या बढ़ाने की योजना बना रहा है. कंपनी ने अब तक 3 SSLV रॉकेट बनाए हैं. SSLV देश में विकसित पहला ऐसा लाइटवेट रॉकेट है, जो लोअर अर्थ ऑर्बिट में सफलतापूर्वक पहुंचा है.- इस लाइट रॉकेट की क्षमता 500 किलोग्राम के पेलोड को स्पेस में ले जाने की है.

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