Man Bitten by Snake 200 Times: ज़हर का असर खत्म करने के लिए 200 सांपों से खुद को कटवाया, अब इस आदमी के ख़ून से बन रही है हर ज़हर बेअसर करने की दवा

साइंस के बहादुर सिपाहियों ने इस क्षेत्र की तरक्की के लिए कई योगदान दिए हैं. किसी ने अपनी जान जोखिम में डाली है तो किसी ने एक छोटे से कदम के लिए अपनी पूरी ज़िन्दगी लगा दी है. ऐसे ही एक शख्स हैं अमेरिका के रहने वाले टिम फ्रीड जिन्होंने सांपों के ज़हर के इलाज की दवा (Anti-venom) तैयार करने के लिए अपने शरीर में पूरे 200 सांपों का ज़हर डाला है. 

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gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 25 मई 2025,
  • अपडेटेड 7:42 PM IST

जब अमेरिकी बायोमेडिकल साइंटिस्ट जोनास साल्क ने पोलियो की पहली असरदार वैक्सीन बनाई तो लोगों का विश्वास जीतना उनके लिए मुश्किल था. ऐसे में उन्होंने अपनी वैक्सीन को असरदार साबित करने के लिए सबसे पहले इसका इस्तेमाल खुद पर और अपने परिवार पर किया. यह वैक्सीन सफल साबित हुई और लोग इसपर भरोसा भी करने लगे.

साइंस के बहादुर सिपाहियों ने इस क्षेत्र की तरक्की के लिए ऐसे कई योगदान दिए हैं. किसी ने अपनी जान जोखिम में डाली है तो किसी ने एक छोटे से कदम के लिए अपनी पूरी ज़िन्दगी लगा दी है. ऐसे ही एक शख्स हैं अमेरिका के रहने वाले टिम फ्रीड जिन्होंने सांपों के ज़हर के इलाज की दवा (Anti-venom) तैयार करने के लिए अपने शरीर में पूरे 200 सांपों का ज़हर डाला है. 

दो दशक तक चला एक्सपेरिमेंट
बीबीसी की एक रिपोर्ट बताती है कि टिम ने दो दशक के दौरान अपने अंदर इन सापों का ज़हर डाला. कुल मिलाकर टिम ने 200 से ज्यादा बार सांप का दंश झेलने के अलावा 700 से ज्यादा बार ज़हर के इंजेक्शन भी लिए हैं. ये इंजेक्शन उन्होंने मांबा, कोबरा, ताइपन और क्रेट जैसे दुनिया के सबसे घातक सांपों के ज़हर से तैयार किए थे.

शुरुआत में वह सांपों को पकड़ते समय अपनी सुरक्षा के लिए अपनी इम्युनिटी बढ़ाना चाहते थे. लेकिन एक घटना के बाद इस चीज़ के प्रति उनका नज़रिया बदल गया. टिम बताते हैं कि शुरुआती दिनों में एक कोबरा ने उन्हें दो बार काट लिया था. जिसके बाद वह कोमा में चले गए थे.

बीबीसी की रिपोर्ट उनके हवाले से कहती है, "मैं मरना नहीं चाहता था. मैं नहीं चाहता था कि मेरी उंगली काट दी जाए. मैं नहीं चाहता था कि मुझे काम छोड़ना पड़े." इसके बाद टिम ने फैसला किया कि वह दुनियाभर के लिए ज़हर से निपटने वाली बेहतर थेरेपी तैयार करेंगे. यह उनका लाइफस्टाइल बन गया और वह ज्यादा से ज्यादा सांपों का ज़हर अपने ऊपर ट्राई करते रहे

यूट्यूब से बना रास्ता
इस समय एंटीवेनम को घोड़ों जैसे जानवरों में सांप के ज़हर की छोटी खुराक इंजेक्ट करके बनाया जाता है. उनका इम्यून सिस्टम इस ज़हर से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बनाता है. बाद में इन्हीं जानवरों के खून का इस्तेमाल कर थेरेपी के लिए एंटी-वेनम तैयार किया जाता है. इस प्रक्रिया में एक बड़ी चुनौती यह है कि अगर ज़हर और उसकी दवा बहुत ज़्यादा मिलते जुलते नहीं हुए तो दवा बेअसर हो सकती है. 

लेकिन एक सांप के ज़हर से तैयार किया गया एंटी-वेनम उसी पर बेअसर कैसे हो सकता है? इसकी वजह यह है कि एक ही सांप की किस्में अलग-अलग हो सकती हैं. मिसाल के तौर पर, भारत और श्रीलंका में मिलने वाले एक ही सांप के ज़हर की बनावट में बहुत फर्क हो सकता है. इस समस्या से निपटने के लिए वैज्ञानिकों को ऐसी एंटी-बॉडीज़ की ज़रूरत थी जो कई तरह के ज़हर बेअसर कर सके. फिर उन्हें टिम मिले.

जब बायोटेक कंपनी सेंटिवैक्स के मुख्य कार्यकारी डॉ. जैकब ग्लेनविले को टिम के बारे में सबसे पहली बार यूट्यूब से पता चला. वह कहते हैं, "तुरंत मुझे लगा कि अगर दुनिया में किसी ने ये व्यापक रूप से बेअसर करने वाले एंटीबॉडी विकसित किए हैं, तो वह टिम होंगे. इसलिए मैंने उनसे संपर्क किया." टिम ने रिसर्च में अपने खून का सैंपल देने के लिए मंज़ूरी दे दी.

कैसे की गई रिसर्च?
इस रिसर्च में इलापिड्स (Elapids) पर ध्यान केंद्रित किया गया. यह सांपों के दो ज़हरीले परिवारों में से एक है. इलापिड्स में कोरल स्नेक, माम्बा, कोबरा, ताइपन और क्रेट जैसे सांप शामिल हैं. शोधकर्ताओं ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से पहचाने गए दुनिया के 19 सबसे घातक इलापिड्स को चुना. फिर उन्होंने सुरक्षात्मक बचाव के लिए टिम के खून से जांच शुरू की.

रिसर्च ने दो व्यापक रूप से बेअसर करने वाले एंटीबॉडी की पहचान की जो न्यूरोटॉक्सिन (ज़हर में मौजूद पदार्थ, जो शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं) के दो वर्गों को निशाना बना सकते हैं. इसके बाद उन्होंने इसमें एक दवा मिलाई जो एक और न्यूरोटॉक्सिन को निशाना बनाती थी. जब इस 'कॉकटेल' का इस्तेमाल चूहों पर किया गया तो यह 19 में से 13 पर पूरी तरह असरदार रहा. छह ज़हरों ने कुछ असर छोड़ा.

डॉ. ग्लेनविले का मानना है कि टिम के ख़ून से बना एंटी-वेनम सभी इलापिड्स के ज़हर पर असरदार हो सकता है. हर साल सांप के ज़हर से 1,40,000 लोगों की मौत होती है, जबकि तीन गुना ज्यादा लोग अपना एक हाथ या पैर गंवा देते हैं. टिम का 18-साल का यह मिशन सभी तरह के सांपों के खिलाफ एक सार्वभौमिक एंटी-वेनम खोजने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है. 

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