भारत ने थाईलैंड एशियन इक्वेस्ट्रियन चैंपियनशिप 2025 में जीता रजत पदक

भारतीय ड्रेसाज टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए टीम ने फाइनल्स में रजत पदक अपने नाम किया. वहीं, थाईलैंड ने स्वर्ण पदक जीता. राजस्थान की दिव्यकृति सिंह का टीम की ऐतिहासिक उपलब्धि में अहम योगदान.

रिदम जैन
  • जयपुर,
  • 26 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 1:01 PM IST

थाईलैंड के पटाया में आयोजित एशियन इक्वेस्ट्रियन चैम्पियनशिप 2025 में भारतीय ड्रेसाज टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए टीम ने फाइनल्स में रजत पदक अपने नाम किया. वहीं, थाईलैंड ने स्वर्ण पदक जीता, और हांगकांग की टीम ने कांस्य पदक हासिल किया. भारत का यह प्रदर्शन न केवल खेल में देश की बढ़ती प्रतिष्ठा को दर्शाता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारतीय एथलीटों की प्रतिभा, समर्पण और अनुशासन का भी प्रमाण है.

भारतीय टीम में तीन कुशल राइडर्स थें. उत्तर प्रदेश के गौरव पुंडीर, राजस्थान की दिव्यकृति सिंह और महाराष्ट्र की श्रुति वोरा शामिल थे. तीनों ने मिलकर महाद्वीप की कुछ सबसे मजबूत ड्रेसाज टीमों के साथ कंधे से कंधा मिलाते हुए शानदार समन्वय, सटीकता और संयम का प्रदर्शन किया.

भारतीय टीम का शानदार प्रदर्शन 
भारतीय टीम ने प्रतियोगिता की शुरुआत से ही असाधारण कौशल का प्रदर्शन करते हुए महत्वपूर्ण अवधि के लिए लीडरबोर्ड पर शीर्ष स्थान बरकरार रखा. मेजबान थाईलैंड के साथ भारतीय टीम गोल्ड मेडल के लिए करीबी प्रतिस्पर्धा में बनी रही. उनके दृढ़ और निरंतर प्रदर्शन ने उन्हें शीर्ष सम्मान के लिए बराबरी के मुकाबले में बनाए रखा. आखिरकार भारतीय टीम अविश्वसनीय रूप से 0.2 प्रतिशत के मामूली अंतर से गोल्ड मेडल से चूक गई और सिल्वर मेडल हासिल किया, जो इस आयोजन की कड़ी प्रतिस्पर्धी वाली प्रकृति का स्पष्ट प्रमाण है.

दिव्यकृति सिंह का योगदान
इस उपलब्धि के प्रमुख चेहरों में से एक रहीं दिव्यकृति सिंह, जिनका योगदान टीम की सफलता में निर्णायक रहा. इस रजत पदक के साथ ही वह भारत की एकमात्र अश्वारोही खिलाड़ी बन गई हैं जिन्होंने एशियाई खेलों और एशियन चैम्पियनशिप, दोनों में पदक जीते हैं. अर्जुन पुरस्कार प्राप्त और एशियाई खेलों की स्वर्ण पदक विजेता दिव्यकृति ने यूरोप में विश्वस्तरीय कोचों के तहत प्रशिक्षण लिया है, जिसने उनके कौशल और प्रतिस्पर्धी तैयारी को और मजबूत किया, जिसका स्पष्ट प्रदर्शन पटाया में देखने को मिला.

घुड़सवारी खेल की विशेषता यह है कि यह दुनिया के कुछ चुनिंदा खेलों में से एक है जहां पुरुष और महिलाएं एक ही श्रेणी में समान परिस्थितियों में प्रतिस्पर्धा करते हैं. ऐसे में दिव्यकृति सिंह की उपलब्धि न सिर्फ व्यक्तिगत गौरव है, बल्कि इस खेल में समानता, प्रतिनिधित्व और उत्कृष्टता का प्रतीक भी है.

अब आगे भारतीय एथलीटों के अगले बड़े लक्ष्य, अगले वर्ष जापान में होने वाले 20वें एशियाई खेल और 2028 में यूएसए में आयोजित होने वाले ओलंपिक खेलना है.

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