आरजीएचएस योजना में बड़ा घोटाला, महिलाओं को दी गई बांझपन की दवा, हेल्दी मरीज को हार्ट-किडनी की मेडिसिन

सीएमएचओ ने बताया कि इस पूरे मामले की अलग-अलग स्तर पर जांच पड़ताल चल रही है. ड्रग विभाग दवाई की दुकानों की जांच कर रहा है. साथ ही स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी डॉक्टर के जांच पड़ताल कर रहे हैं.

RGHS scam
gnttv.com
  • अलवर,
  • 18 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 12:45 PM IST

राजस्थान में सरकारी कर्मचारियों के लिए शुरू की गई आरजीएचएस योजना अब घोटाले का अड्डा बन चुकी है. प्रदेश में सबसे पहले आरजीएचएस योजना में घोटाला व गड़बड़ी अलवर जिले में सामने आई. तो अब एक बार फिर से अलवर में आरजीएचएस योजना में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है.

बांझपन की दवाइयां गर्भवती को, हेल्दी मरीज को हार्ट-किडनी की मेडिसिन
जिले के 11 डॉक्टर व बड़ी संख्या में मेडिकल स्टोर संचालकों को नोटिस दिए गए हैं. साथ ही इस मामले में टीम जांच पड़ताल कर रही हैं. आरजीएचएस योजना में 100 करोड़ रुपए से ज्यादा का घोटाला हुआ है. राजगढ़ अस्पताल के सभी डॉक्टरों को गड़बड़ी करने पर नोटिस मिले हैं. डॉक्टर ने महिलाओं को बांझपन की दवाई लिखी. तो सामान्य मरीजों को कैंसर, हार्ट, किडनी, लीवर जैसी गंभीर बीमारियों की महंगी दवाइयां लिखी गई. साथ ही बिना जरुरत के मरीजों की जांच करवाई गई. जिसका फायदा लैब संचालक व मेडिकल स्टोर संचालक को हुआ और डॉक्टर को मोटा कमीशन मिला.

अस्पताल के सभी डॉक्टरों को नोटिस, सरकारी दवाइयों की अनदेखी
अलवर मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर योगेंद्र शर्मा ने बताया कि आरजीएचएस योजना में गड़बड़ी की शिकायतें मिल रही थी. जिसके बाद मामले की जांच पड़ताल की गई. तो इस दौरान जिले के 11 डॉक्टर को नोटिस दिए गए हैं. साथ ही मेडिकल स्टोर संचालकों की भी बड़ी गड़बड़ी सामने आई है.

स्वास्थ्य विभाग की टीम पूरे मामले की जांच पड़ताल कर रही है. मुख्यालय के निर्देश पर यह पूरी कार्रवाई हुई है. अलवर के शिवाजी पार्क प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में गर्भवती महिलाओं को बांझपन की दवाई दी गई. पहाड़गंज पीएससी में स्वस्थ मरीज को आंखों की ड्रॉप व अन्य दवाई लिखी गई. राजगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पति-पत्नी को एक जैसी दवाई दी गई. इसी तरह से जिले के अलग-अलग अस्पतालों में डॉक्टरों द्वारा मरीजों को हार्ट, किडनी लीवर सहित गंभीर बीमारियों की महंगी दवाइयां लिखी गई. यह दवाइयां अस्पताल के सरकारी स्टोर में नहीं मिलती. मरीजों को इन दवाइयां को बाहर निजी दुकानों से खरीदना पड़ता है. अलवर के राजगढ़ सरकारी अस्पताल के सभी डॉक्टरों को नोटिस दिए गए हैं.

बिना इलाज बनाई पर्ची, फर्जी मोहर लगाकर दवाइयां बेचने का खेल
आरजीएचएस योजना में मिली इस गड़बड़ी के बाद डॉक्टर में हड़कंप का माहौल है. प्राइवेट अस्पताल के बाद अब सरकारी अस्पतालों में भी डॉक्टरों द्वारा की गई गड़बड़ी का बड़ा खुलासा हुआ है.एआई तकनीक की मदद से सबसे पहले राजस्थान के खैरथल जिले के बीबीरानी में एक महिला डॉक्टर द्वारा गड़बड़ी का मामला सामने आया था.

इसके अलावा जयपुर गंगानगर सहित प्रदेश के कुछ जगहों पर डॉक्टरों द्वारा मेडिकल स्टोर संचालक के साथ मिलकर गड़बड़ी की गई. अब एक बार फिर अलवर जिले में बड़ी गड़बड़ी मिलने से डॉक्टर पर सवाल उठने लगे हैं. जांच में सामने आया है कि मेडिकल स्टोर संचालक के साथ मिलकर डॉक्टर गड़बड़ी करते हैं. बिना मरीज को बताएं उसके नाम की पर्ची बनाई जाती है और मेडिकल स्टोर संचालक कि पूरे खेल में अहम भूमिका मिली है. जांच में सामने आया कि कुछ डॉक्टरों ने तो मरीज का इलाज ही नहीं किया. लेकिन उनके नाम पर पर्चियां बनाई गई. ऐसे में साफ है की फर्जी तरह से डॉक्टरों की मोहर तैयार करके मरीजों को दवाई लिखी गई.

डॉक्टरों की सैलरी से वसूली होगी
सीएमएचओ ने बताया कि इस पूरे मामले की अलग-अलग स्तर पर जांच पड़ताल चल रही है. ड्रग विभाग दवाई की दुकानों की जांच कर रहा है. साथ ही स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी डॉक्टर के जांच पड़ताल कर रहे हैं. उनके बयान दर्ज किए गए हैं. इस मामले की रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेजी जाएगी और नियम अनुसार डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई होगी. साथ ही उन्होंने कहा कि डॉक्टरों की सैलरी से वसूली होगी. इस तरह की गड़बड़ी आगे ना हो. उसके लिए भी स्वास्थ्य विभाग की तरफ से सभी डॉक्टरों को सख्त निर्देश जारी किए गए हैं.

डॉक्टर जेनेरिक दवाई लिखे अस्पताल में मौजूद दवाइयां मरीजों को लिखी जाए. जिससे मरीज को दवाइयां के लिए निजी स्टोर पर नहीं जाना पड़े. साथ ही जरूरत होने पर ही मरीजों की जांच कराई जाए. क्योंकि जांच में सामने आया है कि डॉक्टर कमीशन के चक्कर में मरीजों की जबरन जांच लिखते हैं और वो जांच मरीज को निजी लैब में करनी पड़ती है और इसमें मरीज के हजारों रुपए खर्च होते हैं. डॉक्टर को जांच का कमीशन मिलता है. इसलिए डॉक्टर ज्यादा से ज्यादा जांच मरीजों की लिखते हैं.

-हिमांशु शर्मा की रिपोर्ट

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