Sanchar Saathi Row: IMEI क्या होता है और यह मोबाइल को ट्रैक करने में कैसे मदद करता है?

Sanchar Saathi Row: संचार साथी ऐप पर विवाद बढ़ने के बाद मंगलवार को केंद्र सरकार की सफाई आई. केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि ये App अनिवार्य नहीं है. यूजर चाहे तो इसे डिलीट कर सकते हैं.

Sanchar Saathi app
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 02 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 1:16 PM IST
  • ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे ये App
  • संचार साथी सरकार का बनाया साइबर सिक्योरिटी टूल है

सभी मोबाइल फोन में साइबर सिक्योरिटी एप 'संचार साथी' को प्री-इंस्टॉल करने के फैसले पर सियासत गरमा गई है. केंद्र सरकार का दावा है कि यह कदम डिजिटल सुरक्षा और मोबाइल धोखाधड़ी को रोकने के लिए जरूरी है, जबकि विपक्ष इसे 'डिजिटल निगरानी का नया हथियार' बता रहा है. संसद के शीतकालीन सत्र में इस मुद्दे को लेकर जमकर हंगामा हो रहा है. 

विवाद बढ़ने के बाद मंगलवार को केंद्र सरकार की सफाई आई. केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि ये App अनिवार्य नहीं है. यूजर चाहे तो इसे डिलीट कर सकते हैं. सरकार की कोशिश है कि ये ऐप ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे, ताकि वे सुरक्षित रहें और फ्रॉड का शिकार न हों.

हर मोबाइल में अनिवार्य होगा संचार साथी ऐप
पहले दूरसंचार विभाग की अधिसूचना में कहा गया था, भारत में बिकने वाले हर मोबाइल फोन में संचार साथी ऐप प्री-इंस्टॉल होना चाहिए. जो मोबाइल पहले से इस्तेमाल में हैं, उन पर सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिए ऐप इंस्टॉल किया जाएगा. WhatsApp, Telegram, Signal, Snapchat, Josh, ShareChat, JioChat जैसी मैसेजिंग/सोशल मीडिया ऐप्स केवल उस मोबाइल पर चलेंगी, जिसमें रजिस्टर्ड और वैध सिम जुड़ा हो. इन निर्देशों को 90 दिनों में लागू करना होगा और 120 दिनों में सरकार को रिपोर्ट देनी होगी.

लोगों की प्राइवेसी पर सीधा हमला
सरकार का तर्क है कि फर्जी मोबाइल, चोरी किए गए फोन, क्लोन IMEI, साइबर फ्रॉड और अनवेरिफाइड यूजर्स पर लगाम लगाने के लिए यह कदम जरूरी है. उधर कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने कहा कि यह कदम लोगों की प्राइवेसी पर सीधा हमला है. यह एक जासूसी एप है. सरकार हर नागरिक की निगरानी करना चाहती है.

संचार साथी एप क्या है?
संचार साथी एप सरकार का बनाया साइबर सिक्योरिटी टूल है, जो 17 जनवरी 2025 को लॉन्च हुआ था. संचार साथी ऐप यूजर्स को कॉल, मैसेज या वॉट्सएप चैट रिपोर्ट करने में मदद करेगा. IMEI नंबर चेक करके चोरी या खोए फोन को ब्लॉक करेगा.

1. संचार साथी विवाद के केंद्र में IMEI क्यों है?
IMEI मोबाइल फोन का यूनिक पहचान नंबर होता है, जो हर डिवाइस को अलग पहचान देता है. संचार साथी ऐप के जरिए सरकार हर मोबाइल फोन का IMEI अपनी डेटाबेस से मैच करेगी. IMEI–SIM–यूजर पहचान को स्थायी रूप से लिंक करेगी. चोरी, क्लोन या फर्जी मोबाइल की पहचान तुरंत कर सकेगी.

2. IMEI नंबर मोबाइल हैंडसेट को ट्रैक करने में कैसे मदद करता है?
IMEI मोबाइल नेटवर्क में हर कॉल, SMS, इंटरनेट कनेक्शन या ऐप उपयोग के समय रजिस्टर होता है. इसके जरिए फोन की लोकेशन टावर ट्राइएंगुलेशन से पता लगाई जा सकती है. फोन चोरी होने पर उसे ब्लैकलिस्ट/ब्लॉक किया जा सकता है. फर्जी/क्लोन IMEI की पहचान की जा सकती है. संचार साथी इसी IMEI–आधारित सिस्टम पर काम करता है.

3. क्या IMEI नंबर बदला या छेड़ा जा सकता है?
हां क्लोनिंग और री-प्रोग्रामिंग संभव है. लेकिन भारत में IMEI बदलना कानूनन अपराध है और इसके लिए सजा का प्रावधान है. सरकार का कहना है कि इस ऐप के जरिए क्लोन IMEI की पहचान और रोकथाम आसान हो जाएगी. विपक्ष का तर्क है कि तकनीक के जानकार अपराधी फिर भी इसे बायपास कर सकते हैं.

4. संचार साथी IMEI का इस्तेमाल करके चोरी हुए फोन को कैसे ब्लॉक करता है?
संचार साथी का CEIR (Central Equipment Identity Register) प्लेटफॉर्म चोरी या गुम मोबाइल की तुरंत रिपोर्ट दर्ज करता है. इसके बाद IMEI को ब्लैकलिस्ट किया जाता है. सभी टेलीकॉम कंपनियों को ब्लॉकिंग आदेश भेजा जाता है. फोन नेटवर्क पर आते ही अपने-आप ब्लॉक हो जाता है. फोन बरामद होने पर IMEI अनब्लॉक किया जा सकता है. यह सिस्टम पहले से चालू है, लेकिन अब इसे सभी फोन में अनिवार्य ऐप के जरिए और मजबूत किया जा रहा है.

5. क्या भारत में IMEI ट्रैकिंग कानूनी है?
-हां, भारत में IMEI ट्रैकिंग कानूनी है, लेकिन केवल सीमित और विशेष परिस्थितियों में. आम तौर पर यह अधिकार कानून प्रवर्तन एजेंसियों के पास होता है और इसके लिए अक्सर कोर्ट आदेश या राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े कारणों की जरूरत होती है. चोरी, धोखाधड़ी या किसी गंभीर अपराध की जांच के दौरान भी सरकार IMEI ट्रैक कर सकती है.

 

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