आए दिन साइबर फ्रॉड के नए मामले सामने आते हैं. हालांकि, कई मामलों में हो सकता है कि इनके पीछे के लोग भी गुलाम हों. जी हां, साइबर फ्रॉड करने वाले लोग खुद भी साइबर स्लेवरी या साइबर गुलामी का शिकार हो सकते हैं. इसी कड़ी में कंबोडिया में फंसे 5,000 से ज्यादा भारतीय साइबर गुलामों को बचाने के लिए रणनीति बनाई जा रही है. इन व्यक्तियों को गुलाम बनाकर साइबर घोटाले करने के लिए मजबूर किया जाता है. अनुमान है कि साइबर फ्रॉड से पिछले छह महीनों में 500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
बढ़ती चिंताओं के बीच सरकार ने प्रतिक्रिया जुटाई
हाल ही में, बढ़ते संकट को देखते हुए गृह मंत्रालय (MHA) ने विदेश मंत्रालय (MEA), इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Meity) और भारतीय साइबर अपराध के प्रमुखों ने एक बैठक बुलाई थी. इसमें कंबोडिया में फंसे भारतीय नागरिकों को बचाने और वापस लाने के लिए एक रणनीति बनाई जा रही है.
साइबर फ्रॉड का पूरा गिरोह है शामिल
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, साइबर फ्रॉड के इस भूलभुलैया जाल में एक पूरा गिरोह शामिल है. ये गिरोह मुख्य रूप से दक्षिणी भारत के कमजोर व्यक्तियों को टारगेट करता है. इसमें पीड़ितों को आकर्षक डेटा एंट्री नौकरियों के बहाने फुसलाया जाता है. लेकिन कंबोडिया पहुंचने पर उन्हें साइबर धोखाधड़ी करने के लिए मजबूर किया जाता है. रिपोर्टों से पता चलता है कि इस कार्यप्रणाली में कानून प्रवर्तन अधिकारियों (law enforcement officials) का रूप धारण करना और बिना सोचे-समझे पीड़ितों से धन उगाही कर रहा है. इससे परेशानी और बढ़ गई है.
कई मामले आए हैं सामने
ओडिशा में राउरकेला पुलिस ने पिछले साल दिसंबर में सक्रिय एक साइबर-अपराध सिंडिकेट का खुलासा किया था. संदिग्ध अपराधियों के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी करने के बाद आठ व्यक्तियों की गिरफ्तारी की गई थी.
पिछले कुछ समय से आ रही हैं खबरें सामने
दरअसल, पिछले कुछ समय से साइबर गुलामी को लेकर अराजकता, शोषण और जबरदस्ती की दर्दनाक कहानियां सामने आ रही हैं. कंबोडिया भी इनसे अछूता नहीं है. द गार्जियन की रिपोर्ट के मुतबिक, लोगों ने झूठे बहानों के तहत फंसाए जाने, धोखाधड़ी की गतिविधियों को अंजाम देने के लिए मजबूर किए जाने और भयावह जीवन स्थितियों में रहने के लिए मजबूर होने के बारे में बताया है.
क्या है साइबर गुलामी?
साइबर गुलामी को डिजिटल गुलामी या ऑनलाइन गुलामी के रूप में भी जाना जाता है. डिजिटल प्लेटफॉर्म और टेक्नोलॉजी के माध्यम से व्यक्तियों का शोषण और उनके जबरदस्ती कोई अपराध करवाया जाता है. इसमें व्यक्तियों को जबरन श्रम, मानव तस्करी, यौन शोषण और उन्हें गुलाम करना शामिल है. साइबर गुलामों से इंटरनेट-आधारित टूल, कम्युनिकेशन चैनल और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर फ्रॉड करवाए जाते हैं.
साइबर गुलामी में, अपराधी को भर्ती करने, कंट्रोल करने और उनका शोषण करने के लिए इंटरनेट का सहारा लिया जाता है. इसमें शुरुआत में लोगों को नौकरी, शादी या आर्थिक लाभ का झांसा दिया जाता है. इसके बाद एक बार फंस जाने के बाद, पीड़ितों को अक्सर उनकी इच्छा के विरुद्ध अलग-अलग काम करने के लिए मजबूर किया जाता है.
साइबर गुलामी में शोषण कई रूप ले सकता है
-पीड़ितों को पर्याप्त वेतन या आराम के बिना अपमानजनक परिस्थितियों में लंबे समय तक काम करने के लिए मजबूर किया जा सकता है. उन्हें डेटा एंट्री, ऑनलाइन कंटेंट मेकिंग, या डिजिटल मार्केटिंग जैसे काम बहुत कम या बिना किसी मुआवजे के करने के लिए मजबूर किया जा सकता है.
-मानव तस्कर उन पीड़ितों से जबरन सेक्स वर्क या मजदूरी करवाने के लिए भर्ती करने, ट्रांसपोर्ट करने और उनका शोषण करने के लिए साइबर प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हैं. तस्कर ग्राहकों को लुभाने या शोषण के लिए पीड़ितों का विज्ञापन करने के लिए सोशल मीडिया, ऑनलाइन क्लासीफाइड या अंडरग्राउंड वेबसाइटों का उपयोग कर सकते हैं.
-अपराधी व्यक्तियों को सेक्शुअल एक्टिविटी में शामिल होने या ऑनलाइन काम करने के लिए तैयार करने, शोषण करने या मजबूर करने के लिए इंटरनेट का उपयोग कर सकते हैं.
-साइबर गुलामी के पीड़ितों को साइकोलॉजिकल हेरफेर, जबरदस्ती, या हिंसा की धमकियों का सामना करना पड़ सकता है. उन्हें तस्करों की निरंतर निगरानी और कंट्रोल में रहना पड़ता है. ये सबकुछ उनकी इच्छा के बगैर हो रहा होता है.