Bangladesh: बांग्लादेश के ढाका विश्वविद्यालय चुनाव में कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन इस्लामी छात्र शिविर की जीत के क्या हैं मायने, जानें

बांग्लादेश के ढाका विश्वविद्यालय के चुनाव में कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन इस्लामी छात्र शिविर को जीत मिली है. कुछ विशेषज्ञ इस संगठन की जीत को भारत के लिए अच्छा नहीं मान रहे हैं. जबकि कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि बांग्लादेश की सियासत में इस जीत का कोई असर नहीं होगा.

Dhaka University (Photo/du.ac.bd)
gnttv.com
  • कोलकाता,
  • 11 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 5:54 PM IST

बांग्लादेश में जमात ए इस्लामी के छात्र संगठन इस्लामी छात्र शिविर ने सालों बाद पहली बार जीत हासिल करके सबको चकित कर दिया है. और यह ख़ास तौर पर बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी यानी BNP के लिए बेहद निराशाजनक प्रदर्शन रहा है.

क्या है जीत के मायने?
इस्लामी छात्र शिविर की जीत के बाद कई विशेषज्ञों का मानना है कि बांग्लादेश में कट्टरपंथी सोच किस क़दर प्रभावी हो रही है. वह इससे प्रमाणित होता है कि बेहद प्रोग्रेसिव मानी जाने वाली ढाका विश्वविद्यालय में कट्टरपंथी संगठन ने जीत हासिल कर ली है. कुछ लोगों का तो ये भी मानना है कि यह भारत के लिए अच्छा संकेत नहीं है. क्योंकि अवामी लीग पर प्रतिबंध के बाद बीएनपी और जमात ए इस्लामी ही बांग्लादेश की राजनीति में वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहे हैं. ऐसे में जिस ढाका विश्विद्यालय को हमेशा से बांग्लादेश की राजनीति में बेहद प्रभावी और प्रोग्रेसिव माना गया, वहाँ कट्टरपंथी संगठन की जीत से साफ़ है कि बीएनपी की बजाय बांग्लादेश का प्रबुद्ध युवा कट्टरपंथी सोच पर ज़्यादा भरोसा कर रहा है और ऐसे में बांग्लादेश की राजनीति में अवामी लीग की जगह अब जमात ए इस्लामी जैसे कट्टरपंथी का दबदबा भी आनेवाले दिनों में बढ़ जाएगा, जो भारत के लिए अच्छा संकेत नहीं है.

नहीं पड़ेगा कोई फर्क- विशेषज्ञ
दूसरी ओर कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ढाका विश्वविद्यालय चुनाव के परिणामों का बांग्लादेश की राजनीति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला है. इनका कहना है कि बांग्लादेश में अब अवामी लीग और उसका छात्र संगठन प्रतिबंधित हैं. ऐसे में अवामी लीग की विचारधारा को मानने वाले लोगों ने जमाते इस्लामी के छात्र संगठन को वोट देकर जिता दिया है.

बांग्लादेश के वरिष्ठ संवाददाता अब्दुल बारी के मुताबिक़ बांग्लादेश की राजनीति में अवामी लीग और BNP हमेशा से परस्पर प्रतिद्वंदी रहे हैं. पिछले कई सालों की चुनाव परिणामों से पता चलता है कि दोनों का वोट बैंक 30 प्रतिशत से 40 प्रतिशत के बीच रहा है. अवामी लीग के शासनकाल में जमाते इस्लामी के छात्र संगठन को गुप्त रूप से अवामी लीग के छात्र संगठन मदद करते रहे हैं. इसकी वजह है कि अवामी लीग BNP की तुलना में जमात ए इस्लामी को कम बड़ा राजनीतिक शत्रु समझती रही है. भले ही अवामी लीग को बांग्लादेश में बैन कर दिया गया है, लेकिन अब भी लगभग 30 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो अवामी लीग की विचारधारा को मानते है. ऐसे में जब इस बार ढाका विश्वविद्यालय में चुनाव हुए तो अवामी लीग की विचारधारा को मानने वाले छात्रों ने BNP को वोट देने की बजाए जमात ए इस्लामी के छात्र संगठन को वोट देना पसंद किया और यही वजह है कि इस बार चुनाव में इस्लामिक संगठन की जीत हुई है लेकिन इसका परिणाम बांग्लादेश की राजनीति पर बिलकुल भी नहीं पढ़ने वाला है.

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