भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है. पाकिस्तान ने शनिवार तड़के भारत पर हमला बोला और उसका दावा है कि वह भारत के खिलाफ 'जवाबी कार्यवाई' कर रहा है. इस सबके बीच पाकिस्तान के पीएम शहबाज़ शरीफ ने नेशनल कमांड अथॉरिटी के साथ इमेरजेंसी मीटिंग की है. आपको बता दें कि एनसीए पाकिस्तान के परमाणु हथियारों के संबंध में फैसले लेती है और सीधा प्रधानमंत्री के अधीन काम करती है.
ऐसे में सवाल यह है कि क्या वाकई भारत या पाकिस्तान इस मामले में परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकते हैं? परमाणु हथियारों पर उनकी पॉलिसी क्या है और भारत-पाकिस्तान के पास कितने परमाणु हथियार हैं?
भारत-पाकिस्तान के पास कितने परमाणु हथियार
अल-जज़ीरा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने 1974 में अपना पहला परमाणु परीक्षण किया और 1998 में खुद को परमाणु शक्ति घोषित किया. भारत के पास फिलहाल 180 से ज्यादा परमाणु हथियार हैं. भारत लंबी दूरी की मिसाइलें, मोबाइल लॉन्चर और रूस के साथ मिलकर समुद्र से दागी जाने वाली मिसाइलें भी विकसित कर रहा है.
पाकिस्तान ने भारत के 1998 के परीक्षणों के कुछ दिनों बाद छह परमाणु परीक्षण किए और खुद को परमाणु शक्ति घोषित किया. उसके पास 170 से ज्यादा परमाणु हथियार हैं, जिनमें मुख्यतः शॉर्ट और मिड-रेंज बैलिस्टिक मिसाइलें शामिल हैं. पाकिस्तान को इसमें चीन से तकनीकी मदद मिलती है.
भारत की परमाणु नीति
भारत की परमाणु नीति 2003 में घोषित की गई थी और इसमें ये प्रमुख बिंदु शामिल हैं:
पहल नहीं करेगा भारत (No First Use/NFU): इस सिद्धांत का अर्थ है कि भारत अपने दुश्मनों पर परमाणु हमला करने की पहल नहीं करेगा. वह केवल तब परमाणु हथियारों का उपयोग करेगा जब उस पर पहले परमाणु हमला किया जाए. भारत की परमाणु नीति के अनुसार, अगर भारतीय भूमि पर हमला किया जाए या विदेशी क्षेत्र में तैनात भारतीय बलों पर परमाणु हथियारों का उपयोग किया जाए, तो भारत इसके जवाब में परमाणु हमला कर सकता है. इसके अलावा, भारत यह भी संकल्प लेता है कि वह ऐसे देशों के खिलाफ परमाणु हथियारों का उपयोग नहीं करेगा जिनके पास परमाणु ताकत नहीं है.
विश्वसनीय न्यूनतम प्रतिरोध (Credible Minimum Deterrence): भारत की परमाणु नीति प्रतिरोध पर आधारित है अर्थात्, उसका परमाणु शस्त्रागार मुख्य रूप से अन्य देशों को भारत पर परमाणु हमला करने से रोकने के लिए है. भारत मानता है कि उसका परमाणु भंडार ऐसे हमलों के खिलाफ एक प्रकार का सुरक्षा बीमा है. यही कारण है कि भारत परमाणु अप्रसार संधि (Nuclear Non-Proliferation Treaty/NPT) पर हस्ताक्षर नहीं करता, क्योंकि उसका मानना है कि सभी देशों को एक साथ परमाणु निरस्त्रीकरण की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए.
विनाशकारी जवाब (Massive Retaliation): अगर कोई दुश्मन देश भारत पर पहला परमाणु हमला करता है, तो भारत की प्रतिक्रिया ऐसी होगी कि शत्रु की सैन्य क्षमता पूरी तरह से नष्ट हो जाए. यह जवाब व्यापक और विनाशकारी होगा.
बायोलॉजिक या केमिकल हमलों के लिए अपवाद: 'पहले उपयोग नहीं' (No First Use) नीति के एकमात्र अपवाद के रूप में, भारत की परमाणु नीति यह स्पष्ट करती है कि अगर कोई देश भारत या विदेश में तैनात भारतीय सैन्य बलों पर बायोलॉजिक या केमिकल हथियारों से हमला करता है, तो भारत परमाणु हथियारों का उपयोग कर सकता है.
हालांकि, पिछले कुछ सालों में भारतीय नेताओं ने संकेत दिए हैं कि NFU नीति में बदलाव हो सकता है. 2016 में मनोहर पर्रिकर और 2019 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस पर सवाल उठाए थे.
पाकिस्तान की परमाणु नीति
रणनीतिक अस्पष्टता (Strategic Ambiguity): अल-जज़ीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान ने आज तक कभी अपनी परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को लेकर कोई स्पष्ट और आधिकारिक नीति घोषित नहीं की है. इसी रणनीतिक अस्पष्टता के कारण उसके पास मौका है कि वह युद्ध के किसी भी फेज में परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने की धमकी दे सके, जैसा कि वह पहले भी करता रहा है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस्लामाबाद की यह अस्पष्टता जानबूझकर बनाई गई है, ताकि भारत की सैन्य शक्ति के मुकाबले उसे एक प्रभावी प्रतिरोधक क्षमता मिल सके, न कि सिर्फ भारत की परमाणु ताकत के खिलाफ.
चार प्रमुख ट्रिगर (The Four Triggers):
हालाकि, 2001 में पाकिस्तान की परमाणु नीति के प्रमुख रणनीतिकार और न्यूक्लियर कमांड एजेंसी के सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) खालिद अहमद किदवई ने चार ऐसी परिस्थितियां बताईं, जिनमें पाकिस्तान परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है:
हालांकि पाकिस्तान ने आज तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि कितनी बड़ी क्षेत्रीय या सैन्य क्षति इन "सीमाओं" को पार करने के लिए पर्याप्त मानी जाएगी.
अल-जज़ीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान ने 2011 से Tactical Nuclear Weapons (TNWs) विकसित किए हैं जो कम दूरी के परमाणु हथियार होते हैं और युद्ध क्षेत्र में सीमित इस्तेमाल के लिए बनाए गए हैं. लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार, इनके विस्फोटक प्रभाव भी 300 किलोटन तक हो सकते हैं, जो हिरोशिमा बम से 20 गुना ज़्यादा है और पाकिस्तान की अपनी सीमाओं को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं.