
ज्योतिष का सबसे महत्वपूर्ण ग्रह बृहस्पति को माना जाता है. शैलेंद्र पांडे ने बताया कि बृहस्पति यदि आपकी कुंडली में अशुभ हो तो जीवन में समस्याओं का अंत नहीं होता. शैलेंद्र पांडे आपको बता रहे हैं कि बृहस्पति की सबसे ज्यादा अशुभ स्थितियां कुंडली में कौन सी होती हैं. उनका प्रभाव कैसा होता है और उन अशुभ स्थितियों को बेहतर करने के उपाय क्या हैं?
गुरु चांडाल योग
बृहस्पति की जो पहली अशुभ स्थिति है, उसे गुरु चांडाल योग कहते हैं. कुंडली में गुरु और राहू अगर एक साथ बैठे हों तो इस योग का निर्माण होता है, जिसे गुरु चांडाल योग कहा जाता है. यह व्यक्ति के शुभ गुणों को घटा देता है और व्यक्ति के नकारात्मक गुणों को बढ़ा देता है. ऐसा देखा गया है कि अगर कुंडली में गुरु चांडाल योग है तो व्यक्ति का चरित्र कमजोर होता है. इस योग के होने से व्यक्ति को पाचन तंत्र की समस्या और गंभीर बीमारियां होने की संभावना बनती है.
गुरु चांडाल योग का प्रभाव
गुरु राहू वालों का डाइजेशन अक्सर गड़बड़ होता है और अक्सर उनके लिवर में प्रॉब्लम होती है. गुरु राहू अगर कुंडली में हैं तो व्यक्ति धर्म भ्रष्ट हो जाता है और उसे जीवन में अपयश का सामना करना पड़ता है. अगर आपकी कुंडली में गुरु राहू का चांडाल योग हो तो अपने गुरु की शरण में जाना या भगवान शिव की शरण में जाना चाहिए. गुरु चांडाल योग अगर कुंडली में है तो अपने गुरु की आज्ञा माने, उनके बताए मार्ग पर चलें. अपने जीवनचर्या में सुधार करें और निरंतर या तो नाम जप करें या निरंतर अगर मंत्र का जप करें तो इससे भी आपको लाभ अवश्य होगा.
नीच का बृहस्पति
बृहस्पति की दूसरी अशुभ स्थिति है नीच का बृहस्पति. अगर बृहस्पति कुंडली में मकर राशि में बैठा हो तो यह कुंडली में गुरु दोष पैदा करता है और यह व्यक्ति के ऊपर ईश्वर की कृपा घटा देता है. अगर नीच का बृहस्पति कुंडली में है तो व्यक्ति की आदतें और संस्कार दूषित कर देता है. नीच का बृहस्पति भी व्यक्ति को गंभीर रोग देता है और गुरु दोष पैदा करता है.
नीच का बृहस्पति का प्रभाव
अगर कुंडली में गुरु दोष पैदा हो गया तो भाग्य का या ईश्वर का जो सहारा जीवन में होना चाहिए उसका अनुभव नहीं होता. आदमी जानबूझकर ऐसे काम करता है, जिससे उसका पतन होता है. अगर कुंडली में गुरु दोष है तो गुरु की शरण में जाइए. धार्मिक आचरण करिए, नियमित रूप से पूजा-उपासना करिए और जब मौका मिले पवित्र नदियों में स्नान करिए.
सप्तमस्त बृहस्पति
बृहस्पति की तीसरी अशुभ स्थिति है सप्तमस्त बृहस्पति. अगर आपकी कुंडली के सप्तम भाव में बृहस्पति बैठ जाएं तो यह स्थिति अशुभ मानी जाती है. यह स्थिति सबसे कम नकारात्मक मानी जाती है क्योंकि इस स्थिति के कुछ फायदे भी जीवन में मिल जाते हैं लेकिन अगर सप्तम स्थान में बृहस्पति बैठ गए तो बृहस्पति विवाह की और वैवाहिक जीवन की समस्या भयंकर देते हैं.
सप्तमस्त बृहस्पति का प्रभाव
सप्तम स्थान में बैठा हुआ बृहस्पति अक्सर विवाह नहीं होने देता या अगर किसी तरीके से विवाह हो गया तो वैवाहिक स्थिति को बहुत खराब कर देता है. यह स्थिति आयु लंबी कर देती है, स्वास्थ्य बेहतर कर देती है और धन के मामले को अच्छा कर देती है, लेकिन विवाह और वैवाहिक जीवन के लिए बहुत ही बुरा है. जिसकी कुंडली में वृहस्पति सप्तम स्थान में ऐसे लोगों को अधिक से अधिक शिव जी की पूजा करनी चाहिए और बृहस्पतिवार को खाने पीने की वस्तुओं का दान करना चाहिए.