
बेंगलुरु में ओला (Ola), उबर (Uber), रैपिडो (Rapido) की ऑटो सर्विस को अवैध (illegal) घोषित कर दिया गया है. कर्नाटक परिवहन विभाग ने इन तीनों ऑटो सर्विसेज को गुरुवार को तीन दिनों में अपनी सेवाएं बंद करने का नोटिस जारी किया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, कर्नाटक परिवहन विभाग ने गुरुवार को ओला, उबर और रैपिडो ऑटो सर्विस की पैरेंट कंपनी एएनआई टेक्नोलॉजीज को नोटिस जारी किया है. उन्होंने कंपनी से कहा है कि अगले तीन दिनों में अपनी सेवाएं बंद करें. विभाग ने व्हीकल एग्रीगेटर्स को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है.
क्यों उठाया गया है ये कदम?
आपको बताते चलें कि इस कदम को उठाने के पीछे की वजह ओला और उबर द्वारा ग्राहकों से एक्स्ट्रा पैसे चार्ज करना है. ओला और उबर द्वारा दो किमी से कम की दूरी के बावजूद न्यूनतम 100 रुपये चार्ज करने की कई शिकायतों के बाद ये नोटिस जारी किया गया है. बेंगलुरु में पहले 2 किमी के लिए न्यूनतम किराया 30 रुपये और उसके बाद प्रत्येक किलोमीटर के लिए 15 रुपये तय किया गया है. ये सर्विसेज ग्राहकों से इससे ज्यादा चार्ज कर रही है.
तेजस्वी सूर्या ने की थी कार्रवाई करने की मांग
इतना ही नहीं बल्कि 6 अक्टूबर को, बेंगलुरु के सांसद तेजस्वी सूर्या ने इस मुद्दे पर अपनी बात रखी थी और सीएम और परिवहन मंत्री से आवश्यक कार्रवाई करने को कहा था. एक ट्वीट में, उन्होंने लिखा, “ऑटो रिक्शा बेंगलुरु में पहली और अंतिम-मील कनेक्टिविटी की रीढ़ हैं. हमें हाल ही में टेक एग्रीगेटरों द्वारा ₹30 की निर्धारित सीमा के बदले न्यूनतम शुल्क के रूप में ₹100 चार्ज करने के संबंध में कई शिकायतें प्राप्त हुईं हैं.” इसके साथ उन्होंने मुख्यमंत्री और परिवहन मंत्री से आवश्यक कार्रवाई करने का अनुरोध किया था.
ऑटो यूनियन मोबाइल ऐप लॉन्च करने की तैयारी में
इसके अलावा, बेंगलुरु स्थित ऑटोरिक्शा चालक 1 नवंबर को अपना खुद का मोबाइल एप्लिकेशन नम्मा यात्री ऐप लॉन्च करने की योजना बना रहे हैं. ऑटोरिक्शा ड्राइवर्स यूनियन (ARDU) नंदन नीलेकणी बैक्ड बेकन फाउंडेशन के समर्थन से ओपन मोबिलिटी नेटवर्क पर आधारित ऐप लॉन्च करने वाले हैं. यह ऑटो चालकों को मदद करेगा. साथ ही जो एग्रीगेटर्स कथित तौर पर ऑटो ड्राइवरों की कमाई से मोटी कमीशन काट लेते हैं वो उन्हें मिल सकेगी. ऐप यात्रियों और ड्राइवरों के बीच डायरेक्ट ट्रांजेक्शन में मदद करेगा. फिलहाल ऐप आधारित एग्रीगेटर ग्राहकों से 100 रुपये न्यूनतम किराया वसूलते हैं, जबकि वे चालक को केवल 60 रुपये देते हैं. बचे हुए 40 रुपये एग्रीगेटर को कमीशन के रूप में जाते हैं.