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दिल्ली-NCR के इन मॉल्स को है खरीदार का इंतज़ार! कभी देश के सबसे बड़े मॉल में होती थी गिनती

Delhi-NCR Malls: कोरोना काल ने भारत के मॉल्स को मुसीबत में डाल दिया है. लोगों की आवाजाही घटने से मॉल्स के कारोबार पर जबरदस्त असर हुआ है. इस वजह से दिल्ली-एनसीआर के कई मॉल्स बिकने को तैयार हैं. एक समय देश के सबसे बड़े मॉल में शुमार नोएडा का द ग्रेट इंडिया प्लेस मॉल और एंबिएंस मॉल की बिक्री की खबर सामने आई है. आइए समझते हैं कि दिल्ली-NCR में मॉल्स की आर्थिक हालत कैसे इतनी खराब हो गई.

Ambience Mall Ambience Mall
हाइलाइट्स
  • नाइट फ्रैंक की रिपोर्ट में मॉल्स की आर्थिक स्थिति का हुआ खुलासा

  • नोएडा का TGIP यानी द ग्रेट इंडिया प्लेस मॉल बिकने को तैयार

भारत में घोस्ट मॉल्स की संख्या बढ़ गई है. घोस्ट मॉल्स यानी वो मॉल्स जहां पर 40 फीसदी एरिया या तो अविकसित है या फिर वो किसी काम में नहीं आ रहा है. घोस्ट मॉल्स की ये जानकारी नाइट फ्रैंक की हालिया रिपोर्ट से सामने आई थी. लेकिन अब वसंत कुंज के एंबिएंस मॉल और नोएडा के द ग्रेट इंडिया प्लेस मॉल की बिक्री की खबर सामने आने के बाद इसका फिर से जिक्र होने लगा है. घोस्ट मॉल्स की इस लिस्ट में देशभर के सभी इलाकों का जिक्र है. लेकिन इस लिस्ट में टॉप पर दिल्ली-NCR है. कुल खाली मॉल्स में से 40 फीसदी दिल्ली-NCR, बेंगलुरु, हैदराबाद और मुंबई में हैं. दिल्ली-NCR में 3.35 मिलियन वर्ग फीट एरिया खाली है तो बेंगलुरु में 1.38 मिलियन वर्ग फीट, हैदराबाद में 1.14 मिलियन वर्ग फीट और मुंबई में 1.14 मिलियन वर्ग फीट एरिया इन मॉल्स के पास है. पुणे और अहमदाबाद में 0.37-0.37 मिलियन वर्ग फीट एरिया खाली है, जबकि चेन्नई में 0.33 मिलियन वर्ग फीट और कोलकाता में 0.33 मिलियन वर्ग फीट एरिया घोस्ट मॉल्स के पास है.

देश के 21% मॉल्स हैं घोस्ट मॉल्स

नाइट फ्रैंक की रिपोर्ट में देश के 8 बड़े शहरों के 271 मॉल्स में से 57 को घोस्ट मॉल करार दिया गया है. ये कुल मॉल्स के 21 फीसदी के बराबर हैं. इन मॉल्स के न्यूनतम 40 फीसदी एरिया को या तो आज भी ग्राहकों का इंतज़ार है या फिर इन्हें विकसित हीं नहीं किया जा सका है. इसकी वजह स्ट्रक्चरल कमी से लेकर मंजूरियों का ना मिलना है. इसके अलावा डिजाइन और मालिकाना हक से जुड़े विवाद भी इसकी वजह हैं. ऐसे में नाइट फ्रैंक की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इन मॉल्स को तुरंत मदद की जरुरत है और ऐसा ना होने पर ये बंद हो सकते हैं.

बिकने को तैयार एंबिएंस मॉल

देश में शॉपिंग मॉल्स को कोरोना ने भारी नुकसान पहुंचाया है. ये नुकसान इतना बड़ा है कि अब कई मॉल्स पर ताला लगने की नौबत आ गई है. इससे बचने के लिए शॉपिंग मॉल्स खुद बिकने के लिए बाजार में तैयार हैं. दिल्ली-NCR में तो हाल कुछ ज्यादा ही बुरे हैं. यहां पर 2 बड़े प्रतिष्ठित मॉल खरीदारों की तलाश कर रहे हैं. इनमें से एक मॉल तो अच्छा खासा चलता हुआ मॉल है, जहां पर दुनिया के दिग्गज ब्रांड्स ने डेरा डाल रखा है. हम बात कर रहे हैं दक्षिण दिल्ली के पॉश इलाके वसंत कुंज का एंबिएंस मॉल है. इंडिया बुल्स का करीब 1200 करोड़ का कर्ज इस मॉल की नीलामी की वजह है. एंबिएंस ग्रुप इस रकम को चुकाने में असमर्थ है, लिहाजा मॉल की नीलामी की योजना बनाई गई थी. इसके लिए 2900 करोड़ रुपये की शुरुआती कीमत को रखा गया था. हालांकि नीलामी की मियाद बीत जाने के बावजूद इस मॉल की बिक्री की कोई खबर सामने नहीं आई है. आजतक ने एंबिएंस ग्रुप के एक निदेशक को मैसेज के ज़रिए ताजा हालात की जानकारी मांगी तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.

200 करोड़ के घोटाले में गिरफ्तार हुए एंबिएंस मॉल के मालिक

एंबिएंस ग्रुप के मालिक राज सिंह गहलौत मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में पिछले साल जुलाई से जेल में हैं. 200 करोड़ की मनी लॉन्ड्रिंग का ये मामला जे एंड के बैंक के 781 करोड़ के लोन से जुड़ा हुआ है. इस मामले में गहलौत की पत्नी शीला गहलौत को मई में जमानत मिली थी. लेकिन राज सिंह गहलौत की जमानत याचिका खारिज हो चुकी है. ऐसे में एंबिएंस मॉल के कर्ज को चुकाने में ये ग्रुप सफल नहीं हो पाया है. अपने कर्ज की वसूली के लिए इंडिया बुल्स ने नीलामी का विकल्प चुना.

DLF ग्रुप ने दिखाई एंबिएंस मॉल में दिलचस्पी

1.2 मिलियन वर्ग फीट में फैले वसंत कुंज के एंबिएंस मॉल में डिश फैशन रिटेलर, एच एंड एम और यूनीक्लो जैसे नामी ब्रांड्स हैं. इस मॉल के नजदीक ही डीएलएफ ग्रुप के भी दो मॉल्स हैं. ऐसे में डीएलएफ की दिलचस्पी भी इस मॉल को खरीदने में है. लेकिन इसे खरीदने से पहले डीएलएफ ग्रुप एंबिएंस मॉल की सारी देनदारी और अनुबंधों की पड़ताल करने में जुटा है.

बिकने वाला है नोएडा का GIP मॉल?

वसंत कुंज के एंबिएंस मॉल के अलावा नोएडा का TGIP यानी द ग्रेट इंडिया प्लेस भी बिकने के लिए तैयार है. कुछ बरस पहले तक इस मॉल के पास देश के सबसे बड़े मॉल का तमगा था. लेकिन अब इस मॉल में आने वालों लोगों की संख्या में भारी कमी आ गई है. लोगों के ना आने से यहां पर मौजूद कई बड़े ब्रांड्स ने भी इस मॉल को अलविदा कह दिया है.

2007 में बनकर तैयार हुआ था TGIP

आज से करीब 15 साल पहले जब यह मॉल बनने के बाद लोगों के लिए खोला गया था तो यहां पर लोगों का हुजूम नजर आता था. यहां पर खाने-पीने, शॉपिंग के अलावा मनोरंजन के लिए मल्टीप्लेक्स तो थे ही साथ ही वर्ल्ड्स ऑफ वंडर एम्यूजमेंट पार्क और किडजानिया भी मौजूद हैं जो खासकर बच्चों के लिए बड़ा आकर्षण है.

2000 करोड़ में चल रही बेचने की बात

TGIP मॉल को अप्पू घर ग्रुप और द यूनिटेक ग्रुप ने मिलकर बनाया था. इस मॉल पर करीब 800 करोड़ का बैंक कर्ज है. मॉल को बेचने की प्रबंधन ने कोई आधिकारिक पुष्टि तो नहीं की है लेकिन जानकारी सामने आई है कि मॉल को करीब 2 हजार करोड़ रुपये में बेचने की योजना बनाई गई है.

नए ग्राहक के लिए TGIP में काफी जमीन है

147 एकड़ में बने TGIP का करीब 17 लाख वर्ग फीट एरिया डेवलप है. इसके अलावा बाकी एरिया खाली है यानी नए खरीदार इसका इस्तेमाल मॉल में विस्तार योजनाओं के लिए भी कर सकते हैं जिसमें किसी भी तरह की कमर्शियल बिल्डिंग को बनाया जा सकेगा.

डीएलएफ मॉल बनने के बाद से घटी TGIP की लोकप्रियता

2016 में डीएलएफ मॉल बनने के बाद से ही जीआईपी की लोकप्रियता घटने लगी. हालत ये हुई कि TGIP की तरफ आने वाला सारा ट्रैफिक इसकी विपरीत दिशा में बने डीएलफ के मॉल ऑफ इंडिया की तरफ मुड़ गया. पहले तो कई ब्रांड्स दोनों मॉल में बने रहे लेकिन TGIP में फुटफॉल घटने के बाद धीरे धीरे ज्यातार ब्रांड्स ने यहां से अपना कारोबार समेटना शुरु कर दिया. इसके बाद तो अब TGIP में गिने-चुने ब्रांड्स ही बचे हैं.

(रिपोर्ट- आदित्य के राणा)