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Exclusive: दसवीं पास किसान ने बनाई ऐसी Food Processing मशीन कि विदेशों से आते हैं ऑर्डर, दूसरे किसानों को भी बनाया बिजनेसमैन

यह कहानी है एक दसवीं पास किसान धर्मबीर कंबोज (Dharambir Kamboj) की, जिन्हें आज दुनियाभर में आविष्कारक (Innovator) और बिजनेसमैन (Businessman) के तौर पर जाना जाता है. अपनी मशीनों के जरिए वह दूसरे किसानों की आय भी बढ़ा रहे हैं.

किसान की सफलता की कहानी किसान की सफलता की कहानी
हाइलाइट्स
  • आविष्कारक और बिजनेसमैन हैं किसान धर्मबीर

  • दसवीं तक पढ़े हैं लेकिन समझते हैं मशीनों की भाषा

  • विदेशों से भी मिल रहे हैं ऑर्डर

'कौन कहता है आसमाँ में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों,' दुष्यंत कुमार की इन पंक्तियों को सुनकर मन जोश से भरने लगता है. और आज हम आपको एक ऐसे इंसान की कहानी बता रहे हैं जो इन पंक्तियों को सार्थक कर रहे हैं. यह कहानी है हरियाणा के एक आम से किसान की, जो अपनी मेहनत और सोच के दम पर देश में ही नहीं दुनिया में भी खास बन गए हैं. 

यमुनानगर के दामला गांव में रहने वाले धर्मबीर कंबोज (Innovator Dharambir Kamboj) सिर्फ दसवीं पास हैं. उनका कहना है कि दसवीं भी उन्होंने जैसे-तैसे पास की क्योंकि पढ़ाई में उनका मन नहीं लगता था. पर स्कूली पढ़ाई में अच्छा न होने का यह मतलब नहीं कि आप में कोई हुनर न हो. धर्मबीर के पास भी एक हुनर था- मशीनें बनाने का हुनर. 

आज इसी के दम पर उन्हें दुनियाभर में आविष्कारक के तौर पर जाना जाता है. सिर्फ आविष्कारक ही नहीं, धर्मबीर एक जैविक किसान और बिजनेसमैन भी हैं. उन्हें अपने काम के लिए National Innovation Award समेत 30 से ज्यादा राज्य और राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं. 

कभी हीटर बनाकर बेचे तो कभी चलाया रिक्शा

किसान धर्मबीर कंबोज

एक छोटे से किसान परिवार में जन्में धर्मबीर भले ही ज्यादा पढ़-लिख नहीं पाए, लेकिन कम उम्र में ही मशीनों का भाषा समझने लगे थे. वह इधर-उधर छोटे-मोटे काम करते हुए गांव में लोगों को कभी हीटर बनाकर तो कभी कोई और मशीन बनाकर बेचते थे. पर घर में आर्थिक तंगी इतनी थी कि उन्हें कमाने के लिए दिल्ली जाना पड़ा. 

दिल्ली जाते समय उनके जेब में बस 70 रुपए थे. 35 रुपए किराए में लग गए और बाकी से खाने-पीने का इंतजाम किया. दिल्ली में कोई और काम नहीं मिला तो रिक्शा किराए पर लेकर चलाना शुरू किया. रहने-खाने का ठिकाना नहीं था. कभी फुटपाथ पर सोते तो कभी प्लेटफॉर्म पर. जो पैसे कमाते, परिवार के लिए बचाते रहते. लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. इसलिए ही तो कुछ महीनों बाद धर्मबीर को गांव लौटना पड़ा. 

खेती करते-करते आया मशीन बनाने का ख्याल 

धर्मबीर ने गांव लौटकर खेती (Organic Farming) करना शुरू किया. महंगे फर्टिलाइजर नहीं खरीद सकते थे तो गोबर की खाद से काम चलाया. पर आज उनका कहना है कि यह भी उनके लिए अच्छा साबित हुआ क्योंकि इससे उनके खेतों का उर्वरकता बनी रही. वह कहते हैं कि वह खेती से कुछ हटकर करना चाहते थे. और किस्मत से उन्हें मौका मिल गया. 

गांव में कृषि विज्ञान केंद्र की तरफ से गुलाबजल बनाने की ट्रेनिंग दी गई. पर अब सवाल था कि इसकी मशीन कहां से आए? धर्मबीर कहते हैं, "मुझे मशीनों की समझ थी तो इसलिए मुझसे मशीन बनवाने के लिए कहा गया. पर जिसे मैनें मशीन बनाने के लिए कहा, उसे मेरी बात समझ नहीं आई. इसके बाद मैने खुद ही मशीन बनाने की ठानी."

उनकी बनाई मशीन

बना दी Multi-purpose Food Processing Machine

कई महीनों की मेहनत के बाद धर्मबीर आखिरकार एक मल्टी-पर्पज़ फूड प्रोसेसिंग मशीन बनाने में कामयाब रहे. इस मशीन की खासियत यह है कि इसमें आप ऐलो वेरा, गुलाब, जामुन, तुलसी, अमरूद, आम, संतरा जैसे कई तरह के फलों और अन्य औषधीय फसलों को प्रोसेस करके इनके जैल, जूस, अर्क जैसे उत्पाद बना सकते हैं. 

मशीन बनाने के बाद धर्मबीर ने अपनी फसलों को खुद प्रोसेस करके उत्पाद बनाना शुरू किया, जिन्हें वे सीधा बाजार में पहुंचाने लगे. उनका काम अच्छा चल निकला तो उनसे और कई किसानों ने यह मशीन बनाने को कहा. इस तरह उनकी मशीन के बारे में National Innovation Foundation (NIF) और Honeybee Network को पता चला. उन्होंने मशीन को चेक किया और पाया कि इस मशीन के जरिए किसानों को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है. 

NIF के सहयोग से धर्मबीर को इस मशीन के लिए न सिर्फ पेटेंट मिला बल्कि आज उनकी मशीन जापान, दक्षिण अफ्रीका, केन्या, नेपाल और नाईज़ीरिया जैसे देशों तक भी पहुंच रही है. उन्हें कई बार विदेश जाकर किसानों को इस मशीन के बारे में बताने और अपनी फसल को प्रोसेस करने की ट्रेनिंग देने का मौका मिला है. धर्मबीर फूड प्रोसेसिंग को CEEW और विलग्रो इनोवेशन फाउंडेशन के संयुक्त प्रोग्राम- Powering Livelihoods Program द्वारा सपोर्ट किया जा रहा है. 

बनाई हैं और भी मशीनें

आज करोड़ों में है कमाई 

आज धर्मबीर लोगों के ऑर्डर पर न सिर्फ मशीनें बना रहे हैं बल्कि अपने खेतों में तरह-तरह की जैविक फसलें लगाकर, इनसे ऑर्गनिक प्रॉडक्ट भी बना रहे हैं. साथ ही, वह NIF के साथ मिलकर देशभर के किसानों की जरूरतों को समझते हुए और नई-नई मशीनों को बनाने पर काम कर रहे हैं. 

उन्होंने हाल ही में मक्का से दूध निकालने वाली मशीन और हल्दी की कटाई करने वाली मशीन बनाई है. ये दोनों ही मशीनें काफी सफल साबित हो रही हैं. धर्मबीर ने बताया कि मक्का से दूध बनाने वाली चीनी मशीन की कीमत किसानों के लिए बहुत ज्यादा है. यह लाखों रुपए की कीमत पर मिलती है. पर धर्मबीर ने इसकी 10 गुना कम कीमत में मशीन बनाई है. खेती, प्रोसेसिंग और मशीनों के निर्माण से आज धर्मबीर करोड़ो में कमा रहे हैं. 

दूसरे किसानों की बढ़ायी आय 

खुद आगे बढ़ने के साथ-साथ उन्होंने सैकड़ों और किसानों को आगे बढ़ाया है. उनकी मशीन और ट्रेनिंग के जरिए बहुत से किसानों ने अपना बिजनेस शुरू किया है. साथ ही, उन्होंने नागालैंड के एक गांव में अपनी मशीनें डोनेट भी की हैं ताकि उन्हें रोजगार के अवसर मिलें. 

कुछ समय पहले उन्होंने अपनी मशीन का सोलर वर्जन भी बनाया ताकि यह क्लीन एनर्जी पर काम करे. साथ ही, दामला गांव में युवा प्रतिभा को निखारने के लिए उन्होंने एक छोटी-सी वर्कशॉप भी लगाई हुई है. जहां गांवों के बच्चे अपने इनोवेटिव आइडियाज पर काम कर सकते हैं.