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EPFO कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने 7 करोड़ से अधिक सदस्यों के लिए बड़ा फैसला किया है. ईपीएफओ ने आंशिक निकासी के नियमों में बदलाव किया है. अब सदसय् अपनी भविष्य निधि में जमा राशि का 100 फीसदी तक निकाल सकेंगे. खाते में 25 फीसदी अंशदान न्यूनतम बैलेंस के रूप में रखने के बाद बची राशि निकासी योग्य कही जाती है. यह फैसला केंद्रीय न्यासी बोर्ड की बैठक में लिया गया.
100 फीसदी रकम निकाल पाएंगे सदस्य-
अब सदस्य निकासी योग्य राशि का 100 फीसदी अंशदान न्यूनतम बैलेंस के रूप में रखने के बाद निकाल सकते हैं. पहले आंशिक निकासी के लिए 13 जटिल प्रावधान थे. बैठ में इनको तीन मुख्य श्रेणियों में बांटा गया है. ईफीएफओ 3.0 के तौर पर व्यापक सदस्य-केंद्रित डिजिटल परिवर्तन ढांचे को भी मंजूरी दी गई है.
क्या हैं 3 कैटेगरी?
आंशिक निकासी के लिए तीन श्रेणियां बनाई गई हैं. इसमें आवश्यक जरूरतें जैसे बीमारी, शिक्षा, विवाह के साथ आवासीय जरूरतें और विशेष हालात को रखा गया है. शिक्षा के लिए 10 और विवाह के लिए 5 बार निकासी संभव है. अभी शिक्षा और विवाह के लिए 3 बार आंशिक निकासी की इजाजत थी.
निकासी के लिए किसी दस्तावेज की जरूरत नहीं-
आंशिक निकासी के लिए न्यूनतम सेवा आवश्यकता 12 महीने की है. विशेष हालात में आपदा, बेरोजगारी जैसा कारण बताना जरूरी नहीं है. आंशिक निकासी के लिए किसी भी तरह के दस्तावेज की जरूरत खत्म कर दी गई है. इसमें क्लेम का 100 फीसदी ऑटो सेटलमेंट होगा.
फाइनल सेटलमेंट का टाइम बढ़ाया गया-
ईपीएफ के प्रीमैच्योर फाइनल सेटलमेंट की अवधि 2 से बढ़ाकर 12 महीने और फाइनल पेंशन निकासी की अवधि 2 से बढ़ाकर 36 महीने कर दी गई है. ईपीएफओ ने ये सुनिश्चित किया है कि सदस्य अपनी अंशदान की राशि का कम से कम 25 फीसदी हमेशा शेष राशि के रूप में बनाए रखें.
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