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Farmer Success Story: दो देसी गायों से शुरू किया बिजनेस, अब 10 करोड़ है सालाना कमाई... जानिए कैसे सफल हुआ Hetha का ऑर्गैनिक मॉडल

असीम सिंह रावत ने बताया कि हेता संस्था का उद्देश्य देसी गायों के साथ ईमानदारी और एथिकल तरीके से काम करना था. उनके मन में सवाल था, क्या देसी गायों के साथ एक सस्टेनेबल बिजनेस बनाया जा सकता है? उन्हें इसका जवाब हां के रूप में मिला है.

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गाजियाबाद की हेता संस्था ने देसी गायों के पालन और पंचगव्य उत्पादों के माध्यम से एक प्रेरणादायक सफलता की कहानी लिखी है. संस्था के संस्थापक असीम सिंह रावत ने 10 साल पहले दो गायों से शुरुआत की थी, और आज यह संस्था 1100 गौवंश, 110 कर्मचारियों और 130 से अधिक उत्पादों के साथ 10 करोड़ रुपए का सालाना रेवेन्यू उत्पन्न कर रही है. यह संस्था बिना किसी दान के खुद को चलाती है और अपने उत्पादों को भारत और विदेशों में भेजती है.

दो गायों से हुई थी शुरुआत
असीम सिंह रावत ने बताया कि हेता संस्था का उद्देश्य देसी गायों के साथ ईमानदारी और एथिकल तरीके से काम करना था. उन्होंने किसान तक के साथ खास बातचीत में कहा, "हमने शुरुआत में यह जानने की कोशिश की कि क्या देसी गायों से कोई संस्था चल सकती है." दो गायों से शुरू हुई इस यात्रा में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन आज संस्था 1100 गौवंश और 130 उत्पादों के साथ एक सफल मॉडल बन चुकी है.

एक और एक 1100
संस्था के विस्तार के बारे में बात करते हुए असीम ने कहा, "हमने सारी गायें खरीदी नहीं. कुछ गायें हमें दान में मिलीं, और कुछ लोगों ने अपनी बंद होती डेयरियों से हमें दीं." उन्होंने बताया कि संस्था ने गिर, साहिवाल और थारपारकर जैसी नस्लों की गायों को अपनाया है. उत्तराखंड में बद्री गायों के लिए भी तीन यूनिट्स चल रही हैं.

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पंचगव्य से मिली सफलता
असीम ने बताया कि संस्था दूध, घी, छांछ, मक्खन, खोया जैसे उत्पादों के साथ-साथ गौमूत्र और गोबर से फिनाइल, दवाइयों के अर्क और खाद भी बनाती है. उन्होंने कहा, "हमने दूध, गौमूत्र और गोबर सहित तीनों चीज़ों का उपयोग किया. सिर्फ दूध बेचने से सफलता कठिन हो जाती." संस्था के उत्पादों की गुणवत्ता और लाइसेंसिंग पर विशेष ध्यान दिया गया है.

सालाना रेवेन्यू और प्रॉफिट
असीम की मेहनत से संस्था का सालाना रेवेन्यू 10 करोड़ रुपए हो गया है. असीम ने स्पष्ट किया, "यह प्रॉफिट नहीं है, बल्कि रेवेन्यू है. इसमें सैलरी, गायों के रखरखाव और अन्य खर्चे शामिल हैं." संस्था अपने प्रॉफिट को दोबारा निवेश करती है ताकि इसे और बेहतर बनाया जा सके.
 

असीम ने नए डेयरी फार्मर्स को सलाह दी कि वे दो गायों से शुरुआत करें और धीरे-धीरे अपने काम को समझें. उन्होंने कहा, "कृषि और गोपालन एक वे ऑफ लाइफ है. यह तुरंत पैसा बनाने का तरीका नहीं है." उन्होंने यह भी कहा कि देसी गायों के पंचगव्य उत्पादों का उपयोग करके ही सफलता संभव है.

हेता संस्था की यह कहानी न केवल डेयरी फार्मिंग में रुचि रखने वालों के लिए प्रेरणादायक है, बल्कि यह दिखाती है कि देसी गायों के साथ एथिकल और टिकाऊ तरीके से काम करके भी बड़ा व्यवसाय खड़ा किया जा सकता है.