scorecardresearch

पिता नहीं चाहते थे बेटा भी बने कुम्हार, पर बेटे ने बनाए मिट्टी के ऐसे प्रोडक्ट्स कि अब कमाई है करोड़ों में

गुजरात में मोरबी जिले के वांकानेर में रहने वाले मनसुख को आज एक आविष्कारक और उद्यमी के तौर पर जाना जाता है. लेकिन एक जमाना था, जब उनकी पहचान सिर्फ एक कुम्हार का बेटा होने तक सीमित थी. अक्सर लोग अपनी ज़िंदगी बनाने के लिए अपना छोटा पेशा त्यागकर बड़ी नौकरियां कर लेते हैं. लेकिन मनसुख ने अपने पारंपरिक पेशे को ही बड़ा बनाया और इसी में आज करोड़ो का कारोबार खड़ा किया है. 

मनसुख प्रजापति (साभार: फेसबुक) मनसुख प्रजापति (साभार: फेसबुक)
हाइलाइट्स
  • मात्र दसवीं तक पढ़े हैं मनसुख

  • शुरू की अपनी कंपनी 'मिट्टीकूल'

  • विदेशों में भी जाते हैं उनके बनाए प्रोडक्ट्स

बहुत पहले एक फिल्म में सुना था कि ज़िंदगी में दो ही चीजें होती हैं. एक मेहनत और दूसरी किस्मत. गरीब के पास किस्मत नहीं होती तो बची मेहनत जिसके दम पर वह अपनी किस्मत बना सकता है. यह बात गुजरात के मनसुख भाई प्रजापति पर एकदम सटीक बैठती है. 

क्योंकि एक समय था जब उनके हिस्से में सिर्फ मेहनत थी और उन्होंने मेहनत का दामन ऐसा थामा कि आज न सिर्फ उनकी बल्कि उनसे जुड़े बहुत से लोगों की किस्मत बन गई. मोरबी जिले के वांकानेर में रहने वाले मनसुख को आज एक आविष्कारक और उद्यमी के तौर पर जाना जाता है. 

लेकिन एक जमाना था, जब उनकी पहचान सिर्फ एक कुम्हार का बेटा होने तक सीमित थी. अक्सर लोग अपनी ज़िंदगी बनाने के लिए अपना छोटा पेशा त्यागकर बड़ी नौकरियां कर लेते हैं. लेकिन मनसुख ने अपने पारंपरिक पेशे को ही बड़ा बनाया और इसी में आज करोड़ो का कारोबार खड़ा किया है. 

कभी साइकिल पर बेचे मिट्टी के बर्तन: 

मनसुख अपने परिवार के साथ गांव में रहते थे. उनका पुश्तैनी काम मिट्टी के मटके और बर्तन आदि बनाकर बेचना था. लेकिन इस काम में ज्यादा कमाई नहीं थी. इसलिए उनके पिता चाहते थे कि मनसुख कुछ अलग करें ताकि घर-परिवार सही से चल पाए. 

पर दसवीं तक पढ़े मनसुख से अगर कोई पूछता तो उनका मन मिट्टी में ही लगता था. वह अपने पुश्तैनी काम को आगे बढ़ाना चाहते थे लेकिन कुछ अलग तरीके से. पर पिता की बात मानकर उन्होंने कई अलग-अलग जगह काम किया. 

उन्होंने साइकिल पर मिट्टी के बर्तन बेचे, फिरआटा फैक्ट्री में काम किया. लेकिन फैक्ट्री में उनकी आँख में चोट आ गई थी, जिसके बाद वह काफी समय घर पर रहे. ठीक हुए तो एक बार फिर काम करने की ठानी और अपना चाय की टपरी खोल ली. इसे कुछ दिन चलाने के बाद उन्होंने सिरेमिक टाइल इंडस्ट्री में नौकरी ले ली. 

खुद बनाई मिट्टी के बर्तन बनाने वाली मशीनें: 

सिरेमिक टाइल कंपनी में उन्होंने बहुत कुछ सीखा और लगभग पांच साल तक काम किया. साल 1995 में उन्होंने एक बार फिर अपने पुश्तैनी काम से जुड़ने का फैसला किया. लेकिन इस बार उन्होंने अलग तरीकों से काम किया. मिट्टी के सामान्य मटके, कटोरे बनाने की बजाय उन्होंने रसोई के लिए मिट्टी के बर्तन बनाने की ठानी.

सबसे पहले उन्होंने तवा बनाने के लिए मशीन तैयार की और फिर मिट्टी की प्लेट और चम्मच आदि बनाने के लिए. इसके अलावा कई तरह के प्रयोग करके उन्होंने मिट्टी से एक वाटर फिल्टर भी बनाया. मनसुख का कहना है कि वह गांव-देहात के लोगों की समस्याओं को देखते हुए चीजें बनाने लगे. 

(साभार: फेसबुक)

बनाया मिट्टी का फ्रिज- मिट्टीकूल:

मनसुख का अब तक का सबसे बड़ा और अनोखा अविष्कार है ‘मिट्टीकूल.’ यह मिट्टी से बना फ्रिज है, जिसे बिना बिजली के कहीं भी चलाया जा सकता है. उनके बनाए इस फ्रिज में आपकी फल-सब्जियां लगभग एक हफ्ते तक सुरक्षित रहती हैं. 

वहीं, दूध की बात करें तो इसमें 24 घंटे तक दूध रह सकता है. मनसुख का कहना है कि ग्रामीण इलाकों में लोग महंगे इलेक्ट्रिक फ्रिज नहीं खरीद सकते हैं और अगर ले भी लें तो बिजली की बहुत समस्या है. इसलिए उन्होंने मिट्टीकूल को बनाया ताकि यह लोगों को सस्ता भी पड़े और बिना बिजली इस्तेमाल भी हो जाए. 

लेकिन आज उनका यह फ्रिज न सिर्फ गांवों में बल्कि बड़े शहरों के घरों में भी अपनी जगह बना रहा है.    

शुरू की अपनी कंपनी: 

मनसुख की राह में चुनौतियों की कमी नहीं थी. लेकिन वह मेहनत करते रहे और एक दिन हनी बी नेटवर्क के संस्थापक प्रोफेसर अनिल गुप्ता को उनके बारे में पता चला. अनिल गुप्ता के प्रयासों से मनसुख को नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन की तरफ से अपना उद्यम शुरू करने के लिए मदद मिली.

उन्हें अपने अनोखे मिट्टी के आविष्कारों के लिए नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन से राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिले हैं. 2001 में उन्होंने अपनी कंपनी ‘मिट्टीकूल प्राइवेट लिमिटेड’ की शुरुआत की. जिसका टर्नओवर आज करोड़ों रुपयों में है. उन्होंने वांकानेर स्थित अपनी वर्कशॉप में सैकड़ों लोगों को रोजगार दिया हुआ है. 

बनाए 150 से ज्यादा मिट्टी के आइटम: 

मनसुख अब तक 150 से ज्यादा मिट्टी के आइटम बना चुके हैं जिनमें फ्रिज और फिल्टर के अलावा प्लेट, चम्मच, तवा, कड़ाही, प्रेशर कुकर, नॉन-स्टिक तवा, गिलास, बोतल, कटोरी आदि शामिल हैं. उनके बनाए बर्तन आज विदेशों तक जा रहे हैं. 

(साभार: फेसबुक)

अब आगे उनकी योजना मिट्टीकूल घर बनाने की है. जिसका एक प्रोटोटाइप उन्होंने तैयार भी किया है. लेकिन उनका बड़े लेवल पर इको-फ्रेंडली और सस्टेनेबल घर बनाने की है. और इस योजना पर वह लगातार काम कर रहे हैं. 

पूर्व-राष्ट्रपति कलाम ने भी सराहा था: 

मनसुख को नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन के जरिये पूर्व-राष्ट्रपति कलाम से भी मिलने का मौका मिला था. उनका कहना है कि कलाम साहब ने उनसे बात करने के लिए 15 मिनट निकाले थे और उनके लिए इससे ज्यादा ख़ुशी व गर्व की बात कोई और नहीं हो सकती.

उन्हें आज भी वह पल स्मरण है, जब कलाम साहब ने उन्हें उनके काम के लिए सराहा था और उन्हें एक सच्चा वैज्ञानिक कहा था. इस बात में कोई दो राय नहीं है कि मनसुख प्रजापति हम सबके लिए एक प्रेरणा हैं.