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Exclusive: फूड वेस्ट और कीड़ों का इस्तेमाल कर किसानों का आय बढ़ाने का काम कर रहे हैं ये IITian

बेंगलुरु स्थित बायोटेक्नोलॉजी स्टार्टअप Loopworm उच्च गुणवत्ता वाला चारा बनाने के लिए ब्लैक सोल्जर फ्लाई (बीएसएफ) कीड़ों का उपयोग क रहा है. साथ ही, हर दिन 50 टन फूड वेस्ट को कचरे में जाने से रोक रहा है. जानें पूरी कहानी.

Founders of Loopworm Founders of Loopworm
हाइलाइट्स
  • IIT Roorkee से पढ़े हैं अंकित आलोक बगड़िया और अभी गावड़ी

  • पढ़ाई के दौरान ही दोनों ने ठान लिया था कि वे नौकरी न करके बिजनेस करेंगे

बात अगर धरती पर मौजूद अलग-अलग जीव-जंतुों की करें तो दुनिया में सबसे ज्यादा संख्या कीडों (Insects) की हैं. दुनिया में कीड़ों की एक मिलियन से ज्यादा प्रजातियां हैं. और एक अनुमान है कि इस धरती पर लगभग 40% कीड़े हैं. दिलचस्प बात यह है कि हमारे इको-सिस्टम के लिए ये कीड़े बहुत जरूरी हैं. 

इंसानों के लिए भी कीड़े बहुत मददगार हैं. क्योंकि इनकी मदद से धरती पर संतुलन बना हुआ है. अब कीड़ों का नाम सुनकर आपको भले ही 'यक' फीलिंग आए, लेकिन आज GNT Digital आपको मिलवा रहा है ऐसे दो युवाओं से जिन्होंने कीड़ों को कमाई का साधन बना लिया है. 

IIT Roorkee से पढ़े अंकित आलोक बगड़िया और अभी गावड़ी, बेंगलुरु में अपना स्टार्टअप, Loopworm चला रहे हैं. जिसके जरिए वे वेस्ट मैनेजमेंट (कचरा-प्रबंधन), हाई-क्वालिटी एनिमल फीड बनाने (मछली व मुर्गियों के लिए हाई-क्वालिटी का फूड) और किसानों का आय बढ़ाने के मॉडल पर काम कर रहे हैं. 

पढ़ाई के दौरान मिला आइडिया 

GNT Digital से बात करते हुए अंकित ने बताया कि वह और अभी एक साथ पढ़े हैं. अंकित ने केमिकल इंजीनियरिंग में बीटेक व एमटेक की इंटिग्रेटेड डिग्री की है और अभी ने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की है. दोनों अच्छे दोस्त हैं और पढ़ाई के दौरान ही दोनों ने ठान लिया था कि वे नौकरी न करके बिजनेस करेंगे. हमेशा से उनका मन 'Social Entrepreneurship' यानी कि समाज की भलाई के लिए बिजनेस करने में था. इसलिए उन्होंने कई अलग-अलग आइडियाज पर चर्चा की.

आखिरकार, उन्हें United Nations की एक रिपोर्ट पढ़ने के बाद आइडिया मिला कि वे इंसेक्ट-बेस्ड मार्केट में हाथ आजमा सकते हैं. अंकित बताते हैं, "हमें पता चला कि कुछ कीड़ों को फूड-वेस्ट दिया जाता है, जिसे वे डीकंपोज कर देते हैं और इससे उन्हें न्युट्रिशन मिलता है. इससे कीड़ों में प्रोटीन, फैट और दूसरे पोषक तत्वों की मात्रा काफी हो जाती है. जिसके बाद इन कीड़ों से इस पोषण को एक्सट्रैक्ट (बाहर निकलना) किया जाता है और इस पोषण से दूसरे जीव जैसे मछलियों और मुर्गियों के  लिए फूड प्रॉडक्ट बनाए जाते हैं."

देश में बहुत से किसान खेती के साथ-साथ मछली पालन, मुर्गीपालन आदि करते हैं और उन्हें लगातार उनके लिए खाने की जरूरत होती है पर बाजार में हाई-क्वालिटी का एनिमल फीड नहीं मिल पाता है. ऐसे में, अंकिच और अभी ने इस दिशा में काम करने की ठानी. 

हर दिन करते हैं 50 टन फूड-वेस्ट को मैनेज 

Black Soldier Fly

साल 2019 में अंकित और अभी ने अपने स्टार्टअप की नींव रखी. उन्होंने कई महीनों तक रिसर्च करके तय किया कि वे Black Soldier Fly (BSF) नामक इंसेक्ट पर काम करेंगे. इस इंसेक्ट के लारवा से अच्छा प्रोटीन और फैट मिलता है और अन्य जीवों के लिए अच्छा रहता है. 

अंकित और अभी ने पहले बहुत छोटे स्तर पर अपना काम किया और अलग-अलग जगह पर इसकी टेस्टिंग कराई. सब तरफ से एप्रुवल मिलने के बाद ही उन्होंने मार्केट में उतरने का फैसला किया. अपने काम के बारे में उन्होंने बताया कि सबसे पहले उन्होंने फूड वेस्ट इकट्ठा करने पर फोकस किया क्योंकि कीड़ों को पनपने के लिए कचरे की जरूरत होती है. 

इसके लिए वे अलग-अलग जगह से फूड वेस्ट इकट्ठा करके लैब में लाते हैं. अपने सेटअप में वे इन इंसेक्ट को ग्रो करते हैं और इनके ग्रो होने के बाद, इन इंसेक्ट से प्रोटीन और फैट कलेक्ट किया जाता है. जिसे वे एनिमल फीड बनाने वाली कंपनियों को दे रहे हैं. फिलहाल वह प्रोटीन पाउडर, इंसेक्ट ऑयल, और इंसेक्ट फ्रास जैसे प्रोडक्ट्स बना रहे हैं. 

किसानों का आय बढ़ाने का मॉडल 

अंकित कहते हैं कि आने वाले समय में उनकी योजना किसानों के साथ सीधा जुड़कर काम करने की है. किसानों को हाई-क्वालिटी का एनिमल फीड मिलने से उन्हें अच्छा उत्पादन मिलेगा. साथ ही, उनकी योजना है कि वे किसानों को इंसेक्ट फार्मिंग से जोड़ें. जिससे किसान उनसे ट्रेनिंग लेकर खुद इस तरह से इंसेक्ट को पालें औप फिर उनका प्रोटीन व फैट कंपनियों को बेचकर अच्छी कमाई करें. 

फिलहाल वह कर्नाटक में 10 किसानों के समुह के साथ जुड़ने वाले हैं. लेकिन आने वाले एक साल में उनकी योजना इस संख्या को बढ़ाने की है. उनका कहना है कि किसान एक बार की लागत से अपने खेत में लैब फैसिलिटी बनाकर काम शुरू कर सकते हैं. 

अंकित कहते हैं कि यह इंडस्ट्री बहुत बड़ी है. कई कंपनियां इस सेक्टर में काम कर रही हैं. उन्हें अपने बिजनेस के लिए कर्नाटक सरकार और केंद्र सरकार की योजनाओं के तहत एक करोड़ रुपए से ज्यादा की फंडिंग मिली है. और आने वाले कुछ सालों में उनकी कंपनी का रेवेन्यू लगभग 50 लाख रुपए होगा. इसलिए वे चुनौतियों का सामना करते हुए लगातार आगे बढ़ रहे हैं.