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Mother's Day Exclusive: मां-बेटी से लेकर बिजनेस पार्टनर तक, रिश्ते की नई परिभाषा गढ़ रही हैं खिलौनेवाली, 20 लाख से ज्यादा है कमाई

Mother's Day Exclusive: यह कहानी है राजस्थान मे रहने वाली एक मां-बेटी की जोड़ी की, जो अब बिजनेस पार्टनर भी हैैं और लोगों के लिए क्वालिटी से भरपूर और क्यूट हैंडमेड स्टफ्ड खिलौने बना रही हैं.

Mayuri and Kiranbala with their handmade stuffed toys Mayuri and Kiranbala with their handmade stuffed toys
हाइलाइट्स
  • Stuffed Toys बनाती हैं ये मां-बेटी

  • हर महीने मिल रहे हैं 150-200 ऑर्डर

जिंदगी में जब भी कोई चोट लगती है तो सबसे पहले जुबां से 'मां' निकलता है. एक किताब में पढ़ा था कि जहां मां रहने लग जाए वही घर हो जाता है. यह बात सच है क्योंकि मां होती ही ऐसी है जो आपके लिए अपने दायरों से बढ़कर काम करती है. इस Mother's Day 2022 के मौके पर हम आपको सुना रहे हैं एक ऐसी मां की कहानी, जो पहले अपनी बेटी के लिए प्रेरणा बनी और अब बेटी के साथ मिलकर सफल बिजनेस चला रही हैं. 

राजस्थान के उदयपुर में रहने वाली मयूरी सिसोदिया अपने परिवार के साथ मिलकर हैंडमेड स्टफ्ड खिलौनों का बिजनेस चला रही हैं. जिसका नाम है Eddie Teddie Toys. इस बिजनेस को पूरा सिसोदिया परिवार मिलकर चला रहा है. लेकिन इसका आधार हैं उनकी मां, किरणबाला सिसोदिया. हर एक खिलौने को किरणबाला अपने हाथों से बनाती हैं. 

अपनी बेटियों के लिए बनीं मिसाल 

Good News Today से बात करते हुए मयूरी ने बताया कि वह एक पारंपरिक राजपूत परिवार से आती हैं. जहां महिलाओं को घूंघट से बाहर आने की इजाजत नहीं होती और बहुत कम उम्र में लड़कियों के पैरों में शादी नाम की जंजीर बांध दी जाती है. ऐसे में, उनके सपने और आशाएं अपने आप दम तोड़ देते हैं. 

पर किरणबाला को यह मंजूर नहीं था. क्योंकि उनके हाथों में हुनर भरे पड़े थे. सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, ऐसा क्या है जो किरणबाला नहीं जानती हैं. मयूरी कहती हैं कि बचपन में उन्होंने एक से बढ़कर एक डिजाइनर कपड़े पहने, जिन्हें उनका अपनी मां उनके लिए बनाती थीं. भरा-पूरे संयुक्त परिवार की जिम्मेदारियों को निभाने के बाद रात-रात भर बैठकर किरणबाला अपने बच्चों के लिए कपड़े औप खिलौने बनाती थीं. 

उनका शौक ऐसा था कि उनके बनाए कपड़े देखकर उन्हें बाहर से ऑर्डर मिलने लगे. संयुक्त परिवार में बाहर जाकर काम करने की इजाजत मिलना मुश्किल था इसलिए घर से ही अपना काम शुरू किया. छोटा-सा बिजनेस चल निकला. घर और काम को संभालना मुश्किल था पर किरणबाला ने हार नहीं मानी. और उनका यही जज्बा उनकी बेटियों के लिए मिसाल बना. मयूरी कहती हैं कि उन्होंने अपनी मां को हमेशा आत्मनिर्भर देखा और इसलिए उनके मन में भी अपने पैरों पर खड़े होने की जिद थी. 

बच्चों के सपनों को दी उड़ान 

बनाते हैं क्वालिटी हैंडमेड खिलौने

मयूरी ने आगे बताया कि मार्केट में चीनी सस्ते खिलौने आने से किरणबाला के खिलौनों की बिक्री कम हुई. कुछ सालों बाद किरण ने यह काम बंद कर दिया क्योंकि लोग सस्ते के चक्कर में प्लास्टिक के खिलौनों की तरफ जा रहे थे. और किरण हर काम हाथ से करती थीं इसलिए उनकी मेहनत ज्यादा थी तो दाम भी थोड़े ज्यादा थे. 

किरण ने अपने काम को बंद करके बच्चों पर ध्यान दिया क्योंकि वे बड़े हो रहे थे. मयूरी बताती हैं कि वह होटल मैनेजमेंट करना चाहती थीं और फिर नौकरी. लेकिन एक राजपूत परिवार की बेटी होटल इंडस्ट्री में काम करे, यह बात सबके नहीं पचती. ऐसे में अपनी बेटी के सपनों के लिए किरणबाला ढाल बनकर खड़ी हो गईं. 

मयूरी कहती हैं कि उनकी मां ने उन्हें कभी कोई काम करने से नहीं रोका. यहां तक कि उन्होंने कभी अपने बच्चों को सौ तरह के सही-गलत नियम भी नहीं बताए बल्कि अपने बच्चों पर विश्वास किया. और इस विश्वास ने मयूरी को आगे बढ़ने की और अपनी पहचान बनाने की ताकत दी. 

60+ की उम्र में बेटी संग शुरू किया बिजनेस 

अपने माता-पिता के साथ से मयूरी ने लगभग 12 साल अच्छे होटल ब्रांड्स के साथ काम किया. पर 2018 में उन्हें लगा कि वह कुछ और कर सकती हैं. उन्होंने नौकरी छोड़ने का मन बनाया और इस पर भी उनकी मां ने उनका साथ दिया. मयूरी अपना कुछ करना चाहती थी पर क्या? इसका जबाव भी उन्हें अपनी मां में ही मिला. 

किरणबाला का खिलौने बनाने का शौक जो सालों पहले छूट गया था, वह एक बार फिर निखरने लगा. मां-बेटी की इस जोड़ी ने अपन खुद का बिजनेस शुरू किया. जिसमें मयूरी के पिता और बहन भी शामिल हैं. किरणबाला एक से एक डिजाइन के खिलौने, और कुशन आदि बनाती हैं. वहीं, मयूरी बिजनेस का आगे बढ़ा रही हैं. 

उनका कहना है कि बिजनेस शुरू करने के लगभग 3 साल बाद, अब वे हर महीने 150-200 ऑर्डर पूरा करते हैं. इससे वह हर महीने दो लाख रुपए तक की कमाई कर रहे हैं. साथ ही, उन्होंने और 3 मांओं को काम दिया हुआ है. 

हर मां के लिए एक संदेश 

मयूरी कहती हैं कि उनकी मां ने उन्हें उड़ान दी है और साथ ही, जमीन से भी जोड़े रखा है. बिजनेस में परेशानी कितनी भी रहें पर उनकी मां बस यही कहती हैं कि सब हो जाएगा. मां का यह विश्वास मयूरी को हारने नहीं देता. वहीं, 63 साल की उम्र में किरणबाला अपने पीछे छूटे हुए सपनों को जी रही हैं. 

अंत में किरणबाला अन्य सभी मांओं के लिए यही संदेश देती हैं कि बेटियों के सपनों को भी उतनी ही उड़ान मिलनी चाहिए जितनी हम अपने बेटों के सपनों को देते है. बेटियों को भी पूरी आज़ादी मिलनी चाहिए अपना जीवन संवारने की और आगे बढ़ने की, बिना किसी दबाव के ताकि वे भी परिवार की ज़िम्मेदारियों से आगे अपने लिए कुछ सोच पाएं. 

अगर आप उनके बनाए खिलौने खरीदना चाहते हैं तो उनका इंस्टाग्राम पेज (@eddieteddietoys) देख सकते हैं.