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Raksha Bandhan 2025: रक्षाबंधन पर इस साल 17 हजार करोड़ रुपए के बिजनेस की उम्मीद

इस साल रक्षाबंधन का त्योहार 9 अगस्त को पड़ रहा है. कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के एक अनुमान के मुताबिक इस साल देशभर में राखी पर करीब 17 हजार करोड़ रुपए के व्यापार की उम्मीद है. जबकि मिठाई, फल एवं गिफ्ट आदि के रूप में लगभग 4 हजार करोड़ रुपए का भी व्यापार होने की संभावना है.

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राखी के त्यौहार को लेकर दिल्ली सहित देश के बाजारों में भारी चहल पहल को देखते हुए कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने 17,000 करोड़ रुपए के कारोबार की उम्मीद जताई है. यानी अमेरिकी राष्ट्रपति के बयान को भारत की जनता और कारोबारी गलत साबित करेंगे. दिल्ली सहित देश भर के बाजारों में राखी के त्यौहार की खरीदी को लेकर भारी भीड़ दिखाई दे रही है, जिससे चारों तरफ उत्साह और ऊर्जा का माहौल है.

17 हजार करोड़ के कारोबार की उम्मीद-
कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के एक अनुमान के मुताबिक इस वर्ष देश भर में राखी त्यौहार पर लगभग 17 हजार करोड़ रुपए के व्यापार की उम्मीद है. जबकि मिठाई, फल एवं गिफ्ट आदि के रूप में लगभग 4 हजार करोड़ रुपए का भी व्यापार होने की संभावना है. चीन की बनी हुई कोई भी राखी अथवा त्यौहारों का सामान बाजार से पूरी तरह नदारद है. 

इस बार खास दिन पर है राखी-
हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के जरिए हमारी सेनाओं ने अपनी अनूठी वीरता एवं शौर्य का प्रदर्शन किया है और राखी वाले दिन 9 अगस्त को ही भारत छोड़ो आंदोलन की तिथि भी है. इसलिए इस बार राखी त्यौहार पर भावनाओं की डोर और देशभक्ति की थालियों से बाजार सजे हुए हैं और उपभोक्ताओं के लिए खरीदी के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. चांदनी चौक से सांसद एवं कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि इस बार रक्षाबंधन केवल भाई-बहन के प्रेम का उत्सव नहीं रहेगा, बल्कि यह राष्ट्रप्रेम और आत्मनिर्भर भारत की भावना से भी ओत-प्रोत होगा. 

इनोवेशन वाली राखियों की धूम-
उन्होंने कहा कि इस बार राखियों में विशेष रूप से फौजियों को समर्पित राखियों द्वारा एक भावनात्मक संदेश भी सभी शहरों में फौजियों को राखी बांधकर फैलाया जा रहा है. इस बार राखी के त्यौहार पर इनोवेशन वाली राखियों की धूम है. जिसमें अन्य राखियों के अलावा 'वोकल फॉर लोकल’ से ‘डिजिटल राखी’ तक और ऑपरेशन सिंदूर से लेकर मोदी रखी, आत्मनिर्भर भारत राखी, जयहिंद राखी, भारत माता की जय, विकसित भारत, वंदेमातरम राखी जैसी अनेक प्रकार की आकर्षक राखियों की बाजार में बड़ी मांग है. वहीं, दूसरी तरफ इस साल बाजारों में पारंपरिक राखियों के साथ नवाचार से भरी 'थीम बेस्ड' राखियां धूम मचा रही हैं, जिनमें इको-फ्रेंडली राखियां मिट्टी, बीज, खादी, बांस व कपास से बनी राखी शामिल हैं. इसके अलावा कस्टमाइज राखियां भाई-बहन की फोटो और नाम के साथ राखियों की धूम है. 

महिला सशक्तिकरण को प्रोत्साहन-
देश के विभिन्न क्षेत्रों की कला और संस्कृति को समेटे हुए, 'वसुधैव कुटुंबकम' थीम पर आधारित राखियां भी हैं. कोसा राखी (छत्तीसगढ़), जूट राखी (कोलकाता), रेशम राखी (मुंबई)खादी राखी (नागपुर), सांगानेरी राखी (जयपुर), बीज राखी (पुणे) बांस राखी (झारखंड), चाय पत्ती राखी (असम), मधुबनी राखी (बिहार) आदि प्रमुख रूप से बिक रही हैं. खंडेलवाल ने बताया कि इनमें से कई राखियां स्थानीय महिला उद्यमियों, स्वयं सहायता समूहों और कारीगरों ने बनाई हैं. इससे महिला सशक्तिकरण और स्थानीय उद्योग को भी प्रोत्साहन मिल रहा है. खंडेलवाल ने बताया कि भारत में अब उपभोक्ता त्योहारों को गर्व और आत्मसम्मान के साथ मना रहे हैं और 'मेक इन इंडिया' को हर घर तक पहुंचा रहे हैं. इस वर्ष 9 अगस्त को मनाया जाने वाला रक्षाबंधन न केवल पारंपरिक पर्व है, बल्कि यह “व्यापारिक अवसर”, “राष्ट्रीय गौरव” और “सांस्कृतिक धरोहर” को भी जोड़ने जा रहा है. व्यापारी समुदाय इसे एक सोशल-कमर्शियल मूवमेंट के रूप में देख रहा है और पूरे जोश और जुनून के साथ तैयारियों में जुटा हुआ है. राखी 2025 रिश्तों की नहीं, राष्ट्र की भी डोर बांधेगी.

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