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Narayan Majumdar Success Story: कभी साइकिल से घर-घर जाकर खरीदते थे दूध, आज करोड़ों की कंपनी Red Cow Dairy के मालिक हैं नारायण मजूमदार

Red Cow Dairy Success Story: नारायण मजूमदार को बीएससी की पढ़ाई पूरी करने के लिए पार्ट टाइम जॉब करना पड़ा. वो रोजाना सुबह 5 बजे से 7 बजे तक दूध बेचते थे. जिससे 3 रुपए रोजाना कमाई होती थी. इसके अलावा मजूमदार को पढ़ाई के लिए पुश्तैनी जमीन भी बेचनी पड़ी. उन्होंने कई बार नौकरी बदली और बाद में उन्होंने डेयरी प्लांट लगाया.

Red Cow Dairy Founder Narayan Majumdar (Photo/Redcowdairy.in) Red Cow Dairy Founder Narayan Majumdar (Photo/Redcowdairy.in)

एक किसान का बेटा दूध बेचकर पढ़ाई का खर्च निकालता था. पढ़ाई पूरी करने के बाद उसने डेयरी केमिस्ट के तौर पर नौकरी शुरू की. लेकिन जल्द ही उसने नौकरी छोड़ दी. इसके बाद कई जगहों पर काम किया. आखिर में उसने साल 1999 में अपना चिलिंग प्लांट खोला. इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा. उस लड़के ने डेयरी कंपनी बनाई और आज सैकड़ों करोड़ का कारोबार करता है. रेड काउ डेयरी (Red Cow Dairy) के मालिक नारायण मजूमदार (Narayan Majumdar) की कहानी बताते हैं.

दूध बेचकर की पढ़ाई-
नारायण मजूमदार का जन्म 25 जून 1958 में पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में हुआ था. उनके पिता बिमलेंदु मजूमदार किसान थे. जबकि मां बसंती गृहणी थीं. उनकी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई स्थानीय स्कूल में हुई. साल 1979 में नारायण ने करनाल के एनडीआरआई में डेयरी टेक्नोलॉजी से बीएससी किया. उनके पास फीस के 250 रुपए नहीं थे. इसलिए उन्होंने फर्स्ट ईयर में पढ़ाई के दौरान दूध बेचने का काम किया. जिससे रोजाना 3 रुपए मिलते थे. पढ़ाई के लिए उनको पुश्तैनी जमीन भी बेचनी पड़ी थी.

विदेश में नौकरी, फिर कोलकाता लौटे-
पढ़ाई पूरी होने के बाद मजूमदार ने कोलकाता में क्वालिटी आइसक्रीम में डेयरी केमिस्ट के तौर पर नौकरी की. ऑफिस जाने के लिए उनको सुबह 5 बजे ट्रेन पकड़नी पड़ती थी और रात 11 बजे वापस घर लौटते थे. इससे ऊबकर उन्होंने 3 महीने में जॉब छोड़ दी. इसके बाद उन्होंने सिलीगुड़ी में हिमालयन कोऑपरेटिव में नौकरी की. यहां उनकी मुलाकात मदर डेयरी के महाप्रबंधक डॉ. जगजीत पुंजार्थ से हुई. उन्होंने मजूमदार को कोलकाता में मदर डेयरी ज्वाइन करने का ऑफर दिया. इसके बाद मजूमदार कोलकाता के मदर डेयरी में काम करने लगे. लेकिन साल 1985 में उन्होंने ये जॉब छोड़ दी और बहरीन में डैनिश डेयरी डेवलपमेंट कॉरपोरेशन में काम करने लगे. 3 महीने बाद कोलकाता लौट आए और फिर से मदर डेयरी से जुड़ गए.

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साल 1997 में लगाया पहला चिलिंग प्लांट-
साल 1995 में मजूमदार हावड़ा में ठाकेर डेयरी प्रोडक्ट में कंसल्टेंट जनरल मैनेजर बन गए. इस समय उन्होंने देखा कि स्थानीय मर्चेंट दूध उत्पादन करने वाले किसानों से औने-पौने दाम पर दूध खरीद रहे हैं. बिचौलिए किसानों को दूध का कम भुगतान करते थे, जबकि कंपनी को ज्यादा कीमत पर दूध बेचते थे. इसके बाद नारायण किसानों को दूध से जुड़े कारोबार के बारे में समझाने का काम करने लगे. वह साइकिल से दूध खरीदने जाते थे.

नारायण मजूमदार के काम से खुश होकर ठाकेर ने उनके लिए एक चिलिंग प्लांट लगा दिया. इसके बाद मजूमदार ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. साल 1997 में नारायण मजूमदार ने 10 लाख रुपए लगाकर अपना चिलिंग प्लांट लगाया. साल 2000 में उन्होंने ठाकेर से चिलिंग यूनिट खरीद ली. इसी साल उन्होंने पहला मिल्क टैंकर खरीदा और प्रॉपराइटरशिप फर्म को पार्टनरशिप कॉरपोरेशन में बदल दिया. साल 2003 में मजूमदार ने ठाकेर डेयरी को छोड़कर रेड काउ डेयरी नाम से कंपनी की शुरुआत की.

कंपनी से जुड़े हैं 3 लाख से ज्यादा किसान-
आज रेड काउ डेयरी का कारोबार 800 करोड़ से ज्यादा का है. कंपनी की 3 प्रोडक्शन फैक्ट्री है. एक हजार से ज्यादा लोग नौकरी करते हैं. पश्चिम बंगाल में 3 लाख से ज्यादा किसान इस फर्म से जुड़े हैं. आज नारायण मजूमदार के पिता नंदन मजूमदार भी कारोबार से जुड़े हैं. कंपनी ने रेड काउ पॉली पाउच भी लॉन्च किया है.

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