
क्या आप भी करोड़पति बनने का सपना देख रहे हैं? यह सवाल सुनकर ज्यादातर लोग लॉटरी, शेयर मार्केट या फिर प्रॉपर्टी में निवेश के बारे में सोचते हैं. लेकिन सच्चाई यह है कि अगर आप सही तरीके से म्यूचुअल फंड्स में निवेश करें, तो धीरे-धीरे ही सही, लेकिन करोड़पति बनने का सपना पूरा हो सकता है.
आजकल लोग पारंपरिक सेविंग्स अकाउंट या एफडी से ज्यादा म्यूचुअल फंड्स को पसंद कर रहे हैं. वजह साफ है- यहां आपको ज्यादा रिटर्न, लचीलापन और कई ऑप्शन मिलते हैं. अब सवाल यह है कि अगर आपका लक्ष्य 1 करोड़ रुपये का कॉर्पस बनाना है, तो आपको किस रास्ते पर चलना चाहिए- SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) या फिर लंप सम (एकमुश्त निवेश)?
SIP क्या है?
SIP यानी छोटी-छोटी किस्तों में निवेश. मान लीजिए आप हर महीने 5,000 या 10,000 रुपये निवेश करते हैं. इस पैसे को फंड में लगातार डालते रहने से, कंपाउंडिंग का जादू चलता है और समय के साथ आपके पैसे तेजी से बढ़ने लगते हैं. SIP का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें आपको मार्केट टाइमिंग की चिंता नहीं करनी पड़ती.
जैसे आप EMI भरते हैं, वैसे ही SIP आपकी ‘वेल्थ क्रिएशन की EMI’ है.
Lump Sum क्या है?
Lump Sum का मतलब है- एक साथ बड़ी रकम लगाना. मान लीजिए आपके पास 5 लाख या 10 लाख रुपये की सेविंग है और आप उसे म्यूचुअल फंड्स में एक साथ डाल देते हैं. अगर मार्केट सही समय पर चुना गया तो आपको रिटर्न भी जबरदस्त मिलेगा. लेकिन इसमें रिस्क SIP से ज्यादा है क्योंकि पूरा पैसा एक बार में दांव पर लगता है.
कंपाउंडिंग का कमाल
कंपाउंडिंग को आम भाषा में समझें तो यह ऐसा है जैसे ब्याज पर ब्याज मिलता रहे. उदाहरण के लिए, अगर आपने ₹1 लाख का निवेश किया और उस पर 12% रिटर्न मिला, तो अगले साल से आपका ब्याज केवल ₹1 लाख पर नहीं बल्कि ₹1,12,000 पर मिलेगा. यानी आपका पैसा खुद-ब-खुद आपके लिए काम करना शुरू कर देता है.
उदाहरण से समझें-
मान लीजिए आप हर महीने ₹10,000 का SIP करते हैं. 20 साल बाद, 12% की औसत दर से, आपका निवेश लगभग ₹1.1 करोड़ तक पहुंच सकता है.
वहीं अगर आप आज ही ₹10 लाख Lump Sum लगाते हैं और 20 साल तक छोड़ देते हैं, तो वह भी लगभग ₹1.05 करोड़ तक पहुंच सकता है.
यहां साफ है कि दोनों रास्ते करोड़पति बना सकते हैं, लेकिन फर्क इस बात पर है कि आपके पास आज कितनी रकम उपलब्ध है और आपका रिस्क लेने का नजरिया कैसा है.
किसे चुनें- SIP या Lump Sum?
रेगुलर इनकम वाले लोग (जैसे सैलरी पाने वाले): उनके लिए SIP बेहतर है. यह बचत की आदत डालता है और मार्केट के उतार-चढ़ाव से भी बचाता है.
बड़ी रकम हाथ में रखने वाले लोग (जैसे बोनस, प्रॉपर्टी सेल, इनहेरिटेंस): उनके लिए Lump Sum सही है. लेकिन मार्केट लो प्वाइंट पर ही एंट्री करना ज्यादा फायदेमंद रहता है.
रिस्क फैक्टर: SIP में रिस्क कम होता है, जबकि Lump Sum ज्यादा रिस्की लेकिन तेजी से रिटर्न दे सकता है.
करोड़पति बनने का कोई जादुई रास्ता नहीं है, लेकिन SIP और Lump Sum दोनों ही सही प्लानिंग के साथ आपको यह मुकाम दिला सकते हैं. फर्क बस इतना है कि आपको अपनी आर्थिक स्थिति, रिस्क प्रोफाइल और लक्ष्य को ध्यान में रखकर फैसला लेना होगा.
तो अगली बार जब आप सोचें कि "1 करोड़ कैसे बनाएं?", याद रखिए- या तो हर महीने छोटे-छोटे कदम बढ़ाइए (SIP) या फिर एक बड़ा छलांग लगाइए (Lump Sum). दोनों ही रास्ते आपको आपकी मंजिल तक ले जा सकते हैं.