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Exclusive: Shark Tank देखकर मिली बिजनेस करने की प्रेरणा, स्कूल की पढ़ाई के साथ शुरू कर दिया Footwear Startup

स्कूल में पढ़ने वाले दो छात्रों ने Tyron नाम से अपने फुटवियर स्टार्टअप की शुरुआत की है. अपने स्टार्टअप के जरिए ये छात्र पुराने-बेकार टायरों को रियूज करके लोगों के लिए चप्पलें बना रहे हैं.

Divya and Parth Divya and Parth
हाइलाइट्स
  • 17 साल की दिव्या सिजवाली और 16 वर्षीय पार्थ पूरी अपनी बिजनेस चला रहे हैं

  • पार्थ और दिव्या पुराने टायरों से चप्पलें बना रहे हैं.

16-17 साल की उम्र में बच्चे अक्सर इसी उधेड़-बुन में होते हैं कि उन्हें 11वीं-12वीं में कौन-सी स्ट्रीम से पढ़ाई करनी चाहिए. कौन-से सब्जेक्ट उनके लिए सही रहेंगे ताकि उन्हें बेस्ट से बेस्ट कॉलेज में दाखिला मिले. पढ़ाई के साथ, इस उम्र में बच्चे सबकुछ ट्राई करना चाहते हैं. चाहे फिर कोई पर्सनल हॉबी हो या रिलेशनशिप. 

लेकिन क्या कोई बच्चा इस उम्र में बिजनेस ट्राई करना चाहता है? शायद नहीं. ट्राई तो दूर की बात है इस उम्र में ज्यादातर बच्चे बिजनेस के बारे में सोचते भी नहीं हैं. और अगर वे कुछ अलग सोचें तो उनके माता-पिता कुछ अलग करने नहीं देते. लेकिन आज GNT Digital पर जानिए ऐसे दो टीनएजर्स के बारे में जो 16 और 17 साल की उम्र में अपना बिजनेस चला रहे हैं.

यह कहानी है 17 साल की दिव्या सिजवाली और 16 वर्षीय पार्थ पूरी की. स्कूल में पढ़ रहे ये दोनों छात्र पढ़ाई के साथ-साथ अपना बिजनेस चला रहे हैं. 

Shark Tank से मिली बिजनेस की प्ररेणा

GNT Digital से बात करते हुए दिव्या और पार्थ ने बताया कि बचपन से ही वे दोनों अमेरिकन टीवी शो Shark Tank देखते आ रहे हैं. इस शो में उन्होंने देखा कि बच्चे भी अपने बिजनेस आइडियाज लेकर आते हैं. तब से ही दिव्या और पार्थ ने तय कर लिया था कि वे दोनों भी बिजनेस आइडिया पर काम करेंगे. 

दिव्या फिलहाल कोडैकनाल में 11वीं कक्षा की छात्रा हैं तो वहीं पार्थ दिल्ली में 12वीं कक्षा के छात्र हैं. हालांकि, कुछ समय पहले तक वे दोनों साथ में एक ही शहर में थे. और लॉकडाउन के दौरान उन्होंने अपने बिजनेस आइडिया पर काम शुरू किया था. दिव्या बताती हैं कि लॉकडाउन में घर में रहते हुए उन्हें अहसास हुआ कि आजकल के लोग इतना घर से बाहर रहते हैं कि उनके पास घर में पहनने के लिए कंफर्टेबल चप्पल नहीं है. दोनों दोस्तों ने इस आइडिया पर काम करना शुरू किया. 

पुराने-बेकार टायरों से बनाई चप्पलें

Footwears

दिव्या और पार्थ चप्पल बनाना चाहते थे लेकिन साथ ही अपने बिजनेस को सस्टेनेबल रखना चाहते थे. इसलिए उन्होंने अलग-अलग मैटेरियल पर रिसर्च की. और कुछ रिपोर्टों से उन्हें पता चला कि दुनिया भर में सालाना 1.5 बिलियन से अधिक बेकार टायर निकलते हैं. जिसमें से छह प्रतिशत हिस्सा भारत से है. 

इसलिए दिव्या और पार्थ ने सोचा कि क्यों न बेकार टायर्स को ही इस्तेमाल किया जाए. जब उन्होंने इस पर काम किया तो उन्होंने देखा कि टायरों से चप्पलें बनाना आसान है. इस काम में उन्होने मोचियों को रोजगार दिया. दिव्या और पार्थ का कहना है कि उन्होंने एक-दो लोगों के साथ काम शुरू किया था. अपने स्टार्टअप को उन्होंने Tyron नाम दिया है.  आज 20 अलग-अलग मोची उनके लिए चप्पलें बनाकर दे रहे हैं.

पढ़ाई के साथ मैनेज करते हैं बिजनेस 

दिव्या के तमिलनाडू शिफ्ट होने से पहले पार्थ और दिव्या साथ में टैगोर इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ते थे. फिलहाल, दोनों अलग-अलग शहरों में रहते हुए अपने बिजनेस को संभाल रहे हैं. बात अगर पढ़ाई और बिजनेस के बीच बैलेंस की करें तो वे कहते हैं, "यह थोड़ा-सा मुश्किल है लेकिन हम एक-दूसरे के साथ से यह कर पा रहे हैं. हम दोनों बिजनेस में अपनी-अपनी जिम्मेदारी समझते हैं. और किसी भी कारण से एक-दूसरे के ऊपर बोझ नहीं पड़ने देते हैं."

इसके अलावा, दिव्या और पार्थ को उनके परिवारों का पूरा सपोर्ट है. दोनों के माता-पिता चाहते हैं कि बच्चे इस स्टार्टअप को आगे लेकर जाएं. उन्हें भरोसा है कि अपने बिजनेस को संभालते हुए वे अपनी पढ़ाई पर भी ध्यान देंगे. अब तक वे लगभग 160 ऑर्डर पूरा कर चुके हैं और उनके ऑर्डर्स बढ़ रहे हैं. उनके डिजाइन हावर्ड यूनिवर्सिटी तक पहुंचे हैं. 

बनाएंगे दूसरे प्रॉडक्ट्स भी 

पार्थ और दिव्या का कहना है कि चप्पलों में उन्हें अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है. आगे उनकी योजना, टायर से दूसरी चीजें बनाने की भी है. आने वाले समय में वे टायरों से कीचैन, होम डेकॉर आदि बनाएंगे. साथ ही, उनकी योजना अपने प्रॉडक्ट्स को Myntra और Amazon पर लॉन्च करने की है. 

उनके प्रॉडक्ट्स देखने के लिए आप उनकी वेबसाइट- https://tyron.in/ देख सकते हैं.