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प्रवासी मजदूरों की जिंदगी बदल रहा है Chanpatia Startup Zone, अपने ही गांव-घर में कर रहे हैं लाखों का बिजनेस

साल 2020 में कोरोना महामारी के कारण लगे लॉकडाउन में अपने गांव-घर लौटे मजदूरों के लिए पश्चिमी चंपारण के डीएम ने Chanpatia Startup Zone की शुरुआत की. जिसकी मदद से आज कई लोगों का जीवन बदल गया है.

Chanpatia Startup Zone (Photo: https://www.biadabihar.in/) Chanpatia Startup Zone (Photo: https://www.biadabihar.in/)
हाइलाइट्स
  • जिला मजिस्ट्रेट कुंदन कुमार ने चनपटिया स्टार्टअप जोन की शुरुआत की

  • अपने देश में नाम कमाने के बाद चनपटिया स्टार्टअप ज़ोन ने अब वैश्विक बाजार में कदम रखा है

साल 2020 में कोरोना महामारी के कारण देश में लगे लॉकडाउन के दौरान बहुत से प्रवासी मजदूरों का रोजगार छिन गया. हजारों-लाखों लोग काम छोड़कर अपने गांव-घर लौटने को मजबूर हो गए. लेकिन सवाल था कि अब क्या? आखिर बिना काम घर कैसे चलेगा. ऐसे में, मजदूरों को काम देने के लिए अलग-अलग पहल की गईं. 

बिहार के चंपारण जिले में भी लोगों को बेरोजगार देखकर, एक सरकारी अधिकारी ने अनोखी पहल की. और आज उनकी पहल पूरे देश के लिए अच्छा उदाहरण बन गई है. पश्चिम चंपारण के जिला मजिस्ट्रेट कुंदन कुमार ने लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से चनपटिया स्टार्टअप जोन की शुरुआत की. 

क्या है “चनपटिया स्टार्टअप जोन”

कुंदन कुमार ने इलाके में बनने वाले उत्पाद जैसे साड़ी, सुट, लहंगा, टीशर्ट आदि को बाजार तक पहुंचाने के लिए एक प्लेटफॉर्म की शुरुआत की. जिसे चनपटिया स्टार्टअप जोन कहा गया. इस प्लेटफॉर्म के जरिए न सिर्फ लोकल प्रॉडक्ट्स की मार्केटिंग की गई बल्कि लोगों को अपना काम शुरू करने के लिए आसानी से लोन भी दिया गया. 

आज सैंकड़ों लोग इस मॉडल के जरिए आत्मनिर्भर बने हैं और अच्छी आमदनी कमा रहे हैं. इस मॉडल के जरिए लोगों के लिए मशीन आदि की व्यवस्था भी की गई है. चनपटिया स्टार्टअप जोन में 58 यूनिट सेटअप की गई हैं जिनमें से 55 टेक्सटाइल क्षेत्र में काम कर रही हैं. 

Chanpatia Startup Zone helping migrant workers (Photo: https://www.biadabihar.in/)

कभी मैकेनिक थे आज बने बिजनेसमैन 

चंपारण के नंद किशोर अक्टूबर 2020 तक गुजरात के सूरत में बतौर मैकेनिक काम कर रहे थे. पर कोरोना में उनकी नौकरी चली गई. वह जब अपने गांव लौटे तो उनके मन में सिर्फ निराशा थी कि अब वह क्या करेंगे. पर उन्हें नहीं पता था कि उन्हें अपने गांव में ही रोजगार का अवसर मिल जाएगा. आज दो साल बाद नंद किशोर की पहचान व्यवसायी के रूप में है.

आज उनकी यूनिट हर महीने करीब 2,000 साड़ियों का उत्पादन करती है और लहंगों की सिलाई करती है. वह पहले ही दो मशीनें लगा चुके हैं और बढ़ती मांग के बीच कई मशीनें लगाने की योजना है. द न्यू इंडियम एक्सप्रेस को किशोर ने बताया कि वह आसपास के इलाकों में लहंगे और साड़ियों की आपूर्ति कर रहे हैं. नेपाल में पोखरा, कल्याण, भिस्वा और परवन जैसी जगहों से व्यापारी उनके उत्पाद खरीदने के लिए आ रहे हैं. 

किशोर का कहना है कि सरकार ने उन्हें एक योजना के तहत 25 लाख रुपये के बैंक ऋण की सुविधा दी थी और आज उन्होंने लगभग पूरा ऋण चुका दिया है. साथ ही, आज उनका कारोबार करोड़ों का है. खुद बिजनेसमैन बनने के साथ किशोर ने बहुत से लोगों को नौकरी भी दी है. 

इंजीनियर दे रहा है 60 लोगों को रोजगार

31 वर्षीय मृत्युंजय शर्मा भी कोरोना से पहले तक निजी सेलुलर कंपनी वोडाफोन में एक इंजीनियर थे. महामारी के दौरान 2020 में उन्होंने अपनी नौकरी खो दी. अब, वह स्टार्टअप ज़ोन में एक यूनिट के मालिक हैं. और ट्रैकसूट, टी-शर्ट और स्कूल ड्रेस का उत्पादन कर रहे हैं. उन्होंने 2020 में 2.50 लाख फेस मास्क का उत्पादन किया था.

पिछले साल, उन्होंने लगभग 2.5 करोड़ मास्क बनाए जिससे उन्हें 40 लाख का फायदा हुआ. उनकी यूनिट ने बिहार पुलिस के जवानों को 300 ट्रैकसूट भी सप्लाई किए. उन्हें नई भर्तियों के मद्देनजर कम से कम 1,000 ट्रैकसूट का ऑर्डर मिलने की उम्मीद है. उनके उत्पाद बिहार के पूर्वी और पश्चिमी चंपारण, दरभंगा, सीतामढ़ी और पटना जिलों के अलावा अहमदाबाद और सिलीगुड़ी तक जाते हैं. उनकी यूनिट ने 60 लोगों को रोजगार दिया है. 

दूसरे देशों से मिले ऑर्डर 

बताया जा रहा है कि अपने देश में नाम कमाने के बाद चनपटिया स्टार्टअप ज़ोन ने अब वैश्विक बाजार में कदम रखा है क्योंकि साड़ी, सलवार सूट और लहंगा जैसे कपड़े के निर्यात के लिए कतर, दुबई, मलेशिया और इंडोनेशिया से ऑर्डर मिल रहे हैं. डीएम कुंदन कुमार को 'इनोवेशन डिस्ट्रिक्ट' की श्रेणी में 'नवप्रवर्तन स्टार्टअप जोन, चनपटिया' पहल के लिए लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए प्रधान मंत्री पुरस्कार, 2021 से सम्मानित किया गया.