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क्या है बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी, और क्या होगा इसका फायदा

Battery Swapping Policy: बैटरी स्वैपिंग के लिए जरूरी है कि इलेक्ट्रिक व्हीकल में इस्तेमाल होने वाली बैटरी एक स्टैंडर्ड मानक के तहत बनी हो. ऐसा होने पर ही इलेक्ट्रिक व्हीकल ओनर अपनी बैटरी को दूसरी बैटरी के साथ स्वैप कर सकेगा.

पिछले साल ईवी इंडस्ट्री की ग्रोथ बहुत तेज रही है पिछले साल ईवी इंडस्ट्री की ग्रोथ बहुत तेज रही है

वितमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने बजट (Budget 2022) में बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी (Battery Swapping policy) का ऐलान किया है.  उन्होंने कहा कि बैटरी स्वैपिंग के लिए एक स्पेशल स्कीम आएगी. यह देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (Electric Vehicles) का इस्तेमाल बढ़ाने के लिहाज से बहुत अहम है.  बैटरी स्वैपिंग क्या है, इसके क्या फायदे हैं, इससे इलेक्ट्रि व्हीकल्स इंडस्ट्री को कितना बढ़ावा मिलेगा? आइए इन सवालों के जवाब जानते हैं.

क्या होता है बैटरी स्वैपिंग

बैटरी स्वैपिंग (battery swapping) यानी बैटरी की अदला-बदली करना… बजट में वित्त मंत्री ने ईवी सेक्टर के लिए बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी लागू करने की बात कही हैं.  बैटरी स्वैपिंग के जरिए पूरी तरह से खत्म हो चुकी बैटरी को पूरी तरह से चार्ज बैटरी से बदल दिया जाता है. ये पॉलिसी ना सिर्फ नए बैटरी खरीदने के झंझटों से बचाती है साथ ही नए बैटरी पैक खरीदने में लगने वाली लागत से भी बचाती है. और इससे इलेक्ट्रिक व्हीकल यूजर्स की जेब पर ज्यादा बोझ नहीं पड़ता है. 

अभी इलेक्ट्रिक व्हीकल बनाने वाली कुछ चुंनिंदा कंपनियां बैटरी स्वैपिंग का विकल्प ऑफर करती हैं. इनमें हीरो इलेक्ट्रिक, ओकिनावा मोटर्स, सिंपल एनर्जी और बाउंस इलेक्ट्रिक शामिल हैं. उधर, एथर एनर्जी, ओला इलेक्ट्रिक, टोर्क मोटर्स जैसी कंपनियों के ईवी में नॉन-रिमूवल बैटरी का इस्तेमाल होता है. इसका मतलब है कि इनके ईवी की बैटरी को स्वैप नहीं किया जा सकता. उन्हें दोबार चार्ज करने पर ही व्हीकल को चलाना जा सकता है. दुपहियों में तो इससे काम चल सकता है, लेकिन कार सहित बड़ी गाड़ियों में इसका इस्तेमाल व्यहवहारिक नहीं है. 

बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी का क्या फायदा होगा?

सरकार अगर जल्द बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी (battery swapping policy) का ऐलान करती है तो इससे ईवी इंडस्ट्री को फायदा होगा. पिछले साल ईवी इंडस्ट्री की ग्रोथ बहुत तेज रही है. बैट्री को एक सेवा कारोबार की शक्ल देने से बैट्री से चलने वाले दोपहिया और तिपहिया वाहनों की कीमत भी कम हो जाएगी और इसका चलन बढ़ेगा. बता दें कि इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की कीमत में 40-50 फीसद हिस्सेदारी बैट्री की होती है. बैट्री स्वैपिंग कारोबार के आने से  इलेक्ट्रिक स्कूटर खरीदार बिना बैट्री के स्कूटर खरीद सकेगा और बैट्री स्वैपिंग सेंटर पर जाकर मामूली कीमत देकर किराए पर बैट्री लेकर स्कूटर या  कोई दूसरा इलेक्ट्रिक वाहन चला सकेगा.अभी इलेक्ट्रिक स्कूटर कंपनी अपने ग्राहकों को चार्जिंग प्लग भी दे रही है. लेकिन देश के कई ऐसे शहर है जहां जगह की  कमी  की वजह से  उन जगहों पर चार्जिंग स्टेशन नहीं  बन पाए हैं. ऐसे में, बैट्री स्वैपिंग काफी कारगर साबित होगी. 

इस फैसले से बढ़ेंगी इलेक्ट्रिक व्हीकल की डिमांड?

इस फैसले से इलेक्ट्रिक गाड़ियों की कीमतों में कमी आएगी. ऐसे में जाहिर है कि गाड़ियों की डिमांड भी बढ़ेगी. क्योंकि पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से छुटकारा पाने के लिए लोग इसे एक अच्छे ऑप्शन के तौर पर देखेंगे. इसलिए बजट भाषण में पॉलिसी का ऐलान करते समय यह बात भी कही गई थी कि इससे पेट्रोल डीजल पर निर्भरता कम होगी.

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी (Battery Swapping Policy) का ऐलान किया.  दरअसल काफी लंबे समय से सरकार इलेक्ट्रिक व्हीकल को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठा रही है. वहीं इस बजट में बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी के ऐलान के पीछे इलेक्ट्रिक गाड़ियों को बढ़ावा देना ही मुख्य मकसद है.

आपको बता दें, हर चार-पांच किलोमीटर पर बैट्री स्वैपिंग सेंटर होने पर लोग तेजी से इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाएंगे. सभी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनी अपने स्वैपिंग सेंटर लगाएंगे या फिर सिर्फ बैट्री स्वैपिंग का काम करने वाली कंपनियां निर्माता कंपनियों के लिए बैट्री स्वैपिंग सेंटर बना रही हैं.  बैट्री स्वैपिंग सेंटर को चलाने के लिए बहुत ज्यादा जगह की जरूरत नहीं होगी. इसलिए किराना स्टोर, रेस्टोरेंट, पेट्रोल पंप जैसी किसी भी जगह छह मीटर की जगह में बैट्री स्वैपिंग मशीन रखी जा सकती है. यह मशीन एटीएम मशीन की तरह होती है, जिसमें एक साथ छह से आठ चार्जड बैट्री रखी जाती है. बैट्री स्वैपिंग के दौरान चार्जड बैट्री को निकाल कर उसमें डिस्चार्ज बैट्री लगा दी जाती है. फिलहाल बंगलुरू बैट्री स्वैपिंग का काम कर रही है.