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राजधानी के टैक्सी ड्राइवर बने जी-20 के ब्रांड एम्बेसडर, विदेशी मेहमानों की सुविधा के लिए कई भाषाओं में किया गया ट्रेन

अब टैक्सी ड्राइवर फ्रेंच और जर्मन बोलते दिखाए देंगे. विदेशी मेहमानों के वेलकम को लेकर आईटीडीसी के ट्रेनर इनको आचार-व्यवहार, साफ-सफाई से लेकर अलग अलग भाषा के गुर सिखा रहे हैं.

टैक्सी ड्राइवर बने जी-20 के ब्रांड एम्बेसडर टैक्सी ड्राइवर बने जी-20 के ब्रांड एम्बेसडर
हाइलाइट्स
  • फ्रेंच और जर्मन बोलते हैं टैक्सी ड्राइवर

  • 16 घंटे की है मेहनत

G-20 समिट के दौरान विदेशी मेहमानों का अनुभव अच्छा रहे इसके लिए टैक्सी ड्राइवरों को फ्रेंच, जर्मन, रशियन, अरेबिक और अंग्रेजी बोलने की ट्रेनिंग दी जा रही है. सिर्फ भाषा ही नहीं साफ सफाई और विदेशी मेहमानों से व्यवहार किस तरह का हो ये तौर तरीका भी सिखाया जा रहा है. केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय के तहत आने वाला ITDC ने अब तक दिल्ली के 300 ड्राइवर को ट्रेंड किया है और आगे देश के 55 जगहों पर ये ट्रेनिंग देने की योजना है.

फ्रेंच और जर्मन बोलते हैं टैक्सी ड्राइवर

फ्रेंच और जर्मन बोलते ये टैक्सी ड्राइवर हैं. विदेशी मेहमानों के वेलकम को लेकर आईटीडीसी के ट्रेनर इनको आचार-व्यवहार, साफ-सफाई से लेकर अलग अलग भाषा के गुर सिखा रहे हैं. G-20 समिट को लेकर शुरुआत दिल्ली से हुई और अब देश के अलग अलग कोने में इस ट्रेनिंग कार्यक्रम को ले जाने की तैयारी है. ITDC के जीएम हर्ष कुमार भूटानी कहते है, “अभी तक हमने तकरीबन 300 कैब एसोसिएट्स को ट्रेंड किया है. उनको सर्टिफाई किया है. अब आगे हम इसको पैन इंडिया बेसिस पर लेने जा रहे हैं. 55 लोकेशन पर सिलेक्टेड ड्राइवर्स को ट्रेंड करने जा रहे हैं.”

16 घंटे की है मेहनत

बताते चलें कि असल में इसमें 4 दिन का कोर्स, 16 घंटे की मेहनत, 300 रु हर दिन का भत्ता और नई नई भाषा का ज्ञान दिया जा रहा है. इसके तहत फ्रेंच जर्मन के अलावा रशियन, अरेबिक और अंग्रेजी बोलने की ट्रेनिंग भी दी जा रही है. वही राजधानी टूरिस्ट टैक्सी यूनियन अध्यक्ष बलवंत सिंह भुल्लर बताते है, “300 प्लस ड्राइवर हो चुके हैं जिनमें 150 महिलाएं हैं. सभी हमारे यूनियन के हैं. पीएम ने 15 नवंबर को इंडोनेशिया में जो मशाल उठाई है. उसको सबसे आगे लेकर चलने वाले हमारे ड्राइवर हैं. हमें गर्व है कि ये काम हमें दिया गया. 

पर्यटन मंत्रालय का प्रयास है कि देश भर में वो 2000 से जायदा नई ड्राइवर की नई भाषा से रूबरू कराएं जिससे वो विदेशी मेहमानों का स्वागत उनकी ही भाषा में कर सकें.