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कोयलांचल का बेशकीमती हीरा, 8 साल की उम्र में मैट्रिक और 16 साल में बीटेक, अब एमटेक की पढ़ाई पूरी कर इलेक्ट्रिसिटी पर करेंगे रिसर्च

धनबाद कोयलांचल की काली धरती से सिर्फ काला हीरा ही नहीं निकलता है, बल्कि एक से बढ़कर एक बेशकीमती हीरे भी निकलते हैं. इस बेशकीमती हीरे का नाम राहत कपूर उर्फ राघव है. बांसजोड़ा बाजार के नजदीक रहने वाले राहत फिलहाल बीटेक की पढ़ाई बीआईटी सिंदरी से कर रहे हैं.

Dhanbad Young Engineer Dhanbad Young Engineer
हाइलाइट्स
  • बचपन से ही किताबों से लगाव

  • बिजली उत्पादन पर रिसर्च करना चाहते हैं राहत

धनबाद कोयलांचल की काली धरती से सिर्फ काला हीरा ही नहीं निकलता है, बल्कि एक से बढ़कर एक बेशकीमती हीरे भी निकलते हैं. इस बेशकीमती हीरे का नाम राहत कपूर उर्फ राघव है. बांसजोड़ा बाजार के नजदीक रहने वाले राहत फिलहाल बीटेक की पढ़ाई बीआईटी सिंदरी से कर रहे हैं.

8 साल में मैट्रिक, 16 साल में BTech
राहत ने बताया कि उन्होंने 2017 में 10वीं की परीक्षा जयपुर के कपिल ज्ञान पीठ स्कूल से पास की. 2019 में इंटरमीडिएट बक्सर फाउंडेशन स्कूल से किया. 2020 से 2024 तक बीआईटी सिंदरी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में B.Tech पूरा किया. राहत की पढ़ाई 2026 में पूरी हो जाएगी. 

बचपन से ही किताबों से लगाव
राहत का कहना है कि उन्हें बचपन से ही किताबों से लगाव था. जब वो मैट्रिक दे रहे थे, तब उनके साथ पढ़ने वाले छात्रों की उम्र उनसे दुगनी थी, लेकिन उन्होंने कभी खुद को अलग महसूस नहीं किया. स्कूल की प्रिंसिपल करुणा मैडम ने मेरी काफी मदद की. मैथ के टीचर सुबोध विजय ने भी काफी मदद की. उन्होंने बताया कि करुणा मैडम ने ही उनका बोर्ड परीक्षा का सारा पेपरवर्क भी किया.

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युवाओं को संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि पहले यह तय करें कि उन्हें करना क्या है. उसके हिसाब से ही वह आगे की पढ़ाई करें. वे दसवीं और बारहवीं के छात्रों की परीक्षा के समय मदद करते हैं और आसपास के बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाते हैं.

बिजली उत्पादन पर रिसर्च करना चाहते हैं राहत
राहत भविष्य में बिजली उत्पादन पर रिसर्च करना चाहते हैं. उनका कहना है कि भारत में बिजली की कमी आज भी बड़ी समस्या है. जब कोई जरूरी काम होता है, तो बिजली गुल हो जाती है. इसलिए वे ऐसी मशीन बनाना चाहते हैं, जिससे नदियों की मदद से बिजली का बेहतर उत्पादन हो सके.

पिता को है राहत पर गर्व
पिता रणधीर कपूर रानू कहते हैं कि राहत की सफलता ईश्वर का आशीर्वाद है. वे चाहते हैं कि राहत की तरह वे अन्य बच्चों की भी मदद करें. वे चाहते हैं कि राहत देश के लिए अच्छा उदाहरण पेश करें.

राहत की मां अनुषा कपूर रानू बताती हैं कि राहत बचपन से ही पढ़ाई में आगे था और खेलकूद में दिलचस्पी नहीं थी. हालांकि, वह थोड़ा शरारती भी था. क्लास में बच्चों को बंद कर भाग जाता था. राहत काफी कम उम्र में डिग्री हासिल कर रहा है. यह हमारे लिए काफी गर्व की बात है.

बीआईटी सिंदरी के निदेशक पंकज राय का कहना है कि अब पढ़ाई के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं है. कोई भी बच्चा, अगर काबिल है, तो उसे मौका मिलना चाहिए. उन्होंने राहत की तुलना महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण से की है.

-सिथुन मोदक की रिपोर्ट