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सरकारी स्कूल के गरीब छात्र बने मिसाल, स्वामी विवेकानंद प्रतिभा खोज में लहराया परचम

अखिल भारतीय पुनर्जागरण मंच की ओर से सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की प्रतिभा को खोजने और निखारने के उद्देश्य से स्वामी विवेकानंद प्रतिभा खोज प्रतियोगिता का आयोजन किया गया

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हाइलाइट्स
  • प्रतिभा के आगे गरीबी बाधा नहीं बनी

  • बच्चों ने मेहनत से साबित की अपनी योग्यता

सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के पास टैलेंट की कोई कमी नहीं है, बस जरूरत है एक सही मंच की. इस बात को सच साबित कर दिखाया समस्तीपुर के सरकारी स्कूल के छात्रों ने. अखिल भारतीय पुनर्जागरण मंच द्वारा आयोजित इस प्रतियोगिता में लगभग 1100 छात्रों ने भाग लिया. यह प्रतियोगिता विशेष तौर पर सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों के लिए रखी गई थी, ताकि उनकी छिपी हुई प्रतिभा को सामने लाया जा सके.

बच्चों ने मेहनत से साबित की अपनी योग्यता
परीक्षा में स्कूल के सिलेबस के आधार पर लिखित परीक्षा ली गई, जिसमें अलग-अलग कक्षाओं के अनुसार प्रश्न पत्र तैयार किए गए थे. प्रतियोगिता का मुख्य उद्देश्य यह साबित करना था कि सीमित संसाधनों में पढ़ने वाले बच्चे भी प्रतिभा के मामले में किसी से कम नहीं हैं. परीक्षा में गरीब और साधारण परिवारों के बच्चों ने बेहतर प्रदर्शन कर यह बात सही साबित कर दी.

प्रतियोगिता में अव्वल स्थान लाने वाले छात्रों को कर्पूरी सभागार में आयोजित एक भव्य समारोह के दौरान सम्मानित किया गया.

  • प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले छात्र को 5,000 रुपये.

  • द्वितीय स्थान को 3,000 रुपये.

  • और तृतीय स्थान को 2,000 रुपये नकद पुरस्कार.

  • साथ ही मेडल और प्रतीक चिन्ह प्रदान किए गए.

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आगे के पढ़ाई के लिए मदद किया जाएगा
आयोजकों ने यह भी घोषणा की कि प्रतिभावान छात्रों की आगे की पढ़ाई में भी मदद की जाएगी, ताकि वे अपनी शिक्षा जारी रख सकें और भविष्य में बड़े मुकाम तक पहुंच सकें. इस अवसर पर मंच के सदस्यों ने कहा कि यह प्रतियोगिता केवल एक परीक्षा नहीं, बल्कि छात्रों के आत्मविश्वास और क्षमता को निखारने की पहल है. इसका मकसद है कि कोई भी बच्चा अपनी आर्थिक स्थिति के कारण पीछे न रह जाए. छात्रों के चेहरों पर मिली जीत की खुशी साफ झलक रही थी. यह प्रतियोगिता न केवल उन्हें सम्मान दिलाने वाली रही, बल्कि उनके सपनों को उड़ान देने की पहली सीढ़ी भी बनी.