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मासूम लड़कियों को तस्करों के चंगुल से बचा रहा है सरकारी स्कूल का हेडमास्टर, गांव-गांव जाकर चलाई मुहिम

आज हम आपको एक ऐसे शिक्षक के बारे में बता रहे हैं जो पिछले दो दशकों से सुंदरबन के दूरदराज गांवों में मानव तस्करी के बारे में लोगों के बीच जागरूकता फैला रहे हैं. इसके साथ ही, उन्होंने अभी तक कई बच्चियों को तस्करों को चंगुल से बचाया है.

Chandan Maiti (Facebook Photo) Chandan Maiti (Facebook Photo)

आज हम आपको बताने जा रहे एक ऐसे शिक्षक के बारे में बता रहे हैं जो लंबे समय से नाबालिग लड़कियों की तस्करी को लेकर लोगों में जागरूकता फैला रहे हैं. इनका नाम चंदन मैती है जो पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना में मथुरापुर नामक गांव में कृष्ण चंद्रपुर हाई स्कूल के प्रधानाध्यापक है. यह न केवल अपने प्रशासनिक कर्तव्यों का निर्वहन करते हैं बल्कि अपना काम खत्म होने के बाद सुंदरबन के दूरदराज गांवों का दौरा भी करते हैं. जहां पर मानव तस्करी को लेकर वहां के लोगों को जागरूक भी करते हैं. 

तस्कर लड़कियों को देते है झांसा
चंदन मैती ने पिछले दो दशकों में वहां के दक्षिण 24 परगना के डेल्टा क्षेत्र में 40 गांवों का दौरा कर चुके हैं. जो नाबालिग लड़कियों के तस्करी के लिए जाना जाता है. वहां पर यह बच्चियों के माता पिता को इसको लेकर जागरूक करने का काम कर रहे हैं. चंदन मैती के मुताबिक, ये तस्कर या उनके आदमी, गावों की लड़कियों को नौकरी, पैसों और स्मार्टफोन आदि का झांसा देकर अपने साथ चलने के के लिए मना लेते हैं. फिर इन लड़कियों को दूसरे राज्य ले जाकर बेच दिया जाता है.

हर साल करीब 3,000 मामले आते हैं सामने
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने एक पुलिस रिकॉर्ड जारी करते हुए एक रिपोर्ट में बताया है कि दक्षिण 24 परगना जिले में हर साल तस्करी के करीब 2,500 से 3,000 मामले सामने आते हैं. इन मामलों में 80 फीसद लड़कियों की उम्र 14 से 18 वर्ष है. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में चंदन मैती ने एक लड़की के तस्करी का मामला बताया कि किस तरह उन्होंने उसे मानव तस्करों के चंगुल से बचाया था. 

अपनी छात्रा को तस्करों से बचाया
चंदन मैती ने बताया कि उनकी एक छात्रा, शकुंतला हलदर भी मानव तस्करों के चंगुल में फंस गई थी. दरअसल, शकुंतला को उसके घरवालों ने बाल विवाह कर दिया था. लेकिन कुछ समय बाद ही उसके पति की मौत हो गई और ससुराल वालों ने उसे घर से निकाल दिया. इसके बाद वह अपने मायके आ गई. लेकिन उस पर तस्करों के गिरोह की नजर थी और उन्होंने उसे परेशान करना शुरू कर दिया. लेकिन चंदन मैती ने उसकी मदद की और उसे आगे की पढ़ाई के लिए प्रेरित किया.

कश्मीर से वापस ले आए दो बेटियों को
ऐसा ही एक मामला चंदन मैती ने बताया कि एक गरीब ग्रामीण परिवार ने अपनी दो बेटियों को पैसों की लालच में 2.8 लाख रुपये में बेच दिया था. आगे इन दोनों लड़कियों को कश्मीर ले जाकर दो स्थानीय लोगों को बेचा गया. ये लोग शादीशुदा होने के बावजूद उन बच्चियों से शादी करना चाहते थे. तब एक लड़की ने जैसे-तैसे मैती से फोन कॉल के जरिए संपर्क किया. और फिर मैती ने सभी तरह के दांव-पेच लगाकर इन बच्चियों को बचाया और घाटी से उनके घर वापस लेकर आए. इतना ही नहीं उन्होंने इन दोनों को अपने स्कूल के हॉस्टल में शरण दी और उन्हें बेहतर शिक्षा दे रहे हैं.

ऐसे शुरू हुई मुहिम 
मैती ने बताया कि उन्होंने साल 2003 के आसपास देखा कि सातवीं-आठवीं में पढ़ने वाली लड़कियों की स्कूल छोड़ने की दर लगातार बढ़ रही थी. उन्होंने इसका कारण जानना चाहा तो पता चला कि लड़कियों के पीरियड्स शुरू होते ही मां-बाप उनकी शादी कर देना चाहते हैं. और जल्दबाजी के चक्कर में मानव तस्कर गिरोह का शिकार बन जाते हैं. क्योंकि इन गिरोह के लोग दूल्हे बनकर मां-बाप से मिलते हैं और शादी के बाद मासूम लड़कियों को बेच देते हैं. यह सब जानकर मैती की मुहिम शुरू हुई और अब वह लगातार इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं.