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Inspiring: हिमाचल प्रदेश से 12वीं की टॉपर बनी छाया चौहान...मां आंगनवाड़ी कार्यकर्ता तो पिता हैं किसान

हिमाचल प्रदेश से 12वीं कक्षा की परीक्षा टॉपर छाया चौहान हैं. छाया की मां आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं और पिता किसान हैं. छाया ने 500 में से 494 अंक हासिल किए हैं और आगे चलकर इंजीनियर बनना चाहती हैं.

Chhaya Chauhan Chhaya Chauhan

हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड की ओर से घोषित 12वीं कक्षा के परिणाम में स्नोर वैली पब्लिक स्कूल कुल्लू की छात्रा छाया चौहान ने प्रदेश भर में पहला स्थान हासिल किया है. छाया इंजीनियर बनना चाहती हैं. इसके लिए वह बीटेक की तैयारी कर रही हैं. गौरतलब है की 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा के लिए उन्होंने किसी तरह की अलग से पढ़ाई नहीं की है. उन्होंने स्कूल में ही सहपाठियों के साथ पढ़कर यह उपलब्धि हासिल की. छाया के अनुसार शिक्षकों और अभिभावकों का सहयोग  प्रेरणादायक रहा है. छाया के पिता पाल सिंह एक किसान हैं और माता शाऊणी देवी आगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं. कुल्लू में पढ़ रही छाया चौहान मंडी जिले के थाची की रहने वाली हैं. छाया ने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता व स्कूल अध्यापकों को दिया है.

कितने अंक हासिल किए
बता दें कि 12वीं कक्षा की ओवरऑल टॉप-10 मेरिट लिस्ट में बेटियों ने फिर बाजी मारी है. मेरिट सूची में 41 टॉपर हैं. इसमें 30 छात्राएं और 11 छात्र शामिल हैं. 98.80 फीसदी अंक हासिल कर भारती विद्यापीठ पब्लिक स्कूल बैजनाथ की छात्रा कामाक्षी शर्मा व स्नोवर वैली पब्लिक स्कूल बजौरा कुल्लू  की छाया चौहान  संयुक्त टॉपर बनी हैं. दोनों ने 500 में से 494 अंक हासिल किए हैं. एसडी पब्लिक स्कूल हमीरपुर की श्रुति शर्मा ने 98.40 फीसदी अंक लेकर दूसरा स्थाना हासिल किया.

प्रिंसिपल ने बताया रिजल्ट
छाया चौहान ने बताया कि साईट न चलने की वजह से वो अपना रिजाल्ट नहीं देख पा रही थीं.उन्हें स्कूल के प्राधानाचार्य ने फोन करके बतया की उन्होंने पूरे प्रदेश में टॉप किया है.यह सुनकर कर वे काफी खुश हो गईं. छाया इसका श्रेय  स्कूल के स्टाफ सहित अध्यापकों और माता पिता को देना चाहती हैं. उन्होंने साल भर कड़ी मेहनत के बाद ये सफलता हासिल की और अब इंजनियरिंग बनना चाहती हैं.

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वहीं छाया के पिता पाल सिंह का कहना है की उन्हें काफी ख़ुशी है कि उनकी बेटी ने उनके साथ-साथ स्कूल का नाम भी रोशन किया है. छाया ने इसके लिए काफी मेहनत की है.वे कुल्लू में किराए के मकान में लेकर बच्चो को पढ़ा रहे है. वे स्वयं खेतीबाड़ी करते हैं और घर पर रहते है. छाया अपनी तीन बहनों के साथ अकेली रहती है. 

(मनमिंदर अरोड़ा की रिपोर्ट)