Students in Class
Students in Class राजस्थान की शिक्षा व्यवस्था में बड़ा बदलाव होने जा रहा है. अब राज्य के सरकारी और निजी स्कूलों में एक जैसी यूनिफॉर्म लागू की जाएगी. इस यूनिफॉर्म में टाई शामिल नहीं होगी. वहीं, शिक्षकों के लिए भी ड्रेस कोड और आईडी कार्ड अनिवार्य करने की तैयारी की जा रही है. यह घोषणा शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कोटा विश्वविद्यालय में की.
समान यूनिफॉर्म से खत्म होगा भेदभाव-
शिक्षा मंत्री दिलावर ने बताया कि इस कदम का उद्देश्य सरकारी और निजी स्कूलों के विद्यार्थियों के बीच भेदभाव खत्म करना और समानता का माहौल बनाना है. उन्होंने कहा कि जब सभी छात्र एक जैसी ड्रेस पहनेंगे तो उनमें समानता की भावना बढ़ेगी और आत्मविश्वास भी.
परिजनों ने भी सरकार के इस फैसले की सराहना की. उनका कहना है कि बच्चों के बीच अब 'कौन सरकारी स्कूल का है, कौन निजी स्कूल का' वाला फर्क खत्म होगा.
शिक्षकों पर भी लागू होगा ड्रेस कोड-
दिलावर ने बताया कि अब राज्य के शिक्षकों के लिए भी यूनिफॉर्म लागू की जाएगी, जिससे विद्यालयों में अनुशासन और पारदर्शिता बनी रहे. हर शिक्षक को आईडी कार्ड पहनना अनिवार्य होगा. शिक्षा मंत्री ने कहा कि यह निर्णय शिक्षा प्रणाली में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
अटेंडेंस की रियल-टाइम सूचना पैरेंट्स को-
दिलावर ने बताया कि अब छात्र-छात्राओं की स्कूल उपस्थिति की जानकारी ‘शाला दर्पण पोर्टल’ के माध्यम से सीधे अभिभावकों तक पहुंचेगी. उन्होंने कहा कि अगर कोई विद्यार्थी स्कूल नहीं पहुंचता है तो उसके अभिभावक के मोबाइल नंबर पर तुरंत संदेश जाएगा. इससे अभिभावक अपने बच्चों की उपस्थिति, सुरक्षा और नियमितता पर निगरानी रख सकेंगे.
अब 1 अप्रैल से शुरू होगा शैक्षणिक सत्र-
शिक्षा मंत्री ने बताया कि राजस्थान में अब शैक्षणिक सत्र 1 अप्रैल से शुरू होगा, ताकि छात्रों को समय पर किताबें मिल सकें और वे गर्मी की छुट्टियों में पढ़ाई की तैयारी कर सकें. उन्होंने कहा कि इससे शिक्षा व्यवस्था और अधिक सुव्यवस्थित और व्यवहारिक बनेगी.
पारदर्शिता और अनुशासन पर फोकस-
दिलावर ने बताया कि उन्हें शिक्षा, पंचायती राज और संस्कृत विभाग की जिम्मेदारी दी गई है और वे सभी विभागों में अनुशासन, पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए नई नीतियां लागू कर रहे हैं.
समानता लाने वाला कदम- पैरेंट्स
बच्चों के अभिभावकों ने कहा कि यह कदम शिक्षा में समानता लाने वाला और सकारात्मक परिवर्तन है. एक अभिभावक ने कहा कि पहले सरकारी और निजी स्कूलों की ड्रेस देखकर फर्क महसूस होता था, अब बच्चे एक जैसे दिखेंगे तो उनका आत्मसम्मान बढ़ेगा.
(चेतन गुर्जर की रिपोर्ट)
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