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जुनून से पा ली मंजिल! कभी बेचती थीं फूल… आज इन्हीं हाथों में है किताब, अब भरेंगी अमेरिका के लिए उड़ान

सरिता अपनी कहानी के जरिए सिखाती हैं कि अगर जुनून हो तो मंजिल मुश्किल जरूर होती है लेकिन मिलती जरूर है. इस पूरे सफर में उनके पिता हमेशा उनके साथ एक मजबूत स्तंभ की तरह खड़े रहे.

जूनून से पा ली मंजिल जूनून से पा ली मंजिल
हाइलाइट्स
  • पिता ने बचपन से ही कहा कि पढ़ाई करो

  • बचपन में खूब होती थी पैसों की दिक्कत 

आज हाथ में किताब है… लेकिन सरिता माली के इन्हीं हाथों में कभी फूल हुआ करते थे जिन्हें वो सिग्नल पर बेचा करती थीं. सरिता जेएनयू से रिसर्च कर रहीं है, लोकिन अब जल्द वो अमेरिका के लिए उड़ान भरने वाली हैं. उन्हे अमेरिका की कैलीफर्निया यूनीवर्सिटी ने पीएचडी करने के लिए स्कॉलरशिप मिली है.

हालांकि, सरिता का ये सफर कभी आसान नहीं थी. उनके पिता एक मामूली फूल वाले हैं. सरिता कहती है कि उनका जीवन मुंबई में झुग्गियों में बीता है. उनके पिता रात में मंडी से फूल लेकर आते थे और रातभर उसकी माला बनाकर अगली सुबह रोड किनारे बेचते थे.

पिता ने दी पढ़ाई करने की सीख 

यह कहानी सिर्फ सरिता की सफलता की कहानी नहीं है बल्कि सरिता और उनके पिता के संघर्ष की कहानी है. सरिता बताती हैं कि उनके पिता खुद पढ़े लिखे नहीं हैं, लेकिन उन्होंने हम सभी बच्चों के लिए पढ़ाई लिखाई में कभी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. उन्होंने बचपन में हम सभी से एक ही बात कह दी थी कि अगर इस जीवन को नरक नहीं बनाना है बहुत सारी पढ़ाई करो.

बचपन में खूब होती थी पैसों की दिक्कत 

सरिता बताती हैं कि बचपन से ही पैसे की दिक्कत होती थी. इसके अलावा कई बार समाज और रिश्तेदारों ने उनके सांवले रंग को लेकर भी बहुत कुछ कहा. कई रिश्तेदार कहता था कि तुम सांवली हो तुम्हें लोगों से ठीक से बात करनी चाहिए, किसी को न नहीं करनी चाहिए, तो कोई पिता जी को बोलता था कि बेटी इतनी सांवली है दहेज बहुत देना पड़ेगा इतना पैसा कहां से लाओगे?

पिताजी के संघर्ष और अपनी मेहनत से सरिता अपनी मंजिल के बेहद करीब हैं. अब वह कहती हैं कि पिताजी के कई सपने हैं वे उनको पूरा करके गांव का घर बनवाना चाहती हैं. वे कहती हैं, “पिताजी चाहते हैं कि वे देश के सारे बड़े मंदिर देखें, मैं उन्हें वहां लेकर जाऊंगी. 

सिग्नल पर फूल बेचते कई बच्चों को हम लोग हर रोज देखते हैं, देखकर अनदेखा कर देते हैं. कभी हमारे जहन में यह सवाल भी नहीं आता कि ऐसे बच्चों का भविष्य क्या होगा? लेकिन सरिता अपनी कहानी के जरिए सिखाती हैं, बताती हैं कि अगर जुनून हो तो मंजिल मुश्किल जरूर होती है लेकिन मिलती जरूर है. हालांकि इसे सरिता की किस्मत कहिए या ईश्वर का आशीर्वाद कि उनके पिता हमेशा उनके साथ एक मजबूत स्तंभ की तरह खड़े रहे.