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Arrah Lok Sabha Seat: कभी कांग्रेस का रहा दबदबा, 1984 के बाद नहीं दिखा 'पंजा', अभी बीजेपी का बुलंद है झंडा, यादव-राजपूत वोटर्स तय करते हैं सांसद, आरा लोकसभा सीट का जानिए इतिहास 

Lok Sabha Election 2024 Arrah Seat: कांग्रेस पार्टी के टिकट पर आरा लोकसभा सीट से बलिराम भगत 1952 से 1971 तक लगातार जीत दर्ज करने में सफल रहे थे. इसके बाद 1977 में भारतीय लोक दल के चंद्रदेव प्रसाद वर्मा यहां से सांसद चुने गए थे. पिछले दो लोकसभा चुनाव से बीजेपी के टिकट से आरके सिंह जीत दर्ज कर रहे हैं.

Arrah Lok Sabha Seat Arrah Lok Sabha Seat
हाइलाइट्स
  • आरा लोकसभा सीट इस बार भी है बीजेपी के खाते में 

  • आरके सिंह यहां से हैं हैट्रिक लगाने को तैयार 

Arrah Lok Sabha Constituency: लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) का बिगुल बज चुका है. देश में सियासी पारा चढ़ चुका है. बिहार (Bihar) भी इससे पीछे नहीं है. यहां की कुल 40 लोकसभा सीटों पर एनडीए (NDA) के साथ इंडिया गठबंधन की भी नजर है. दिल्ली की सत्ता पाने में इस राज्य की विशेष भूमिका होती है. आज हम भोजपुर जिले के आरा (Arrah) लोकसभा क्षेत्र के जातीय समीकरण के साथ इसके चुनावी इतिहास के बारे में आपको बता रहे हैं.

आरा लोकसभा सीट पर कभी कांग्रेस (Congress) का दबदबा रहा, लेकिन इस पार्टी को लोकसभा चुनाव 1984 के बाद कभी जीत का स्वाद चखने को नहीं मिला. पिछले दो लोकसभा चुनाव से यहां से भाजपा (BJP) का कमल खिल रहा है. वर्तमान में यहां से केंद्र सरकार में मंत्री राजकुमार सिंह (RK Singh) सांसद हैं. एनडीए गठबंधन में इस बार भी यह सीट बीजेपी के खाते में आई है. आरके सिंह यहां से हैट्रिक लगाने के लिए तैयार हैं. 

आरा लोकसभा क्षेत्र का क्या है चुनावी इतिहास
आरा लोकसभा क्षेत्र को कभी कांग्रेस का गढ़ माना जाता था. यहां से कांग्रेस पार्टी के टिकट पर बलिराम भगत लोकसभा चुनाव 1952, 1957, 1962, 1967 और लोकसभा चुनाव 1971 में जीत दर्ज करने में सफल रहे. इसके बाद 1977 में भारतीय लोक दल के चंद्रदेव प्रसाद वर्मा यहां से सांसद चुने गए थे.

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लोकसभा चुनाव 1980 में जनता पार्टी सेक्युलर के टिकट पर चंद्रदेव प्रसाद वर्मा फिर विजयी हुए. 1984 में कांग्रेस के पंजे का एक बार फिर जादू चला. कांग्रेस के टिकट पर बलिराम भगत फिर जीत दर्ज करने में सफल रहे. हालांकि इसके बाद आरा लोकसभा सीट से कांग्रेस को कभी जीत नहीं मिली.

2004 में कांति सिंह और 2009 में मीना सिंह जीत दर्ज करने में रहीं सफल  
लोकसभा चुनाव 1989 में इंडियन पीपुल्स फ्रंट के रामेश्वर प्रसाद विजयी हुए. इसके बाद लोकसभा चुनाव 1991 में जनता दल के राम लखन सिंह यादव को जनता चुनकर दिल्ली भेजा. फिर लोकसभा चुनाव 1996 में जनता दल के चंद्रदेव प्रसाद वर्मा जीते थे. 1998 में समता पार्टी के एचपी सिंह, 1999 में आरजेडी के राम प्रसाद सिंह,  2004 में आरजेडी की कांति सिंह और लोकसभा चुनाव 2009 में जेडीयू की मीना सिंह जीत दर्ज करने में सफल रहीं.

मोदी लहर में खिला कमल 
मोदी लहर में आरा लोकसभा क्षेत्र में कमल खिला. जी हां, लोकसभा चुनाव 2014 में बीजेपी के टिकट से आरके सिंह जीत दर्ज करने में सफल रहे. इस चुनाव में आरके सिंह ने आरजेडी के प्रत्याशी श्रीभगवान सिंह कुशवाहा को हराया था. आरके सिंह को 391,074 वोट और कुशवाहा को 255,204 वोट मिले थे. सीपीआई के राजू यादव 98,805 वोट के साथ तीसरे नंबर पर रहे थे.

इसके बाद लोकसभा चुनाव 2019 में आरा लोकसभा सीट से कुल 11 उम्मीदवार मैदान में थे. बीजेपी ने एक बार फिर आरके सिंह पर भरोसा दिखाया. आरके सिंह को कुल 5,66,480 वोट हासिल हुए थे. वह 1,47,285 वोटों से विजयी हुए थे. सीपीआई (माले) के उम्मीदवार राजू यादव को 4,19,195 मत प्राप्त हुए थे.

कुल इतनी हैं विधानसभा की सीटें
आरा लोकसभा क्षेत्र के अंदर विधानसभा की कुल 7 सीटें आती हैं. इसमें आरा, संदेश, बड़हरा, अगिआंव, तरारी, जगदीशपुर और शाहपुर शामिल हैं. आरा लोकसभा में कुल 21,56,048 लाख वोटर है जिसमें 11,45,328 पुरुष तथा 10,10,685 महिला मतदाता हैं. ट्रांसजेंडर की संख्या 35 है.

सत्ता पाने में जातीय समीकरण का अहम रोल 
बिहार में लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव जातीय समीकरण का अहम रोल होता है. इस प्रदेश के अधिकांश बड़े नेताओं ने किसी न किसी जाति के जरिए ही अपनी सियासत को आगे बढ़ाया है. आरा लोकसभा की बात करें तो यहां यादव और राजपूत वोटर्स सांसद तय करते हैं. यहां मुस्लिम, ब्राह्मण, पिछड़ा और अति पिछड़ा जाति के लोग भी अहम भूमिका निभाते हैं.

इन्हें कोई भी पार्टी नजरअंदाज नहीं कर सकती. भोजपुर जिले में सबसे अधिक यादव मतदाता लगभग 3 लाख 50 हजार हैं. इन्हें आरजेडी का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है. हालांकि अब अधिकांश यादव वोटर जदयू और बीजेपी को भी वोट देने लगे हैं. इन वोटों का कुछ प्रतिशत इस लोकसभा चुनाव में भी आरके सिंह के साथ जुट सकता है.

राजपूतों की संख्या है अच्छी-खासी 
आरा लोकसभा क्षेत्र में राजपूत जाति की संख्या लगभग तीन लाख के आसपास है. राजपूत लोग बीजेपी के पक्ष में मतदान करते हैं. बीजेपी सांसद आरके सिंह राजपूत जाति से आते हैं.भोजपुर जिले में भूमिहार जाति की संख्या लगभग एक लाख 15 हजार है. उनका भी वोट चुनाव में निर्णायक साबित होता है. यदि भूमिहार वोटरों की बात करें तो कुछ बुजुर्ग लोग जो पुराने कांग्रेसी हैं, वो महागठबंधन प्रत्याशी को वोट करते हैं. अन्यथा 85 प्रतिशत भूमिहार समाज का वोट भाजपा को मिलता रहा है.

जीत-हार तय करने में ये जातियां भी निभाती हैं प्रमुख भूमिका
भोजपुर जिले में पासवान जाति के मतदाताओं की संख्या 50 हजार के आसपास है. चंद्रवंशी समाज के वोटरों की संख्या भी 50 हजार के करीब, ब्राह्मण जाति के लगभग 70 हजार वोटर हैं. कुशवाहा वोटरों की संख्या एक लाख से अधिक है. इसे जिले में मुस्लिम समुदाय की आबादी 1 लाख 25 हजार के आसपास है. भोजपुर जिले में अति पिछड़ा वर्ग जैसे कुम्हार, लोहार, बढ़ई, सुनार, मल्लाह जातियां भी चुनाव में जीत-हार तय करने में निर्णायक भूमिका निभाती हैं. इस जिले में कोइरी, कुर्मी और मांझी वोट भी बहुत मायने रखता है.