scorecardresearch

Story of 7th General Elections: जनता पार्टी में बिखराव, Indira Gandhi की सत्ता में प्रचंड वापसी... 7वें आम चुनाव की कहानी

India's 7th General Elections: 7वीं लोकसभा का कार्यकाल कई अहम घटनाओं का गवाह बना. साल 1980 में आम चुनाव में इंदिरा गांधी को प्रचंड जीत मिली थी, वो चौथी बार देश की प्रधानमंत्री बनीं. इस कार्यकाल में ही पंजाब में जरनैल सिंह भिंडरावाले ने अमृतसर में स्वर्ण मंदिर पर कब्जा कर लिया था. जिसके बदले में सेना ने ऑपरेशन ब्लूस्टार चलाया. इस ऑपरेशन का बदला लेने के लिए प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई थी.

Indira Gandhi contested from Raebareli and Medak in Telangana in the 1980 Lok Sabha election. She retained the Medak seat and was an MP from there when she was assassinated in 1984. (Image: Getty) Indira Gandhi contested from Raebareli and Medak in Telangana in the 1980 Lok Sabha election. She retained the Medak seat and was an MP from there when she was assassinated in 1984. (Image: Getty)

आपातकाल और निरंकुश शासन के खात्मे के साथ ही साल 1977 में देश में पहली बार गैर-कांग्रेसी सरकार बनी थी. लेकिन आपसी खींचतान और सियासी महत्वाकांक्षा ने सियासी दलों को एकजुट नहीं रहने दिया और देश में समय से पहले ही साल 1980 में फिर से आम चुनाव हुए. कमजोर और अस्थाई सरकार के खिलाफ जनता के आक्रोश ने एक बार फिर कांग्रेस को प्रचंड बहुमत दिया. इंदिरा गांधी फिर से प्रधानमंत्री बनीं. 7वीं लोकसभा का कार्यकाल प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या का गवाह भी बना.

आपातकाल के बाद देश में साल 1977 में आम चुनाव हुए थे. जिसमें कांग्रेस को बुरी तरह से हार मिली थी और देश में मोरारजी देसाई की अगुवाई में जनता पार्टी की सरकार बनी थी. लेकिन जल्द ही मोरारजी देसाई को प्रधानमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी और चौधरी चरण सिंह प्रधानमंत्री बने. हालांकि वो बहुमत नहीं जुटा पाए और देश में 7वें आम चुनाव का ऐलान हुआ.

7वें आम चुनाव के लिए साल 1980 में 3 और 6 जनवरी की तारीख तय की गई. जनता पार्टी में नेताओं की आपसी लड़ाई और देश में राजनीतिक अस्थिरता ने कांग्रेस (आई) के पक्ष में माहौल बनाया. कांग्रेस ने भी स्थिर और मजबूत सरकार देने का दांव चला. कांग्रेस ने 'काम करने वाली सरकार को चुनिए' नारा दिया और जब चुनाव नतीजे आए तो जनता ने कांग्रेस के इस नारे पर मुहर लगा दी थी. कांग्रेस ने इस चुनाव में प्रचंड जीत दर्ज की थी. कांग्रेस को 353 सीटों पर जीत मिली थी और 42.69 फीसदी वोट मिले थे. इस चुनाव में जनता पार्टी को सिर्फ 18.97 फीसदी वोट के साथ 31 सीटें मिली थीं. जबकि जनता पार्टी (सेक्युलर) को 9.39 फीसदी वोट के साथ 41 सीटों पर जीत मिली थी. सीपीएम को 6.24 फीसदी वोट के साथ 37 सीटों पर जीत हासिल हुई थी.

सम्बंधित ख़बरें

सिर्फ तीन साल के अंदर आपातकाल से नाराज जनता ने कांग्रेस को दोबारा सत्ता दे दी. इस चुनाव में कांग्रेस के विरोधी दलों का सूपड़ा साफ हो गया. इस जीत के बाद इंदिरा गांधी चौथी बार भारत की प्रधानमंत्री बनीं. हालांकि इंदिरा गांधी के लिए ये मंजिल हासिल करना आसान नहीं था. इस चुनाव में इंदिरा के सामने बिहार में कर्पूरी ठाकुर, कर्नाटक में रामकृष्ण हेगड़े, महाराष्ट्र में शरद पवार, हरियाणा में देवीलाल, ओडिशा में बीजू पटनायक की बड़ी चुनौती थी. इन दिग्गजों की अपने-अपने क्षेत्रों में अच्छी पकड़ थी. लेकिन जनता ने इन क्षत्रपों की जगह इंदिरा गांधी के तौर पर स्थिर सरकार चुना.

सातवीं लोकसभा का कार्यकाल कई घटनाओं का गवाह बना. इस दौरान ही पंजाब में जरनैल सिंह भिंडरवाला का उदय और अंत हुआ. इस दौरान ही खालिस्तान की मांग तेज हुई और पंजाब अशांत हो गया. साल 1983 में पंजाब में एक बस में हिंदुओं का सामूहिक कत्ल कर दिया गया. इसके बाद पंजाब में दरबारा सिंह की सरकार को बर्खास्त कर दिया गया और राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया.

7वीं लोकसभा के कार्यकाल में 6 जून 1984 को स्वर्ण मंदिर में ऑपरेशन ब्लूस्टार भी चलाया गया था. जिसमें जरनैल सिंह भिंडरवाला को मार गिराया गया था. ऑपरेशन ब्लूस्टार का बदला लेने के लिए 21 अक्टूबर 1984 को 2 बॉडीगार्ड्स ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी. इसके बाद देशभर में सिख विरोधी दंगे हुए. 7वीं लोकसभा के कार्यकाल में देश की सियासत पूरी तरह से बदल गई.

ये भी पढ़ें: