Polling officials monitor strong room through CCTV footage in Ahmedabad
Polling officials monitor strong room through CCTV footage in Ahmedabad गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग हो चुकी है और कल नतीजे भी आ जाएंगे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि वोटिंग के बाद काउंटिंग तक ईवीएम कहां रखा जाता है? इसकी सुरक्षा कैसी होती है? ईवीएम की सुरक्षा की जिम्मेदारी किसकी होती है? क्या इसकी सुरक्षा में कोई सेंध लगा सकता है? इन तमाम सवालों के जवाब इसमें छिपा है कि चुनाव आयोग ईवीएम की सुरक्षा के लिए कैसी व्यवस्था करता है? तो चलिए आपको बताते हैं कि वोटिंग के बाद ईवीएम को काउंटिंग तक कैसे सेफ रखा जाता है और इसको लेकर चुनाव आयोग के क्या नियम हैं.
कहां रखे जाते हैं ईवीएम-
चुनाव में वोटिंग के बाद ईवीएम और वीवीपीएटी मशीनों को विशेष सुरक्षा में एक विशेष कमरे में पहुंचाया जाता है. जिसे स्ट्रॉन्ग रूम कहते हैं. स्ट्रॉन्ग रूम की सुरक्षा के विशेष इंतजाम होते हैं. चुनाव आयोग खुद स्ट्रॉन्ग रूम की निगरानी करता है. स्ट्रॉन्ग रूम को कहीं भी नहीं बनाया जा सकता है. इसके लिए सिर्फ सरकारी बिल्डिंग का ही चयन किया जाता है. रिटर्निंग ऑफिसर सभी राजनीतिक दलों को स्ट्रॉन्ग रूम की जानकारी देता है.
स्ट्रॉन्ग रूम के चयन के नियम-
स्ट्रॉन्ग रूम को लेकर चुनाव आयोग ने कई नियम बनाए हैं. इस नियमों के मुताबिक ही स्ट्रॉन्ग रूम बनाए जा सकते हैं.
स्ट्रॉन्ग रूम को सील करने का नियम-
ईवीएम और वीवीपीएटी मशीनों को स्ट्रॉन्ग रूम में रखने के बाद उसे सील किया जाता है. इसके लिए भी नियम बनाए गए हैं. स्ट्रॉन्ग रूम को सील करते वक्त राजनीतिक दलों के सदस्य मौजूद रहते हैं. चुनाव आयोग के ऑब्जर्वर की मौजूदगी में कमरों को डबल लॉक से सील किया जाता है. राजनीतिक दलों के सदस्य ताले पर अपनी सील भी लगा सकते हैं. हालांकि इसके लिए राजनीतिक दलों को पहले से लिखित आवेदन देना होता है. स्ट्रॉन्ग रूम की खिड़कियों और दूसरे दरवाजों को पूरी तरह से सील कर दिया जाता है. स्ट्रॉन्ग रूम के इकलौते इंट्री प्वाइंट पर डबल लॉक होता है. जिसकी एक चाबी रिटर्निंग ऑफिसर और दूसरी असिस्टेंट ऑफिसर के पास होती है.
स्ट्रॉन्ग रूम की सुरक्षा के विशेष इंतजाम-
EVM और VVPAT मशीनों को स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाता है. चुनाव आयोग स्ट्रॉन्ग रूम की सुरक्षा के लिए थ्री-लेयर सुरक्षा का इंतजाम करता है. इसकी सुरक्षा पूरी तरह से चुनाव आयोग की निगरानी में होती है. चलिए आपको बताते हैं कि स्ट्रॉन्ग रूम की सुरक्षा कैसे होती है और इससे जुड़े नियम क्या हैं.
उम्मीदवार भी रह सकता है स्ट्रॉन्ग रूम के पास-
अगर किसी उम्मीदवार या पार्टी को स्ट्रॉन्ग रूम के पास सुरक्षा के लिए रहना है तो उसे पहले इसकी लिखित जानकारी देनी होगी. लेकिन इसके बावजूद उसे स्ट्रॉन्ग रूम के अंदरूनी हिस्से में जाने की इजाजत नहीं होगी. उम्मीदवार स्ट्रॉन्ग रूम के इंट्री प्वाइंट को दूर से देख सकता है. अगर स्ट्रॉन्ग रूम के इंट्री प्वाइंट को सीधे देखने की व्यवस्था नहीं है तो उम्मीदवार को सीसीटीवी कैमरे के जरिए इंट्री प्वाइंट को दिखाया जाएगा.
स्ट्रॉन्ग रूम की सुरक्षा का होता है रिकॉर्ड-
स्ट्रॉन्ग रूम की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जाते हैं. इंट्री प्वाइंट 24 घंटे सीसीटीवी की सुरक्षा में होता है. इसका लिखित रिकॉर्ड भी रखा जाता है. कब, किस सुरक्षाकर्मी की ड्यूटी लगी है, इसकी भी लिखित जानकारी रखी जाती है. सुरक्षा अधिकारियों के साथ राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों के आने-जाने का भी लिखित रिकॉर्ड होता है.
कैसी होती है स्ट्रॉन्ग रूम से काउंटिंग हॉल की सुरक्षा-
ईवीएम को स्ट्रॉन्ग रूम से काउंटिंग हॉल तक ले जाने के रास्ते पर भी सुरक्षा व्यवस्था मुस्तैद होती है. वैसे ज्यादातर काउंटिंग हॉल स्ट्रॉन्ग रूम के आसपास ही होता है. इसके बावजूद रास्तों की की निगरानी रखी जाती है. अगर काउंटिंग हॉल ज्यादा दूर है तो रास्ते को सील कर दिया जाता है. जगह-जगह हथियारबंद सुरक्षा बल तैनात होते हैं. इसके बाद ईवीएम को काउंटिंग हॉल तक ले जाया जाता है. वोटों की गिनती सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में होती है.
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