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Panchayat-2 Exclusive: मध्य प्रदेश के इस गांव में हुई है पंचायत की शूटिंग, मेकर्स से जानिए गांव-देहात पर बनी इस सीरीज के पीछे के किस्से

स्लो पेस पर चल रही इस सीरीज की सबसे ख़ास बात इसके किरदार, ग्रामीण परिवेश, वास्तविकता और पूरी कहानी में छिपी मासूमियत है. और यही कारण यही कि आम जन इस सीरीज से खुद को बेहद आसानी से जोड़ पा रही है. सीरीज में टीवीएफ के जितेंद्र कुमार, नीना गुप्ता, रघुबीर यादव और फैसल मलिक प्रमुख किरदार में हैं.

Panchayat Season 2 Panchayat Season 2
हाइलाइट्स
  • उत्तर प्रदेश के नहीं मध्य प्रदेश के एक गांव में हुई है शूटिंग

  • गांव के लोगों के बगैर नहीं था मुमकिन 

अमेज़न प्राइम पर पिछले साल पंचायत वेब सीरीज रिलीज़ हुई थी. जिसकी कहानी एक इंजीनियर के इर्द-गिर्द घूमती है जो पंचायत सचिव बनकर उत्तर प्रदेश के छोटे से गांव फुलेरा में आता है. उस गांव में वह क्या-क्या देखता है, किन परिस्थितियों का सामना करता है और उसके साथ क्या-क्या होता है इसे अलग-अलग एपिसोड्स में दिखाया गया है. अब इस सीरीज का दूसरा सीजन रिलीज़ हुआ है जो दर्शकों को खूब पसंद आ रहा है. स्लो पेस पर चल रही इस सीरीज की सबसे ख़ास बात इसके किरदार, ग्रामीण परिवेश, वास्तविकता और पूरी कहानी में छिपी मासूमियत है. और यही कारण यही कि आम जन इस सीरीज से खुद को बेहद आसानी से जोड़ पा रही है. सीरीज में टीवीएफ के जितेंद्र कुमार, नीना गुप्ता, रघुबीर यादव और फैसल मलिक प्रमुख किरदार में हैं.

पंचायत-2 को लेकर सीरीज के डायरेक्टर और राइटर, दीपक मिश्रा और चंदन कुमार ने GNT डिजिटल को दिए एक इंटरव्यू में शूटिंग से जुड़े कई रोचक किस्से बताए. उन्होंने बताया कि आखिर पंचायत वेब सीरीज असल में किस गांव में शूट की गई है, साथ ही तीसरे सीजन पर काम चल रहा है या नहीं इसे लेकर भी चर्चा की. पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश-

सीरीज को मिल रहे लोगों के प्यार के बारे में डायरेक्टर दीपक मिश्रा कहते हैं कि शुरुआत में थोड़ा प्रेशर था, चूंकि पंचायत-1 लोगों को काफी पसंद आया था. लेकिन हमने उस प्रेशर पर कभी ध्यान नहीं दिया. हम वही करते रहे जो हमें आता है. वो है मेहनत. हम मेहनत करते गए, लिखते गए, पन्ने फाड़ते रहे, शॉट्स रिजेक्ट करते रहे और बन गई पंचायत-2.

वहीं सीरीज के राइटर चंदन कुमार हंसते हुए कहते हैं कि प्रेशर था लेकिन सब अच्छे से हो गया. और हम खुश हैं कि लोगों को ये अच्छा  लग रहा है.

पंचायत का कांसेप्ट कैसे मिला?

कहानी कैसे शुरू हुई और कैसे इस सीरीज का आइडिया आया, इसपर चंदन कहते हैं, “शुरू शुरू में सीधे गांव से शुरू नहीं हो गया था. स्क्रैच से शुरू हुआ था, बस इतना ही कि 'अर्बन बॉय इन अ रूरल सेटअप'. ये कांसेप्ट अच्छा लगता था कि सरकारी जॉब में कोई शहरी लड़का हो जो गांव में नौकरी कर रहा हो और उसकी ज़िंदगी में क्या चल रहा है, वो कैसी परिस्थितियों से गुजर रहा है, क्या परेशानियां फेस कर रहा है. तो वही था सेटअप. और जब सोच रहे थे की वो जो जगह होगी लोकेशन कहां होगी तब हमने ग्राम पंचायत का डाला. क्योंकि हम लोग टीवीएफ में भी सोच रहे थे कि गांव पर एक शो बनाना है. मैं पहले से ही इस कांसेप्ट पर काम कर रहा था तो हमें सही लगा कि इसमें दोनों काम निकल रहे हैं. वहां से हमने शुरू किया और फिर जैसे जैसे कहानी बढ़ती गई उसमें किरदार आते गए. लोग  जुड़ते गए और कारवां बढ़ता गया.”

उत्तर प्रदेश के नहीं मध्य प्रदेश के एक गांव में हुई है शूटिंग 

आपको यह जानकारी हैरानी होगी कि पंचायत वेब सीरीज की कहानी उत्तर प्रदेश की है लेकिन इसे मध्य प्रदेश में शूट किया गया है. करीबन डेढ़-दो सौ गाँव घूमने के बाद मेकर्स ने सिहोर के महोड़िया नाम के गांव में इसकी शूटिंग की है. इसपर दीपक कहते हैं, “हमारी अपनी तरफ से यही कोशिश रहती है कि जैसा असल में है हम वैसा ही लोगों को भी दिखाए. तो जो प्रधान जी का घर आपको दिखता है वो असल में उस गांव के प्रधान का घर है. जो पंचायत ऑफिस दिखता है स्क्रीन पर वो भी गांव का असली पंचायत ऑफिस है. हम अपनी तरफ से कोशिश करते हैं जितना रियलिटी पर जोर दे सके उतना दें. एक और बात कि पंचायत की शूटिंग उत्तर प्रदेश के फुलेरा गांव में नहीं बल्कि मध्य प्रदेश के सिहोर जिले के महोड़िया गांव में हुई है. लेकिन वो गांव भी बहुत सोचा समझकर चुना गया था. आप मानेंगी नहीं हमने शूटिंग के लिए करीब 150 गांवों का मुआयना क‍ि, कुछ गांवों की भी बकायदा कास्टिंग हुई थी. तो बलिया के सबसे पास का और वैसे ही बोली वाला गांव था हमने उसे चुना. मैं बनारस का रहने वाला हूं. तो जो गांव मुझे लगा कि ये मेरा ही दादी नानी का गांव है वहीं पर शूट किया. काफी मेहनत हुई इस गांव को ढूंढने में, लेकिन आखिर में मिल ही गया.”

गांव के लोगों के बगैर नहीं था मुमकिन 

दीपक बताते हैं कि पहले सीजन में सभी गांव के लोग बड़े एक्साइटेड थे, सब आते थे. लेकिन उसमें भी कुछ सीन के लिए. लेकिन फिर धीरे धीरे कम होते चले गए. एक ही लाइन एक ही आदमी बार बार बोलते देखकर बोर हो गए थे. हालांकि, आखिर में आते आते गांववाले भी परेशान हो गए थे. पर सभी काफी सपोर्टिव रहे. लोगों ने बहुत साथ दिया हमारा, उनके बगैर ये मुमकिन नहीं था.

बलिया ही क्यों?

सीरीज के लिए बलिया का ही गांव क्यों चुना गया इसपर मेकर्स कहते हैं, “दरअसल, हम दोनों ही उसी क्षेत्र के लोग हैं. तो जो जानते थे हमने उसे ही दिखाया. कई बारीकी हमें केवल अपने ही क्षेत्र की पता होती हैं. जैसे उस तरफ के इलाके की लड़कियां बड़ों के पैर छूती हैं और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की नहीं. तो ये बारीकियां हमें पता थीं इसलिए हमने उस जगह को चुना.”   

कब आएगा तीसरा सीजन?

तीसरा सीजन कब रिलीज़ होगा इसपर GNT digital को पंचायत के डायरेक्टर दीपक मिश्रा बताते हैं कि उसपर काम चल रहा है. वे कहते हैं, “हम तीसरे सीजन पर भी काम कर रहे हैं. कुछ एपिसोड लिखे जा चुके हैं. केवल अभिषेक ही नहीं बल्कि सभी किरदारों पर काम चल रहा है. जिस मोड पर हमने उन सभी की कहानियों को छोड़ा था उन सभी पर काम चल रहा है.  सभी की कहानियां धीरे-धीरे आगे बढ़ानी हैं. कुछ पर मंथन चल रहा है. और उम्मीद यही करेंगे की आपको तीसरा सीजन भी इतना ही पसंद आयेगा.” 

उप-प्रधान रखते हैं सेट पर सभी को खुश 

पंचायत-2 का एक सीन पूरे सोशल मीडिया पर छाया हुआ है जिसमें उप-प्रधान प्रह्लाद का बेटा शहीद हो जाता है. ये पल ऐसा है जिसने सभी की आंखें नम कर दीं, हालांकि कई लोग इस सीन को एक्स फैक्टर बता रहे हैं. लेकिन इसपर  शो के मेकर्स कहते हैं कि उस सीन में हमने रियलिटी दिखाई है. हमारी आर्मी में सिपाही रैंक पर काम कर रहे लोग गांव-देहात के ही लड़के होते हैं. इसमें कोई दो राय नहीं है. ये सच है. इसलिए हमें इसे समझना चाहिए, और मानना चाहिए कि ये गांव-देहात के लड़के हमें प्रोटेक्ट कर रहे हैं हर दिन. तो हमने वही दिखाया है.

हालांकि, आखिरी सीन में बेटे के शहीद होने पर चींखें मार-मार रो रहे प्रह्लाद, जिन्होंने सभी दर्शकों की आंखों में आंसू ला दिए, वे असल जिंदगी में काफी खुशमिजाज हैं. उनके बारे में दीपक बताते हैं कि सीरीज में प्रह्लाद का किरदार निभाने वाले फैसल सेट पर सबसे ज्यादा खुशमिजाज इंसान हैं. दीपक कहते हैं,  “सेट पर वे काफी खुश रखते हैं सभी को. उन्हें आप कहीं भी बैठा दो वो दुनिया के सबसे सीरियस लोगों को पार्टी करवा देंगे. बहुत उत्साहित रहते हैं वो.”

सेट पर रहता है ख़ुशी का माहौल 

ऐसे ही एक और किस्सा याद करते हुए दीपक बताते हैं, “तो सेट पर एक बार ऐसा हुआ कि हम सांप के साथ शूट कर रहे थे तो सतीश रे का शूट था जिसमें वो सांप के आगे हाथ लेकर जाते हैं. वो मोमेंट ऐसा था कि सेट पर सभी को सतीश को हिम्मत देनी पड़ी की इसपर हाथ ही तो लगाना है. मैंने भी उन्हें हाथ लगाकर दिखाया. वो असल में भी काफी डरे हुए थे. उस मोमेंट पर सभी खूब हंसे थे.” 

गौरतलब है कि पंचायत सीरीज टीवीएफ (TVF) के बैनर तले बनी है. टीवीएफ ने इससे पहले कई कहानियां दर्शकों के सामने लाई हैं, जिसमें युवाओं को टारगेट करके शहरों वाली ज़िंदगी दिखाई गई है. इसके बाद टीवीएफ ‘ये मेरी फैमिली’ और ‘गुल्लक’ सीरीज के माध्यम से छोटे शहरों की कहानियां कहने लगा. लेकिन पंचायत पहली सीरीज है जो गांव-देहात के किस्से कह रही है. और लोगों को भी खूब पसंद आ रही है.