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फीमेल फ्लैटमेट संग रूम शेयर, दस रुपए के नोट को पैरों से छुपा लेना, ऐसे हैं राजू श्रीवास्तव के स्ट्रगल के किस्से

राजू श्रीवास्तव आज भले ही इतना बड़ा नाम हों, लेकिन उन्होंने अपने स्ट्रगल के दिनों में बहुत कुछ देखा है. आज राजू भले ही बेहद सक्सेेस हैं, पर एक समय ऐसा भी था, जब वो एक फिमेल रूममेट के साथ रूम शेयर करके रहते थे.

राजू श्रीवास्तव राजू श्रीवास्तव
हाइलाइट्स
  • शादी के लिए लड़की देखने दोस्त को भेजा

  • बहुत ही सिंपल हैं राजू

अस्पताल में कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव की हालत गंभीर बनी हुई है. कहा जा रहा है डॉक्टर्स ने भी जवाब दे दिया है. राजू की सलामती के लिए बस दुआ ही काम करेगी. ऐसे में उनके कई करीबी उनकी सलामती की दुआ मांग रहे हैं. उनमें से एक हैं अशोक मिश्रा. राजू के दोस्त अशोक मिश्रा खुद कमिडियन हैं. राजू और अशोक मुंबई में स्ट्रगल के दिनों से दोस्त रहे हैं. यहां तक की अशोक राजू के साथ मालाड के घर में सालों रहे हैं. अशोक आजतक डॉट इन से राजू की सलामती की दुआ करते हुए उनके संग बिताए यादों को शेयर करते हैं.

कुछ यूँ हुई अशोक और राजू की दोस्ती
अशोक बताते हैं, 18 साल में जब 1992 में मुंबई आया, तो उस दौरान एक फीमेल एक्ट्रेस कमिडियन मीना श्रीवास्तव ने मेरी उनसे मुलाकात करवाते हुए कहती हैं, ये राजू श्रीवास्तव है कॉमेडी करते हैं. मैंने फौरन कहा, इनको तो फिल्म मैंने प्यार किया में देखा है. वहां एक छोटा सा सीन था, जिसमें सलमान खान आकर ट्रक के ड्राइवर संग मारपीट करता है. वहां एक क्लीनर होता है, राजू भाई क्लीनर बने थे. वहीं विलेन दीप ढिल्लन जी थे. मैंने उनके पांव छुए और कहा कि मैं यूपी से देवरिया का हूं और यहां संघर्ष कर रहा हूं. वहीं से उनसे दोस्ती बढ़ी.

मुफलिसी के दिनों में राजू ने दिया साथ
अशोक आगे कहते हैं, एक दिन अचानक उन्होंने मुझे मुंबई के महालक्ष्मी के डीएस स्टूडियो में जीनत की रिकॉर्डिंग के लिए बुलवाया और कहा कि यहां रिकॉर्डिंग है. आईए एक दो लाइन आप भी बोलिए. मैं उनका बड़प्पन कभी नहीं भूल पाऊंगा. जिंदगी में पहली बार 1992 में मेरे हाथ में डेढ़ सौ रुपया कैश था, जो राजू ने दिलवाया और फिर उन्होंने ही मुझे जी भरकर खाना खिलाया. मुंबई आने के बाद पहली बार मैंने पेट भर खाना और बिरयानी खाई थी. इसके बाद उन्होंने कहा कि तुम बहुत अच्छे इंसान हो, एक काम करो, मेरे घर पर ही आकर रहो.

फीमेल फ्लैटमेट के साथ रहते थे राजू
अशोक बताते हैं, राजू भाई इससे पहले मुंबई के सायन एरिया में एक बुजुर्ग महिला के साथ रूम पार्टनर के रूप में रहते थे. वो महिला भी एक्ट्रेस थीं और उन्होंने कई फिल्मों में नर्स का किरदार निभाया था. उसके बाद उन्होंने मालाड के जनकल्याण नगर में ढाई लाख का फ्लैट खरीदा था. तब ही उन्होंने मुझे अपने साथ रहने को कहा. एक ही चादर और तकिये में हम सोते थे. एक सगे भाई की तरह उन्होंने कहा कि और कॉमेडियन, मुंबई आए हो, हम हैं, तुम्हारे साथ, जो हमसे हो पाएगा, तुम्हारे लिए जरूर करेंगे. ये मेरी खुशनसीबी है कि मैं ऐसे टैलेंटेड कलाकार के साथ रहा हूं. जिनकी वजह से मुंबई में मुझे पहली बार रोटी और मकान नसीब हुआ था. राजू जी के साथ मेरा तीस साल का रहा है.

जब शादी के लिए लड़की देखने दोस्त को भेजा
राजू की जब शादी की बात चल रही थी, तो उन्होंने मुझसे ही कहा था कि अशोक तुम लखनऊ जाओ और लड़की जो मेरी होने वाली बीवी है, उसे देखकर आओ. राजू भाई ही ने मेरा पुष्कर एक्सप्रेस में टिकट भी करवा दिया था. मैं लखनऊ गया और वहां भाभी जी से मिला. मैंने आकर राजू को कहा कि बहुत अच्छी हैं और इसी से शादी करें. लखनऊ गया, तो भाभी जी ने पकौड़े खिलाए और राजू भाई के नाम चिट्ठी लिखकर भेजी थीं. वो मुझसे कहतीं कि भईया को जाकर बता देना मैं कैसी हूं, कह लें वो अर्जी लगा रही थीं, दरअसल वो चाहती थीं कि राजू भाई उनसे शादी कर लें. पहली दफा चिट्ठी लिखा और फाड़ा और फिर दोबारा लिखा. मैंने उन्हें अश्योरिटी दे दी थी कि डोंट वरी भाभी शादी तो आपसे ही होगी. आज वो हमारी शिखा भाभी हैं. 1994 में उनकी शादी हुई, हम सभी लखनऊ गए और मैं आर्केस्ट्रा परफॉर्म किया था.

बहुत ही सिंपल हैं राजू
राजू संग बिताए लम्हों को शेयर कर अशोक इमोशनल होकर कहते हैं, मैं तो उन्हें उस दौर से जानता हूं जब हम सड़क पर साथ चल रहे थे. रास्ते में दस-दस के तीन नोट पड़े थे, जिस पर राजू ने पैर रख दिया. मैंने उनसे रुकने की वजह पूछी, तो कहते हैं कि पैसे जूते के नीचे हैं तुम उठा लो, मुझे चार-पांच लोग पहचानते हैं. हमने उन पैसों से बांद्रा के रेलवे स्टेशन में वड़ा पाव खाया था. वो बहुत सी सिंपल तरीके रहते थे. वो शर्ट-पैंट पहनकर ही कहीं जाते. मेरे जिद करने पर उन्होंने लाइफ में पहली बार जींस पैंट पहना था. मालाड के नटराज मार्केट में जाकर हमने 1993 में शॉपिंग की थी. मैं उनसे कहता था कि क्या राजू भाई आप कलाकार हैं, आपको नॉर्मल शर्ट पैंट पहनने की क्या जरूरत थी. तब हमने पहली बार 350 रुपये के कपड़ों की शॉपिंग की थी.