scorecardresearch

Ayurvedic Diet Rules: इस तरह फॉलो करें हेल्दी और बैलेंस्ड डाइट, हमेशा रहेंगे स्वस्थ

आयुर्वेद में खान-पान के कुछ नियम बताए गए हैं जिन्हें अपनाकर आप खुद को स्वस्थ और ऊर्जावान रख सकते हैं.

Representational Image (Photo: Freepik) Representational Image (Photo: Freepik)
हाइलाइट्स
  • लंच होना चाहिए भारी और डिनर सबसे हल्का

  • प्रोसेस्ड फूड खाने से बचें

आयुर्वेद का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत यह है कि कोई भी दो व्यक्ति एक जैसे नहीं होते हैं, और इसलिए पोषण के लिए भी हर किसी की जरूरत अलग-अलग होती है. इस वजह से आयुर्वेद में कोई भी "वन साइज फिट ऑल' जैसा कॉन्सेप्ट नहीं है. आयुर्वेद में व्यक्ति के शरीर के हिसाब से या कहें तो 'दोष प्रकार' या 'मन-शरीर प्रकार' के हिसाब से डाइट तय की जाती है. 

आयुर्वेद में वात, पित्त और कफ ये तीन प्रकार के दोष हैं. दोष मन-शरीर की शक्तियां हैं जो हमारे शरीर के संचालन के सभी पहलुओं को नियंत्रित करती हैं, जैसे कि हमारा शरीर कैसा दिखता है, हमारा पाचन कितना शक्तिशाली है, हमारे विचार और शब्द कैसे प्रवाहित हो रहे हैं. 

इस तरह फॉलो करें हेल्दी और बैलेंस्ड डाइट 


1. खाएं अनप्रोसेस्ड फूड
आयुर्वेदिक डाइट में कहा गया है कि प्राण को बढ़ाना शरीर में जीवन शक्ति के स्रोत ओजस को बढ़ाने का सबसे अच्छा तरीका है. प्राण से भरपूर खाद्य पदार्थ सीधे धरती से आते हैं. उनका प्राण सूर्य, जल और पृथ्वी की ऊर्जाओं के मिलने से आता है. आप जिन संपूर्ण खाद्य पदार्थों को शामिल कर सकते हैं उनमें से एक है बादाम. आयुर्वेद बादाम को उनके पोषण मूल्य और वात को संतुलित करने की क्षमता के लिए बहुत महत्व देता है. 

प्रमेह की स्थिति में बादाम फायदेमंद हो सकता है. आपको बता दें कि आयुर्वेद मोटापा, प्रीडायबिटीज, डायबिटीज मेलिटस और मेटाबोलिक सिंड्रोम को क्लिनिकल डिसऑर्डर के रूप में बांटता है जो मिलकर प्रमेह सिंड्रोम बनाते हैं. मधुमेह की परेशानियां जैसे कमजोरी और दुर्बलता के इलाज के लिए बादाम का सेवन किया जा सकता है.

2. लंच होना चाहिए भारी और डिनर सबसे हल्का 
आपकी डाइजेस्टिव फायर दोपहर के समय अपनी पीक पर होती है. इसलिए, आयुर्वेद के अनुसार, आपको दिन का सबसे भारी खाना दोपहर में करना चाहिए, जब आपकी पाचन शक्ति सबसे ज्यादा तोज हो. सोने से कम से कम तीन घंटे पहले हल्का, अच्छी तरह से तैयार किया हुआ खाना खाएं, और रात 10:00 बजे या उससे पहले बिस्तर में चले जाएं. देर रात पेट भर कर खाना खाना आपके शरीर के लिए अच्छा नहीं होता है क्योंकि रात को शरीर के लिए 'रेस्ट और रिपेयर' का समय होता है. 

3. फॉलो करें 70-30 रूल
अक्सर लोग कहते हैं कि आपकी थाली में खाना बचना नहीं चाहिए, लेकिन आयुर्वेद के हिसाब से अपनी संतुष्टि तक ही खाना चाहिए. अगर आपको डकार आने लगे तो आपको वहीं रुक जाना चाहिए. सावधान रहें कि अधिक मात्रा में भोजन न करें या अल्प मात्रा में सेवन न करें जिससे आपको भूख और असंतुष्टि महसूस हो. 

आपको हमेशा 70-30 रूल फॉलो करना चाहिए. जिसके अनुसार, आपका पेट 70 फीसदी भरा होना चाहिए और 30 फीसदी खाली होना चाहिए. यही खाने का सही नियम है.