
 skincare product
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 skincare product हैंड सैनिटाइजर, ड्राई शैंपू और सनस्क्रीन में इस्तेमाल होने वाले कैमिकल्स से कैंसर होने की बहस लंबी है. इस बहस के बीच एक और स्किनकेयर प्रोडक्ट का नाम इस लिस्ट में शामिल हो गया है. अमेरिकी लेबोरेटरी वैलीश्योर ने क्लिनिक, क्लीयरसिल, प्रोएक्टिव समेत कई ब्रांडों को लेकर एफडीए में एक याचिका दायर की है. इसमें कहा गया है कि इन प्रोडक्ट्स में कैंसर पैदा करने वाले कैमिकल (benzene) का लेवल बहुत ज्यादा होता है.
मुंहासों की क्रीम से कैंसर का खतरा
इस खुलासे से दुनिया भर में इन ब्रांडों का इस्तेमाल करने वाले लोगों में डर पैदा हो गया है. अगर आप भी कील मुंहासों के लिए इस ब्रांड की क्रीम इस्तेमाल करते हैं तो तुरंत इसे बंद कर दें. बता दें, बेंजीन एक रंगहीन और ज्वलनशील लिक्विड है. ये कार्बन और हाइड्रोजन एटॉम से मिलकर बना है. बेंजीन को ल्यूकेमिया (एक तरह का ब्लड कैंसर) और दूसरी खून संबंधी बीमारियों के विकास के जोखिम को बढ़ाने के लिए जाना जाता है.

कैंसर से सीधा संबंध अभी भी नहीं
स्किन पर मुंहासे का इलाज करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाले क्रीम और फेसवॉश में बेंज़ोयल पेरोक्साइड होता है. बेंजीन मुंहासे पैदा करने वाले बैक्टीरिया के लेवल को कम करके, स्किन में सूजन को कम करने का काम करता है. हालांकि एक्सपर्ट्स का ये भी कहना है कि सिर्फ इसलिए कि इन स्किन प्रोडक्ट्स में बेंजीन पाया गया है, इसका कैंसर से सीधा संबंध नहीं है.
सांस संबंधी दिक्कतें भी होती हैं
बेंजीन के संपर्क से कैंसर का खतरा तीन कारकों पर निर्भर करता है: मात्रा, अवधि और जलन. आम तौर पर, किसी भी रासायनिक पदार्थ के अत्यधिक या लंबे समय तक संपर्क में रहने से सांस संबंधी समस्याएं पैदा हो सकती हैं. यह शुरू में सांस संबंधी समस्याओं की तरह नजर आता है लेकिन धीरे-धीरे अप्लासिया और मेटाप्लासिया जैसी गंभीर स्थितियों में बदल सकता है.