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Exclusive: सेक्स वर्कर्स फ्री में ले सकेंगी डॉक्टर्स की सलाह! राजधानी के रेड-लाइट एरिया GB रोड में खुला क्लिनिक, टेस्ट से लेकर दवाइयों तक सबकुछ होगा मुफ्त 

Free Clinic opened in GB Road: राजधानी दिल्ली के रेड-लाइट एरिया जीबी रोड में मुफ्त क्लिनिक खोला गया है. यहां सेक्स वर्कर्स फ्री में डॉक्टर्स की सलाह ले सकेंगी. इतना ही नहीं बल्कि दवाइयों से लेकर टेस्ट तक सबकुछ फ्री में हो सकेगा. इस पहल का उद्देश्य स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता फैलाना है.

जीबी रोड में खुला मुफ्त क्लिनिक जीबी रोड में खुला मुफ्त क्लिनिक
हाइलाइट्स
  • सेक्स वर्कर्स को उनकी बीमारियों के बारे में शिक्षित करना बेहद जरूरी 

  • बेसिक हेल्थ चेकअप के लिए भी करना पड़ता है कठिनाइयों का सामना 

कुछ दिन पहले जब दिल्ली में रहने वाली एक सेक्स वर्कर शालिनी (बदला हुआ नाम) के शरीर पर रैशेज पड़ने लगे तब उसने घबराकर डॉक्टर से सलाह लेने का फैसला किया. लेकिन जब सरकारी अस्पताल गईं तो अपॉइंटमेंट के लिए छोटी सी पर्ची बनवाने से लेकर परिसर में मौजूद मेडिकल स्टोर से दवाई लेने तक में कई परेशानियों का सामना किया. 45 साल की शालिनी को डॉक्टर ने जल्दबाजी में दवाई लिखकर तो दे दी लेकिन कोई असर नहीं हुआ. जिसके बाद उसने प्राइवेट अस्पताल में जाने का फैसला किया. बावजूद इसके कि उसे खर्चे के लिए 5 हजार रुपये उधार लेने पड़े. ये कहानी केवल शालिनी की ही नहीं बल्कि देश में मौजूद लगभग सभी महिला सेक्स वर्कर्स की है. 

लेकिन, अब राजधानी के रेड-लाइट एरिया जीबी रोड (Garstin Bastion Road) के नाम से मशहूर पुरानी दिल्ली के श्रद्धानंद मार्ग में महिला सेक्स वर्कर्स के लिए पहला मुफ्त क्लिनिक (Free Clinic) शुरू किया गया है. ये क्लिनिक सेवा भारती और नेशनल मेडिकोज ऑर्गेनाइजेशन (NMO) ने मिलकर शुरू किया है. 1 जनवरी से शुरू हुई उत्कर्ष नाम की इस पहल के तहत सेक्स वर्कर्स को फ्री में हेल्थ केयर सर्विस दी जाती है. हर रविवार को यहां लोक नायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल, सफदरजंग अस्पताल, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज और अन्य अस्पतालों के सात डॉक्टर जीबी रोड पर महिला पुलिस स्टेशन के पास एक पुराने स्कूल में खोले गए क्लिनिक में अपनी सेवाएं देने आते हैं.

क्लिनिक में हैं सभी दवाइयां
क्लिनिक में हैं सभी दवाइयां

दरअसल, उत्कर्ष क्लिनिक को शुरू करने के पीछे का उद्देश्य जीबी रोड पर महिला सेक्स वर्कर्स के बीच सुरक्षित हेल्थ सेवाएं मुहैया करवाना और उन्हें शिक्षित करना है. बताते चलें कि दिल्ली पुलिस के 2020 के आंकड़ों के मुताबिक, शाहजहांनाबाद के अजमेरी गेट से लाल किले के लाहौरी गेट तक फैले रेड-लाइट एरिया (Red-light Area) में 2,830 सेक्स वर्कर्स काम करती हैं. हालांकि, कई जानकारों के मुताबिक ये संख्या 4000 तक है. सेवा भारती के जनरल सेक्रेटरी सुशील गुप्ता ने GNT डिजिटल को बताया कि इसकी शुरुआत 2020 से हुई, जब कोरोना लॉकडाउन में वे यहां महिलाओं के लिए राशन लेकर आए. तब उनकी संस्था को पता चला कि यहां की महिलाएं कितनी समस्याओं का सामना कर रहीं हैं. 

सेक्स वर्कर्स को उनकी बीमारियों के बारे में शिक्षित करना बेहद जरूरी 

पालिका मेटरनिटी हॉस्पिटल की डॉक्टर ललिता कुमारी बताती हैं कि उनके पास जो सेक्स वर्कर्स चेकअप के लिए आईं उनमें पीरियड्स या एबॉर्शन से जुड़ी समस्याएं ज्यादा देखी गईं. इसके अलावा कॉन्ट्रासेप्टिव (Contraceptive) से जुड़ी दिक्कत या माउथ इन्फेक्शन, रैशेज, सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज, वैजाइनल या फंगल इन्फेक्शन, ड्रग्स जो रात-रातभर जागने के लिए लेने पड़ते हैं, उनसे जुड़ी परेशानी आदि देखी गई हैं. वहीं डॉक्टर आरती कहती हैं कि सेक्स वर्कर्स में पीआईवी (Pelvic Inflammatory Disease), एचपीवी (Human Papillomavirus Infection) जिससे सर्वाइकल कैंसर भी हो भी हो सकता है, जो आगे जाकर सोसाइटी में भी फैल सकता है, देखा गया है. 

डॉ आरती आगे कहती हैं, “मेरे पास ज्यादातर जो सेक्स वर्कर्स चेकअप के लिए आईं वे आम खांसी, जुकाम जैसी समस्या लेकर आई थीं. हालांकि, जब मैंने उनसे सामने से सवाल-जवाब करना शुरू किया, तब समझ आया कि इन्हें और भी परेशानी हैं. सबसे बड़ी बात है कि उन महिलाओं को पता भी नहीं है कि जिस फेज से वे गुजर रही हैं वो कोई हेल्थ से जुड़ी बीमारी है. कई सेक्स वर्कर कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करती हैं, लेकिन अक्सर मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP) किट समेत ओवर-द-काउंटर दवाओं से खुद का इलाज करने की कोशिश करती हैं, जिससे और भी बड़ी समस्याएं हो सकती हैं. इसके लिए जरूरी है कि सबसे पहले उन्हें इन सब बेसिक जानकारियों के बारे में शिक्षित किया जाए.” 

क्लिनिक में ही है दवाइयों की सुविधा उपलब्ध
क्लिनिक में ही है दवाइयों की सुविधा उपलब्ध

बेसिक हेल्थ चेकअप के लिए भी करना पड़ता है कठिनाइयों का सामना 

भारत में सेक्स वर्कर्स को हेल्थकेयर सर्विस तक पहुंचना भी एक शगल है. बेसिक हेल्थ चेकअप के लिए भी उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. और इसका कारण वे खुद नहीं हैं, बल्कि समाज है. जीबी रोड की ही बात करें तो वहां दिल्ली सरकार का चलाया हुआ मोहल्ला क्लिनिक से लेकर सरकारी अस्पताल भी है. हालांकि, सेक्स वर्कर्स का कहना है कि वे वहां जाने में हिचकती हैं. इसके कई कारण हैं जैसे- अस्पताल में पर्ची के लिए सुबह 7 बजे से ही लाइन में लगना पड़ता है, जो उनके लिए काफी मुश्किल है. वहां उनके साथ कई लेवल पर भेदभाव किया जाता है. वहीं मोहल्ला क्लिनिक में भी सारी सुविधाएं एक जगह नहीं मिल पाती हैं. 

कई रिपोर्ट्स में भी इस मुद्दे के बारे में बात की गई है. महाराष्ट्र में 329 महिला सेक्स वर्कर्स के बीच 2012 में की गई एक स्टडी में पाया गया कि 66% हेल्थ केयर वर्कर्स ने पेशे के कारण महिलाओं के साथ भेदभाव किया. इसमें  से 61.4% ने सर्वे में बताया कि हेल्थ केयर वर्कर्स जिसमें दवाई देने वाले से लेकर हॉस्पिटल के सफाई कर्मचारी तक उनके काम के लिए उनका मजाक उड़ाते हैं. भद्दी बातें करते हैं. वहीं 64.4% ने कहा कि बीमार पड़ने पर उन्हें हर समय एसटीआई टेस्ट (STI Test) कराने के लिए मजबूर किया जाता है. इसके अलावा, 62.3% ने कहा कि अस्पतालों में डॉक्टरों और दूसरे कर्मचारियों ने कभी-कभी "ब्लड टेस्ट और एचआईवी टेस्ट किए बिना" सेक्स वर्कर्स को अस्पतालों में भर्ती करने तक से मना कर दिया जाता है. 

मुफ्त में मिल सकेंगी दवाइयां
मुफ्त में मिल सकेंगी दवाइयां

सेवा भारती द्वारा चलाए जा रहे क्लिनिक में चेकअप कर रहीं गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर आरती कहती हैं कि, “सेक्स वर्कर्स के लिए ये पहल काफी अच्छी है. यहां मेडिकेशन अच्छा है, एक ही जगह पर सब कुछ मुफ्त मिल जाता है. दवाइयों के खर्चा बहुत ज्यादा होता है जो यहां मुफ्त दी जा रही हैं. ब्लड सैंपल टेस्ट से लेकर, डेंटल टेस्ट तक सबकुछ एक ही जगह पर उपलब्ध है. कुछ समय बाद हम यहां और टेस्ट भी अवेलेबल करवाएंगे.”   

सेक्स वर्कर्स में एबॉर्शन है मौत का मुख्य कारण 

नेशनल नेटवर्क ऑफ सेक्स वर्कर्स द्वारा 2019 में सेक्स वर्कर्स की हेल्थ को लेकर एक सर्वे किया गया. इसमें सामने आया कि डायग्नोस्टिक सेवाओं या देखभाल के लिए सरकारी अस्पतालों में जाने वाली महिला सेक्स वर्कर्स से उनकी वोटर आईडी कार्ड, पैन कार्ड या आधार जैसी आईडी आदि मांगी जाती है. बिना किसी एड्रेस प्रूफ के जिन्हें बनवाना काफी मुश्किल है. यही कारण है कि सेक्स वर्कर्स ज्यादातर सरकारी अस्पतालों में जाने से हिचकती हैं. कई सेक्स वर्कर्स के मानना है कि उन्हें इसलिए प्राइवेट अस्पताल में अपना इलाज करवना बेहतर लगता है. हालांकि, वहां इलाज काफी महंगा है.  

2014 से 2019 के बीच हुए लैंसेट के सर्वे के मुताबिक सेक्स वर्कर्स में एबॉर्शन उनकी मौत का मुख्य कारण पहचाना गया है. वहीं दूसरे कारणों का आंकड़ा 16.6 प्रतिशत है, इसके बाद आत्महत्या से 13.6 प्रतिशत मौतें दर्ज की गई हैं. हालांकि इसमें भी अगर बात करें तो एचआईवी/एड्स आमतौर पर सेक्स वर्कर्स के बीच मृत्यु का सबसे प्रमुख कारण है. इस सर्वे में 8 देशों जिसमें अंगोला, ब्राजील, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC), भारत, इंडोनेशिया, केन्या, नाइजीरिया और दक्षिण अफ्रीका की महिला सेक्स वर्कर्स को शामिल किया गया था. 

पहला मुफ्त क्लिनिक
पहला मुफ्त क्लिनिक

किसी को नहीं है सेक्स वर्कर्स को जज करने का अधिकार 

कुछ समय पहले ही सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सेक्स वर्क को एक प्रोफेशन (Sex work is work) के तौर पर मानने की बात कही है. कोर्ट ने कहा कि अगर कोई अपनी मर्जी से इस प्रोफेशन में आता है तो यह गैर-कानूनी नहीं माना जाएगा. सेवा भारती के सुशील गुप्ता भी इसी को लेकर कहते हैं, "किसी को भी सेक्स वर्कर्स को जज करने का अधिकार नहीं है. कोई भी यहां अपनी मर्जी से नहीं आया है. न ही उन्होंने इस काम कोई पहले चुना है. वे बस यहां हालातों के चलते आईं और यहीं फंसकर रह गईं. वहीं, हर रविवार को यहां एक हेल्पिंग हैंड के तौर पर सेवा भारती की तरफ से आ रहीं कनाडाई हाई कमीशन में काम करने वाली सविता नारंग  कहती हैं, “इस क्लिनिक की वजह से उनका जीवन आसान हो सकेगा.”