War Anxiety
War Anxiety भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध के हालात बने हुए हैं. ऐसे में बस हर कोई टीवी और न्यूज वेबसाइट्स से चिपका हुआ है. युद्ध की खबरों को लगातार देखने और पढ़ने की वजह से कई लोगों की बेचैनी बढ़ा देती है. मौजूदा हालात में जरूरी है कि आप युद्ध को लेकर बेवजह परेशान ना हो. तनाव के माहौल में अपनी तैयारियां पूरी रखनी चाहिए. लेकिन युद्ध की खबरों को लेकर परेशान होने की जरूरत बिल्कुल नहीं है.
क्या होती है ‘वॉर एंग्जाइटी’
देश में जब युद्ध जैसे हालात बनते हैं या सीमाओं पर तनाव बढ़ता है, तो सिर्फ सैनिक ही नहीं, आम नागरिकों को भी मेंटल प्रेशर होता है. इस मानसिक स्थिति को साइकोलॉजी की भाषा में ‘वॉर एंग्जाइटी’ कहा जाता है. यानी की हर वक्त वॉर से जुड़ी खबरें देखना और उनके बारे में सोचना.
इसमें क्या होता है?
इसमें हर वक्त लोग निगेटिव सोचते हैं.
लोगों को लगने लगता है कि उनका और उनके परिवार का भविष्य खतरे में है.
नींद, भूख और सामान्य दिनचर्या पर असर पड़ता है.
लोग हर वक्त सोशल मीडिया या न्यूज पर ही केंद्रित रहते हैं और बार-बार वही बातें दोहराते हैं.
वॉर एंग्जाइटी से बचने का तरीका है कि आप अपने काम में खुद को बिजी रखें. आर्मी को अपनी ड्यूटी करने दें. सरकार पर भरोसा रखें और फेक न्यूज को बढ़ावा न दें. केवल विश्वसनीय समाचार स्रोतों से ही जानकारी लें. गलत जानकारी वॉर एंग्जाइटी को और बढ़ा सकती है.
अगर घर में कोई वॉर एंग्जाइटी से जूझ रहा है तो उसे सलाह देने की जगह उसे किसी काम में इंगेज रखें. जैसे कि साथ में फिल्म देखना, घर के अंदर कोई गेम खेलना, बातचीत करना, खाना बनाना या पसंदीदा शौक पूरे करना.
मनोवैज्ञानिक के अनुसार, वॉर एंग्जाइटी से जूझ रहे व्यक्ति की सबसे बड़ी जरूरत “engagement” यानी व्यस्तता होती है. जितना वह किसी काम में लगेगा, उतना ही उसका दिमाग डर से बाहर निकलेगा.