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ओमिक्रॉन के सब-वेरिएंट XBB से नहीं है घबराने की जरूरत, इसके संक्रमण से होता है हल्का कोविड: रिसर्च

ओमिक्रॉन के सब वेरिएंट XBB को लेकर बड़ा दावा किया गया है. भारतीय वैज्ञानिकों ने रिसर्च में खुलासा किया है कि XBB से संक्रमित मरीजों के घर पर ठीक होने की उम्मीद ज्यादा है. रिसर्च में पाया गया कि BA.2.75 के 66.6 फीसदी और BA.2.38 के 75 फीसदी मरीज घर पर ठीक हुए. जबकि XBB के 78.8 फीसदी मरीज घर पर सेहतमंद हो गए.

रिसर्च में दावा किया गया है कि XBB वेरिएंट से हल्का कोविड होता है (फाइल फोटो) रिसर्च में दावा किया गया है कि XBB वेरिएंट से हल्का कोविड होता है (फाइल फोटो)

कोरोना को लेकर राहत की खबर आई है. ओमिक्रॉन के सब-वेरिएंट XBB से अब घबराने की जरूरत नहीं है. भारतीय वैज्ञानिकों ने 6 महीने के लंबे रिसर्च में पाया है कि अगर कोई इस वेरिएंट से पीड़ित भी है तो उसका असर ज्यादा नहीं होगा. XBB के संक्रमण से हल्का कोविड होता है. शोध में सामने आया है कि मरीजों में इस वेरिएंट के बहुत कम लक्षण देखने को मिले हैं. वैज्ञानिकों ने दावा किया गया है कि इस संक्रमण से 97 फीसदी लोग ठीक हुए हैं. XBB वेरिएंट साल 2022 के अगस्त महीने में सामने आया था. इसने एशिया के कई देशों को अपनी चपेट में लिया था. भारत में भी इसके मामले बढ़े थे.

भारतीय वैज्ञानिकों ने किया रिसर्च-
बीजे मेडिकल कॉलेज, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ विरोलॉजी और इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च पुणे के वैज्ञानिकों ने मिलकर रिसर्च किया है. इस रिसर्च में ओमिक्रॉन के विभिन्न वेरिएंट्स से पीड़ित 494 मरीजों को शामिल किया गया. ये मरीज ओमिक्रॉन के सब वेरिएंट BA.2.10, BA.2.38, BA.2.75, BA.5 और XBB से पीड़ित थे. रिसर्च में पाया गया कि इस वेरिएंट से संक्रमित 97 फीसदी मरीज ठीक हो गए.

XBB से होता है हल्का संक्रमण-
रिसर्च में ये भी सामने आया कि ओमिक्रॉन के दूसरे सब वेरिएंट की तुलना में XBB से हल्का कोरोना संक्रमण हुआ. रिसर्चर्स का कहना है कि XBB वेरिएंट डेल्टा वेरिएंट के मुकाबले कम पैथोजेनिक है. डेल्टा वेरिएंट काफी खतरनाक था. इस वेरिएंट ने साल 2021 में भारत में तबाही मचाई थी. इस वेरिएंट से भारत में कई लोगों की मौत हुई थी.
BA.2.75 वेरिएंट की तुलना में XBB वेरिएंट कम खतरनाक है. XBB वेरिएंट BA.2.75 वेरिएंट की तुलना में लंग्स को कम इफेक्ट किया था.

XBB के ज्यादातर मरीज घर पर हुए ठीक- 
भारत में इस तरह का पहला रिसर्च है, जिसमें नए वेरिएंट्स के लक्षण का पूरी तरह से विश्लेषण किया गया है. रिसर्च में पाया गया कि XBB वेरिएंट से पीड़ित मरीजों के घर पर ही ठीक होने का आंकड़ा बाकी वेरिएंट्स से बेहतर है. रिसर्च में पाया गया कि BA.2.75 के 66.6 फीसदी और BA.2.38 के 75 फीसदी मरीज घर पर ठीक हुए. जबकि XBB के 78.8 फीसदी मरीज घर पर स्वस्थ हो गए. अस्पताल में इनके इलाज की जरुरत नहीं पड़ी.
BA.2.38 से संक्रमित 19.05 फीसदी और BA.2.75 वेरिएंट से संक्रमित 6.46 फीसदी मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी. जबकि XBB वेरिएंट से संक्रमित सिर्फ 4.7 फीसदी मरीजों को ही ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी.

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