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सोने से घंटों चलाते हैं फोन? तो जरा पढ़ लें ये डरावनी खबर... एक बार जान जाएंगे तो नहीं करेंगे गलती!

सोने से पहले मोबाइल का इस्तेमाल जितना सामान्य लगता है, उतना ही खतरनाक भी हो सकता है. रात में फोन देखने से आंखें सूखी, थकी और दर्द से भरी महसूस हो सकती हैं. इतना ही नहीं, यह आदत आपकी नींद की क्वालिटी पर भी असर डालती है.

सोने से पहते भूलकर भी न करें फोन इस्तेमाल सोने से पहते भूलकर भी न करें फोन इस्तेमाल

आज के समय में ज्यादातर लोगों के लिए दिन तब तक खत्म नहीं होता, जब तक वे बिस्तर पर लेटकर मोबाइल न देख लें. कोई सोशल मीडिया स्क्रॉल करता है तो कोई मैसेज का जवाब देता है. लेकिन क्या आपको पता है कि ऐसा करना आप पर और आपकी आंखों पर भारी पड़ सकता है. जी हां. अंधेरे कमरे में आंखों के बेहद पास मोबाइल स्क्रीन देखना अब एक आम आदत बन चुकी है. लेकिन डॉक्टरों के मुताबिक, यह आदत धीरे-धीरे आंखों और नींद दोनों को नुकसान पहुंचाती है.

डॉक्टर बताते हैं कि, सोने से पहले मोबाइल का इस्तेमाल जितना सामान्य लगता है, उतना ही खतरनाक भी हो सकता है. रात में फोन देखने से आंखें सूखी, थकी और दर्द से भरी महसूस हो सकती हैं. इतना ही नहीं, यह आदत आपकी नींद की क्वालिटी पर भी असर डालती है.

आंखों पर पड़ता है दबाव
दरअसल, अंधेरे या कम रोशनी वाले कमरे में मोबाइल चलाने से आंखों पर ज्यादा दबाव पड़ता है. अंधेरे में हमारी पुतलियां अपने आप फैल जाती हैं, ताकि ज्यादा रोशनी अंदर जा सके. ऐसे में जब अचानक तेज रोशनी वाली मोबाइल स्क्रीन आंखों के सामने आती है, तो आंखों को झटका लगता है. यह झटका न सिर्फ तुरंत असहजता पैदा करता है, बल्कि लंबे समय में आंखों में तनाव भी बढ़ाता है.

इसके अलावा मोबाइल स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट भी एक बड़ी समस्या है. यह ब्लू लाइट हमारे दिमाग के उस हिस्से को प्रभावित करती है, जो नींद-जागने के चक्र को नियंत्रित करता है. इससे मेलाटोनिन नामक हार्मोन का स्राव देर से होता है, जो हमें नींद आने का संकेत देता है. भले ही ब्लू लाइट आंखों को स्थायी नुकसान न पहुंचाए, लेकिन यह दिमाग को सतर्क बनाए रखती है, जब उसे आराम की जरूरत होती है.

आंखों में जलन, सूखापन और सिरदर्द
रात में मोबाइल देखने पर आंखें लगातार एक स्क्रीन पर फोकस करती रहती हैं. फोन को बहुत पास पकड़ने से आंखों पर और ज्यादा जोर पड़ता है. धीरे-धीरे आंखें भारी लगने लगती हैं, धुंधला दिखने लगता है और थकान महसूस होती है. कई लोगों में दिन के अंत तक सिरदर्द या माइग्रेन की समस्या भी हो सकती है. एक और बड़ी वजह है कम पलक झपकाना. मोबाइल देखते समय हम अनजाने में बहुत कम ब्लिंक करते हैं. इससे आंखों की प्राकृतिक नमी कम हो जाती है और आंखें सूखी, जलन भरी और रेत जैसी चुभन महसूस करने लगती हैं. रात के समय, जब आंखें पहले से ही थकी होती हैं, यह समस्या और बढ़ जाती है.

नींद पर पड़ता है असर
रात में स्क्रीन देखने का असर सिर्फ आंखों तक सीमित नहीं रहता. ब्लू लाइट दिमाग को जागते रहने का संकेत देती है, जिससे नींद आने में देर होती है. अगर नींद आ भी जाए, तो वह गहरी और सुकून भरी नहीं होती. यही कारण है कि कई लोग पूरी नींद लेने के बावजूद सुबह थके हुए महसूस करते हैं. सोने से पहले रील्स, वीडियो या मैसेज देखने से दिमाग शांत होने के बजाय और ज्यादा सक्रिय हो जाता है.

अपनाएं ये उपाय
मोबाइल को पूरी तरह छोड़ना जरूरी नहीं है, बस कुछ आदतें बदलनी होंगी. डॉक्टर सलाह देते हैं कि सोने से 30 से 60 मिनट पहले स्क्रीन का इस्तेमाल कम कर दें. शाम के समय नाइट मोड या ब्लू लाइट फिल्टर ऑन रखें और स्क्रीन की ब्राइटनेस कमरे की रोशनी के अनुसार कम कर लें. अगर रात में मोबाइल देखने के बाद बार-बार सिरदर्द, धुंधली नजर, आंखों में सूखापन या दर्द की समस्या हो रही है, तो इसे नजरअंदाज न करें. समय रहते किसी नेत्र विशेषज्ञ से सलाह लेना आंखों और नींद, दोनों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है.

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