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ये RT-PCR किट सबसे कम समय में लगाएगी H3N2 और Covid-19 जैसे वायरस का पता, ICMR ने दी Krividia Trivus को मंजूरी 

Krividia Trivus RT-qPCR Kit: ICMR ने दी Krividia Trivus की RT-PCR किट को मंजूरी दे दी है. ये किट सबसे कम समय में H3N2 और Covid-19 जैसे वायरस का पता लगाएगी.

RT-qPCR किट RT-qPCR किट
हाइलाइट्स
  • तीनों पैथोजन्स के शुरुआती लक्षण है एक जैसे 

  • किट आसानी से लगा सकेगी वायरस का पता 

देशभर में अलग-अलग वायरस को लेकर लोग चिंता में हैं और H3N2 ने इसे और भी बढ़ा दिया है. लेकिन अब इसे और दूसरे वायरस को डिटेक्ट करने के लिए टेस्ट किट भी आ गई है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने गुरुवार को चेन्नई स्थित KRIYA मेडिकल टेक्नोलॉजी की RT-qPCR (Real-Time Quantitative Reverse Transcription PCR) टेस्ट किट को मंजूरी दे दी है. इस किट से इन्फ्लूएंजा (H1N1, H3N2, यामागाटा और विक्टोरिया सबलाइनेज), कोविड-19 और रेस्पिरेटरी सिंकिटियल वायरस का आसानी से पता लगाया जा सकेगा. 

तीनों पैथोजन्स के शुरुआती लक्षण है एक जैसे 

बता दें, इन तीनों (इन्फ्लूएंजा, कोविड-19 और रेस्पिरेटरी सिंकिटियल वायरस) पैथोजन्स के शुरुआती लक्षण एक जैसे होते हैं. हालांकि, ये बीमारी कैसे और कितनी आसानी से फैलती है, और उनका इलाज कैसे किया जाता है, इसमें ये तीनों एक दूसरे से अलग होते हैं. बताते चलें कि ICMR ने इस किट की चेकिंग नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे में की है. इस दौरान आईसीएमआर ने 225 पॉजिटिव सैंपल और 85 नेगेटिव सैंपल को लेकर टेस्ट किया. 

सबसे कम समय में देती है रिजल्ट

बताते चलें कि किट में 27 मिनट का सबसे छोटा साइकिल टाइम है. जिसमें रिजल्ट आने में  50-60 मिनट के बीच का अंतर हो सकता है. इसके अलावा, ये एक ओपन किट है जिसका उपयोग सभी उपलब्ध आरटी पीसीआर इक्विपमेंट में किया जा सकता है. KRIVIDA TRIVUS सबसे कम TAT (टर्नअराउंड टाइम) के भीतर इन्फ्लुएंजा, SARS CoV2 और रेस्पिरेटरी सिंकिटियल वायरस के बीच प्रभावी रूप से अंतर करता है. आईसीएमआर के मुताबिक, KRIVIDA TRIVUS किट की सेंसिटिविटी 99.11% है और यह 100% तक सही रिजल्ट देती है. 

किट आसानी से लगा सकेगी वायरस का पता 

इस मौके पर क्रिया मेडिकल टेक्नोलॉजीज की सीईओ अनु मोटूरी ने कहा, "पिछले कई हफ्तों में, हमने H3N2 मामलों की संख्या में वृद्धि देखी है, साथ ही देश में कोविड-19 इंफेक्शन के केस भी बढ़ रहे हैं. ऐसे में हमें एक ऐसे टेस्ट की जरूरत है जो इन सब में फर्क बता सके और टेस्टिंग में डॉक्टरों की मदद कर सके.”