
एक मरीज को बचाने के लिए डॉक्टर और प्रशासन ने भरसक प्रयास करते हैं. इसी कड़ी में एक और मामला सामने आया है. मरीज तक हार्ट पहुंचाने से लिए विशेष रूप से ग्रीन कॉरिडोर बनाया है. इस ग्रीन कॉरिडोर की वजह से सिर्फ 17 किमी. की दूरी 19 मिनट में तय हो गई. इस तेजी से काम करने की वजह से मरीज की जान बच गई.
मेडिकल के क्षेत्र में ये एक बड़ी उपलब्धि है. एक जिंदा हार्ट को यशोदा हॉस्पिटल गाजियाबाद से नई दिल्ली के ओखला में फोर्टिस एस्कॉर्ट्स तक लाया गया. जिंदा दिल को गाजियबाद से दिल्ली तक लाने के लिए ट्रैफिक पुलिस ने ग्रीन कॉरिडोर बनाया. इस वजह से 17 किमी. की यात्रा पूरी करने में सिर्फ 19 मिनट लगे.
एंबुलेंस जिंदा दिल को लेकर गाजियाबाद से सुबह 11.40 बजे निकली. एंबुलेंस दिल्ली के फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल 11.59 पर पहुंच गई. इस तेजी की वजह गंभीर रूप से बीमार एक मरीज का हार्ट ट्रांसप्लांट हो सका. इससे मरीज की जान बच गई.
गाजियाबाद से दिल्ली
एक 49 साल का व्यक्ति इस्केमिक कार्डियोमायोपैथी से पीड़ित था. इस बीमारी में हार्ट की पंपिंग क्षमता कम हो जाती है. हार्ट के मसल्स डैमेज होने की वजह से ऐसा होता है. दिल की मसल्स में ब्लड की सप्लाई कम होने से ऐसा होता है. ये रोग आमतौर पर कोरोनरी आर्टिरी डिजीज और दिल के दौरे की वजह से होता है. अगस्त 2024 में मरीज ने नेशनल ऑर्गन एंड टिसू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन (NOTTO) में डोनर के लिए रजिस्टर किया था.
मरीज के लिए हार्ट डोनर एक 35 साल की महिला था. महिला को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया था. मृतक महिला के परिवार वाले उसके ऑर्गन को डोनेट करने के लिए राजी हो गए. इससे दूसरे लोगों को जीना का दूसरा मौका मिलेगा. मरीज के लिए इस हार्ट को नेशनल ऑर्गन एंड टिसू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन ने अलॉट किया. इसके बाद फ इस फोर्टिस एस्कॉर्ट्स में ट्रांसप्लांट के लिए जांच की गई.
19 मिनट में 17 किमी.
गाजियाबाद से दिल्ली पहुंचने में आम तौर पर 1 घंटे से ज्यादा का समय लगता है. जरुरतमंद मरीज तक हार्ट पहुंचनाने के लिए गाजियाबाद और दिल्ली ट्रैफिक पुलिस आगे आई. ट्रैफिक पुलिस ने एंबुलेंस से गाजियाबाद से दिल्ली तक ग्रीन कॉरिडोर बनाया. इस वजह से 17 किमी. की दूरी को तय कर हार्ट को दिल्ली के फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल में पहुंचाया गया. इस तत्परता की वजह से दिल की गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीज की जान बच गई
ओखला रोड पर स्थित फोर्टिस एस्कॉर्ट्स के फैसिलिटी डायरेक्टर डॉ. विक्रम अग्रवाल ने इस बारे में जानकारी है. डॉ. अग्रवाल ने कहा, ग्रीन कॉरिडोरी को बनाने के लिए हम दिल्ली और गाजियाबाद ट्रैफिक पुलिस के आभारी हैं. हार्ट को समय पर पहुंचाने के लिए ये हेल्प बहुत जरूरी थी. डॉ. विक्रम अग्रवाल ने कहा कि डोनर की फैमिली का भी बहुत-बहुत धन्यवाद. ये केस फोर्टिस एस्कॉर्ट्स की कार्डिक विशेषज्ञता को दिखाता है. हम ऐसे ही लगातार लोगों की जान बचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
ग्रीन कॉरिडोर बना जीवनदान
एएनआई (ANI) की रिपोर्ट के अनुसार, इससे पहले 23 जनवरी 2025 को दो ग्रीन कॉरिडोर बनाए गए थे. ये कॉरिडोर मध्य प्रदेश के जबलपुर के सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल से बनाए गए थे. ग्रीन कॉरिडोर से ऑर्गन को भोपाल और इंदौर भेजा गया था. चीफ मेडिकल एंड हेल्थ ऑफिसर (CMHO) के अनुसार, एक ग्रीन कॉरिडोर अस्पताल से जबलपुर एयरपोर्ट तक बनाया गया था.
इस ग्रीन कॉरिडोर की मदद से जरुरतमंद मरीज तक लिवर इंदौर के चोइथराम अस्पताल पहुंचाया गया. गाजियाबाद की तरह जबलपुर में दूसरा ग्रीन कॉरिडोर सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल से तिलवारा रोड पर बने हेलीपैड तक बनाया गया. इस ग्रीन कॉरिडोर की मदद से हार्ट को एम्स भोपाल तक पहुंचाया. ग्रीन कॉरिडोर की मदद से प्रशासन और अस्पताल मरीज तक जरुरतमंद ऑर्गन पहुंचाने में मदद करते हैं.