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पीने के पानी से Microplastics हटाने का सबसे किफायती तरीका, नहीं खर्च करने पड़ेंगे एक भी रुपये

माइक्रोप्लास्टिक कपड़ों, प्लास्टिक बर्तनों, कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स और पैकेजिंग से निकलता है. यानी हम जिन चीजों का रोज इस्तेमाल करते हैं, उन्हीं के जरिए माइक्रोप्लास्टिक हवा, पानी और मिट्टी में फैल जाता है.

Microplastics In Drinking Water Microplastics In Drinking Water
हाइलाइट्स
  • प्लास्टिक के 5 मिलीमीटर से छोटे कणों को माइक्रोप्लास्टिक कहते हैं

  • माइक्रोप्लास्टिक के क्या नुकसान हैं?

चीन के वैज्ञानिकों ने माइक्रोप्लास्टिक से बचने का एक बेहद आसान और घरेलू तरीका बताया है, जिसे हर कोई अपने किचन में आजमा सकता है. 2024 में हुई एक रिसर्च में पाया गया कि अगर नल के पानी को उबालकर छाना जाए तो उसमें मौजूद माइक्रोप्लास्टिक और नैनोप्लास्टिक के कण काफी हद तक हटाए जा सकते हैं. यह रिसर्च Environmental Science & Technology Letters नाम की जर्नल में प्रकाशित हुई है.

कैसे किया गया प्रयोग?
शोधकर्ताओं ने सॉफ्ट और हार्ड (जिसमें कैल्शियम और मिनरल ज्यादा होते हैं), दोनों तरह के नल के पानी पर टेस्ट किए. पहले पानी में माइक्रोप्लास्टिक और नैनोप्लास्टिक मिलाए गए. इसके बाद पानी को उबाला गया और फिर छान लिया गया. नतीजे चौंकाने वाले थे. कुछ मामलों में उबालने और छानने से 90% तक माइक्रोप्लास्टिक हट गए. खासतौर पर हार्ड वॉटर में यह तरीका ज्यादा असरदार साबित हुआ. रिसर्च के मुताबिक, कम हार्डनेस वाले पानी में करीब 25% माइक्रोप्लास्टिक हटे जबकि ज्यादा हार्ड पानी में यह आंकड़ा 84% से 90% तक था.

हार्ड वॉटर में ज्यादा असर क्यों?
हार्ड वॉटर को उबालने पर उसमें मौजूद कैल्शियम कार्बोनेट बाहर आ जाता है. यही परत माइक्रोप्लास्टिक के कणों को अपने अंदर फंसा लेती है. बाद में जब पानी को छाना जाता है, तो ये कण बाहर निकल जाते हैं.

घर पर कैसे अपनाएं तरीका?
वैज्ञानिकों का कहना है कि इसके लिए किसी महंगे फिल्टर की जरूरत नहीं है. नल का पानी अच्छी तरह उबालें फिर पानी ठंडा होने दें और फिर चाय छानने वाली स्टील की जाली या साधारण फिल्टर से छान लें. इतना करने से पानी में मौजूद प्लास्टिक के कई कण निकल सकते हैं.

माइक्रोप्लास्टिक क्या है?
प्लास्टिक के बहुत छोटे-छोटे टुकड़ों को माइक्रोप्लास्टिक कहा जाता है. अगर किसी प्लास्टिक के टुकड़े का आकार 5 मिलीमीटर से भी छोटा हो, तो वह माइक्रोप्लास्टिक कहलाता है. इतने छोटे होने की वजह से ये कण पानी में आसानी से बह जाते हैं और नदियों के जरिए समुद्र तक पहुंच जाते हैं. यानी हम जिन चीजों का रोज इस्तेमाल करते हैं, उन्हीं के जरिए माइक्रोप्लास्टिक हवा, पानी और मिट्टी में फैल जाता है.

माइक्रोप्लास्टिक क्यों है खतरनाक?
माइक्रोप्लास्टिक कपड़ों, प्लास्टिक बर्तनों, कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स और पैकेजिंग से निकलता है. यह हवा, पानी और खाने में फैल चुका है. वैज्ञानिकों का मानना है कि माइक्रोप्लास्टिक पेट के बैक्टीरिया, इम्युन सिस्टम और एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस को नुकसान पहुंचा सकता है. अधिक मात्रा में माइक्रोप्लास्टिक कंज्यूम करने से हमें एलर्जी, थाइराइड, कैंसर से लेकर मौत तक का खतरा होता है.

आज से ही डालें उबला पानी पीने की आदत
2025 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पीने का पानी माइक्रोप्लास्टिक का बड़ा सोर्स बन चुका है, क्योंकि वेस्ट वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट इसे पूरी तरह नहीं हटा पा रहे. शोधकर्ताओं का कहना है कि उबला पानी पीने की आदत हर किसी को डालनी चाहिए. अगर ज्यादा लोग यह तरीका अपनाएं, तो माइक्रोप्लास्टिक के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है.